भारत की धार्मिक चलायमान धरोहरों में से एक मुख्य ज्योतिष शास्त्र है। ज्योतिष जन्म से मरण तक की काल अवधि के भूत भविष्य एवं वर्तमान का प्राकट्य स्वरूप है। ज्योतिष केवल आध्यात्म तक ना सिमटकर विज्ञान तक फैला है। इसके निरीक्षण एवं अवलोकन के पश्चात इसे आध्यात्म का वैज्ञानिक समन्वय के रूप में स्वीकार किया गया है।
ज्योतिष शास्त्र का एक अभिन्न अंग पंचांग है। पञ्चाङ्ग पांच शब्दों का संग्रह है - तिथि, वार, योग, नक्षत्र, एवं करण। पंचांग का हमारे जीवन में अहम महत्व है। यह हमारे दैनिक भविष्य की क्रियाकलाप का निर्धारण करता है। पंचांग हमारे जीवन में एक दिशानिर्देशक यंत्र के समान है जो हमारे जीवन का मार्गदर्शन करता है। पञ्चाङ्ग के माध्यम से हम अपने जीवन की गतिविधि हेतु शुभ-अशुभ मुहूर्त, तिथि, समय आदि का बोध करते है जिससे हम अपने कार्यों का सुगमता पूर्वक समापन द्वारा सफलता की प्राप्ति करते हैं।