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जानिए कौन सा रत्न है आपकी राशि के लिए शुभ फलदायी

Which gemstone is good for your zodiac sign

मनुष्य जीवन भिन्न भिन्न प्रकार की कड़ियों एवं किवदंतियों से जुड़ा हुआ है। शिशु के इस संसार में जन्म लेते हैं उसकी जाति, कुल, वंश, लिंग, नक्षत्र, कुंडली, ग्रह-गोचर आदि न जाने कितने ही प्रकार के तथ्यों का निर्धारण हो जाता है। इन्हीं जाति निर्धारण में सनातन धर्म के लोग विशेष मान्यताओं में यकीन रखते हैं।

सनातन धर्म वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित एवं पवित्र कल्पनाओं की विचारधाराओं से प्रेरित है। सनातन धर्म के अनेकानेक आयाम है। हिंदू धर्म-कर्म पर आधारित होता है। इसी प्रकार के ग्रंथों में अलग अलग स्वरूपों में विस्तृत स्वरूप दिया गया है।

ज्योतिष शास्त्र भी हिंदू धर्म केअनेकों धर्म ग्रंथों में से एक है। यह विशेष आध्यात्मिक व वैज्ञानिक तथ्यों पर आधार है जो खगोलीय घटनाओं एवं ब्रह्मांड की संरचनाओं पर निर्भर करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जीवन की शुरुआत का काल, अर्थात उसका जन्म काल, जन्म समय, जन्म तिथि, जन्म स्थान, परिवार, कुल आदि सभी उनके ज्योतिषीय तथ्यों की कड़ियों को पिरोने का कार्य करते हैं। व्यक्ति अपनी कुंडली के अनुसार ग्रहों की स्थिति अथवा अपनी राशि के अनुरूप अपने जीवन में घटित घटनाओं पर दृष्टि बनाकर नियंत्रण स्थापित करता है।

जातक अपने ग्रह-गोचरों को परखते हुए सकारात्मक प्रभाव से घिरे रहने हेतु भिन्न-भिन्न उपाय आदि अपनाते हैं जिसमें रत्न धारण का एक विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर इंसान कुल 12 राशियों में से किसी ना किसी एक राशि से संबंधित होता है। इन 12 राशियों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सांसारिक तौर पर रत्नों द्वारा नियंत्रण होता है। रत्न की उत्पत्ति सर्वप्रथम क्षीर सागर से हुई थी। विष्णु पुराण में समुद्र मंथन में निकली अनेकानेक प्रकार की वस्तुओं के वर्णन के संबंध में बखान करते हुए रत्नों की भी चर्चा की गई है। रत्नों की उत्पत्ति का प्रारंभिक स्थल क्षीर समुद्र को ही माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि यदि जातक अपनी कुंडली के ग्रह-गोचरों की स्थिति आदि के अनुरूप रत्नों को धारण करता है, तो रत्नों को धारण करने की बदौलत उसके जीवन में कुछ सकारात्मक प्रभाव परिलक्षित होने लगते हैं, एवं कई बार रत्नों का प्रयोग किसी विशेष प्रकार के दुष्प्रभाव से बचाने में भी कारगर सिद्ध होता है जिस कारण ज्योतिष शास्त्र में रत्नों को अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

तो आइए आज इस लेख के द्वारा हम जानेंगे कि कौन से रत्न किस राशि के जातकों के लिए उपयोगी माने जाते हैं। रत्न धारण के संबंध में आपको गांठ बांध लेनी चाहिए कि किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व आपको अपनी कुंडली के अनुसार ज्योतिषीय परामर्श अवश्य ही लेना है। राशि के अनुसार उस जातक के कुंडली की स्थिति को भाप पाना शत-प्रतिशत संभव नहीं है।

अतएव किसी विद्वान ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाकर ही रत्नों का धारण करना चाहिए अन्यथा इसके दुष्प्रभाव भी आपके जीवन पर परिलक्षित हो सकते हैं। यहां आपको आपकी राशि के अनुरूप रत्नों के धारण विधि की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। इसके माध्यम से आप अपनी राशि के अनुरूप उपयुक्त रत्नों को विधि विधान से अपने ग्रह-गोचर की स्थिति को पंक्ति में धारण कर लाभ उठा सकते हैं। तो आइए जानते हैं भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्नों के लिए कौन-कौन सी राशियां उपयुक्त है, साथ ही उन राशि के जातकों को किस प्रकार से रत्नों को धारण करना चाहिए।

माणिक्य रत्न

माणिक्य सूर्य ग्रहण का कारण रत्न माना जाता है। इसे सूर्य के उतार-चढ़ाव से संबंधित जातको को धारण करना चाहिए, साथ ही माणिक्य का धारण सूर्य ग्रह की राशि वाले जातक भी करते हैं। यह सिंह राशि के जातकों के लिए अत्यंत ही शुभ प्रभावी होता है। जिस भी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह की महादशा चल रही होती है, उन जातकों को रविवार के दिन अपनी अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) में माणिक्य का धारण करना चाहिए। यह सूर्य का रत्न है, इसलिए माणिक्य को धारण करने हेतु सूर्य के उदय का काल अर्थात सूर्योदय काल को सर्वोपरि माना जाता है। चूँकि सूर्य का दिन रविवार होता है, इसलिए रविवार के दिन ही माणिक्य धारण हेतु उपयुक्त है।

मोती रत्न

जो भी चंद्र राशि के जातक होते हैं, उनके लिए मोती को शुभकारी माना जाता है। चूँकि चंद्र ग्रह का आदि रत्न मोती होता है, अतएव जिन भी जातकों पर चंद्रमा की महादशा चल रही होती है, उन जातकों को ज्योतिषियों के अनुसार मोती धारण करना चाहिए। चंद्रमा का वार भगवान शिव का वार सोमवार होता है, इसलिए मोती रत्न को धारण करने के लिए सोमवार का दिन उपयुक्त है। सोमवार की संध्या काल में अथवा पंचांग अनुसार चंद्रोदय की काल की अवधि को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति को अनामिका अथवा कनिष्ठा उंगली में मोती रत्न का धारण करना चाहिए। मीन राशि वालों को लिए यह रत्न विशेष परिणाम दर्शाता है, इसलिए किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह कर इसे धारण करें।

मूंगा रत्न

मंगल ग्रह को मजबूत करने हेतु उपाय में मूंगा रत्न का धारण सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जिन भी जातकों के ऊपर मंगल की महादशा चल रही होती है, उन्हें मूंगा रत्न अपनी कुंडली की स्थिति के अनुरूप अवश्य ही धारण करना चाहिए। मूंगा मेष तथा वृश्चिक राशि के जातकों पर अपने शुभ प्रभाव दर्शाता है। मूंगा रत्न को धारण करने के लिए मंगलवार का दिन शुभ कार्य माना जा सकता है। मंगलवार के दिन शाम 5:00 बजे के पश्चात इसे अपनी अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) में धारण करें।

पन्ना रत्न

बुध ग्रह की मजबूती हेतु पन्ना रत्न को शुभकारी माना जाता है। बुध ग्रह बुद्धि से जुड़ा ग्रह माना जाता है। जिन भी जातकों के ऊपर बुध की महादशा चल रही होती है, उन जातकों को ज्योतिषी पन्ना पहनने की सलाह देते हैं। बुधवार के दिन पन्ना धारण करने का विशेष महत्व है। पन्ना को धारण करने हेतु दोपहर की अवधि को उपयुक्त माना जाता हैं अन्यथा किसी भी शुभ मुहूर्त को देखकर अपनी कनिष्ठा उंगली में पन्ना रत्न का धारण करें। मिथुन और कन्या राशि वालों का इस रत्न को धारण करना फायदेमंद रहता है।

पुखराज रत्न

पुखराज अत्यंत ही प्रभावी रत्न माना जाता है। यह सृष्टि के गुरु अर्थात गुरु ग्रह बृहस्पति को मजबूत करने हेतु उपाय में हेतु सर्वोत्तम माना जाता है। पुखराज मीन तथा धनु राशि के जातकों के लिए सर्वोत्तम रत्न है। जिन भी जातकों के ऊपर बृहस्पति की महादशा चल रही होती है, उन जातकों को पुखराज का धारण करना चाहिए। पुखराज के धारण हेतु गुरुवार का दिन शुभ प्रभावी होता है। इस दिन आप सुबह और दोपहर के बीच की अवधि यानी दिन में प्रातः 10 बजे से दोपहर 12 बजे  के बीच की अवधि में अपने तर्जनी उंगली में पुखराज को धारण करें।

हीरा रत्न

हीरा अत्यंत ही कीमती आभूषण माना जाता है। यह एक प्रकार का बेशकीमती रत्न है जो शुक्र ग्रह हेतु उपयुक्त माना जाता है। प्रायः इसे शुक्र ग्रह की शांति हेतु धारण किया जाता है। हीरा धारण करना जितना प्रभावी है उतना ही दुष्प्रभावी भी, अतः इसे धारण करने से पूर्व किसी श्रेष्ठ ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाकर ही धारण करें। जिन भी जातकों के ऊपर शुक्र ग्रह की महादशा चल रही होती है, उन्हें हीरा अवश्य ही धारण करना चाहिए। हीरा धारण करने हेतु शुक्रवार का दिन शुभकारी होता है। इस दिन आप अपने मध्यमा उंगली यानी मिडल फिंगर में हीरा धारण कर सकते हैं। रत्न ज्योतिष के अनुसार प्रायः वृषभ और तुला राशि वालों को हीरा धारण करने की राय दी जाती है।

नीलम रत्न

नीलम रत्न शनि ग्रह हेतु उपयुक्त माना जाता है। शनि को किसी भी परिस्थिति में लोग शुभकारी नहीं मानते है। दरअसल शनि न्याय के देवता होते हैं, जो जातकों पर उनके कर्मों के अनुरूप फल डालते हैं। इसलिए व्यक्ति के ऊपर उनके कर्मों के दुष्प्रभाव परिलक्षित होते हैं। जिन भी जातकों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया का दुष्प्रभाव परिलक्षित होता है, उन्हें नीलम रत्न अवश्य ही धारण करना चाहिए। नीलम रत्न अत्यंत ही प्रभावी रत्न होता है, अतः इसे धारण करने से पूर्व कुंडली ज्योतिषी से अवश्य दिखाएं, साथ ही नीलम की खरीद के समय भी आप इसे अच्छे से परख लें। असली नीलम को ही प्रभावी माना जाता है। नीलम धारण करने हेतु शनिवार का दिन उपयुक्त होता है। शनिवार की शाम को आप अपनी मध्यमा उंगली में नीलम का धारण करें। नीलम प्रायः मकर और कुंभ राशि वालों के लिए अच्छा रहता है, परन्तु इसे धारण करने से पहले अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को जरूर दिखाएँ।

गोमेद रत्न

राहु के दुष्प्रभाव से हम सभी परिचित हैं। जिन भी जातक के ऊपर राहु की दशा चल रही होती है, उनके जीवन में भिन्न-भिन्न प्रकार के अशुभ परिणाम परिलक्षित होने लगते हैं। अतः राहु की शांति हेतु गोमेद रत्न धारण करना अत्यंत ही शुभकारी हैं। गोमेद धारण करने के लिए भी शनिवार का दिन ही उपयुक्त माना जाता है। इस दिन आप ग्रह-गोचरों की दशा-दिशा के अनुसार शुभ समय देखकर अपने हाथ की मध्यमा उंगली में गोमेद रत्न को धारण करें।

लहसुनिया रत्न

लहसुनिया रत्न केतु की दशा-दिशा के सकारात्मक प्रभाव दर्शाने के लिए धारण किया जाता है। जिन भी जातकों के ऊपर केतु की महादशा चल रही होती है, उन्हें लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए। लहसुनिया रत्न को आजीवन धारण नहीं किया जाता है, अर्थात जब केतू आपकी कुंडली में गलत स्थान पर स्थापित हो जाता है, तभी इसे धारण किया जाता है। बाद में ज्योतिषी के अनुसार ग्रहों की स्थिति सामान्य हो जाने पर इसका विधि-विधान से समर्पण भी किया जाता है। लहसुनिया रत्न को धारण करने हेतु आप ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लें।