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हीरा (Diamond)

heera ratna diamond stone

हीरा एक बेशकीमती रत्न है जिसका प्रयोग 15वीं सदीं तक केवल राजा रजवाड़ों द्वारा किया जाता था। यह सहस्रों वर्षों तक खान में तपने के बाद निर्मित होता है। इसमें एक दिव्य चमक होती है जो लोगों को अपनी आकर्षित करती है। इसे आभूषण के रूप में बड़े चाव से पहना जाता है। इसे संस्कृत में हरिक, चंद्रमणि, वज्रक, हीर, रत्न मुख्य अभेद आदि भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे डायमंड (Diamond) कहा जाता है।

हीरा कई प्रकार का होता है, साथ ही कई रंगों में भी मौजूद होता है। वर्तमान समय में मुख्यत: 6 किस्म के हीरों का प्रचलन है। इनमे हैं नीलासफेद, सफेद हल्काकैप, गहराकेप, हल्का भूरा और गहरा भूरा। अगर हीरे की शुद्धता की बात की जाए, तो इसे इसकी चमक के आधार पर तय किया जाता है। मुख्यतः हीरा तीन प्रकार का होता है, जैम हीरा, पीला हीरा और औद्योगिक हीरा। इन सभी हीरों में सबसे शुद्ध गुणवत्तापूर्ण हीरा पीलापन लिए चमकदार और पारदर्शी होता है, तो वहीं सबसे कीमती हीरा लगभग रंगीन सुस्पष्ट लाल नीलापन लिए होता है।

हीरा और इसका ज्योतिषीय तथ्य

वैदिक ज्योतिष के अनुसार हीरा रत्न शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है। यह अत्यंत प्रभावशाली एवं चमकदार स्टोन है जो भिन्न-भिन्न आकारों में उपलब्ध है। इसके छोटे से छोटे नग अत्यंत ही कीमती होते हैं।

हीरे को महिलाओं का प्रिय रत्न माना जाता है। स्त्रियों को इसके पसंद आने के पीछे ज्योतिषीय तथ्य यह है कि शुक्र स्त्री कारक ग्रह होता है। इसका सम्बन्ध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र प्यार, सुंदरता, आकर्षण, वैवाहिक जीवन और सुख-समृद्धि का अधिपति ग्रह है। जिन जातकों की कुंडली में यह ग्रह प्रभावशाली होता है, उनके लिए हीरा पहनना बेहद शुभ फलदायी होता है। ऐसे जातकों को उनके जीवन के सभी ऐश्वर्य, सुख और भोग-विलास के साधन आसानी से मिल जाते हैं। इतना ही नहीं हीरे का सम्बन्ध व्यक्ति के वैवाहिक जीवन से भी होता है। यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति एवं खुशहाली तथा उज्ज्वल भविष्य प्रदान करता है।

शुक्र ग्रह को कला आदि का भी कारक माना जाता है। कलात्मक क्षेत्र से जुड़े लोगों जैसे गायक, नर्तक, लेखक आदि को हीरा धारण करना चाहिए। यह आपकी सुख-समृद्धि एवं मान-सम्मान में वृद्धि कर उन्नति के मार्ग प्रशस्त करता है। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र की स्तिथि बेहद कमजोर है, अथवा अन्य पाप ग्रहों इसमें मिले हुए हैं, और वे जातक अगर हीरा पहन लेंगे तो उन्हें ठीक इसके उलटे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इसलिए ऐसी मान्यता है कि चाहे हीरा हो या अन्य कोई भी रत्न, इन सभी के ग्रहण से पूर्व किसी सिद्ध ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाएँ और उनकी उचित सलाह के अनुसार ही किसी भी रत्न आदि का धारण करें।

हीरा रत्न के संरचनात्मक विश्लेषण

हीरा एक प्राकृतिक खनिज है जिसे 9 रत्नों में से एक अमूल्य रत्न की संज्ञा दी गयी है। यह एक पारदर्शी रत्न है जो रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्ध रूप है। यह सभी रत्नों में सबसे कठोर खनिज होता है। यह इतना कठोर होता है कि लगभग सभी प्रकार के धातु, रत्न आदि की कटाई, छटाई कर विशेष आकृति प्रदान करने में भी सहायक सिद्ध होता है। इसी कारण इसका प्रयोग आभूषण से जुड़े उद्योगों में किया जाता है।

हीरा केवल सफ़ेद रंग में ही नहीं आता, अपितु  अशुद्धियों के कारण ये नीले, हरे, पीले व काले रंग में भी उपलब्ध होता है। इनमे से हरे रंग का हीरा मिलना मुश्किल होता हैं क्योंकि यह सबसे दुर्लभ होता है। हीरे की रासायनिक प्रकृति अनुसार यह निष्क्रिय होता है एवं सभी घोलकों में अघुलनशील होता है। इसका घनत्व 3.51 होता है। बहुत अधिक चमक होने के कारण हीरे को जेवर आदि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह उष्मीय किरणों के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए इसका प्रयोग थर्मामीटर में भी किया जाता हैं।

हीरा धारण करने की विधि

शुक्र देव का रत्न हीरा है। इसे धारण करने हेतु 0.50 से 2 कैरेट तक के हीरे को चाँदी या सोने की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार दिन को सूर्योदय के बाद अंगूठी को दूध, गंगा जल, शक्कर और शहद से स्नान करा दें और प्रार्थना करे कि "हे शुक्र देव, मै आपका आशीर्वाद एवम शुभ फल प्राप्त करने के हेतु आपके प्रतिनिधि रत्न हीरे का धारण कर रहा/रही हूँ। कृपा कर हमें अपना आशीष प्रदान कर अनुगृहीत करें।" तत्पश्चात अंगूठी को निकाल कर "ॐ शं शुक्राय नम:" मन्त्र का 108 बार उच्चारण करें जिसके बाद अंगूठी को धन की देवी माँ लक्ष्मी जी के चरणों से लगाकर कनिष्टिका या मध्यमा ऊँगली में धारण करे!  

हीरे का प्रभाव 25 दिनों में आरम्भ होता है और लगभग 7 वर्ष तक अपना पूर्ण प्रभाव देता है, फिर निष्क्रिय हो जाता है। इसलिए 7 वर्ष के पश्चात् पुनः नया हीरा धारण करें। इसे धारण करने हेतु श्वेत हीरा सबसे शुभ माना जाता है। इसे धारण करने के पश्चात ध्यान रखें कि रत्न पर कोई दाग-धब्बा आदि न लगें।

हीरा रत्न के शुभ-अशुभ परिणाम

शुभ लाभ

  • प्रेम और दाम्पत्य जीवन में शुभ फल प्राप्ति हेतु अपनी अनामिका अंगुली में ही हीरा धारण करें।
  • इससे बुद्धि-बल व स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसे धन-वैभव और वंश वृद्धि होती है। हीरा पहनने से स्तम्भन होता है और काम-क्रीड़ा में मादकता आ जाती है।
  • यह शुक्र ग्रह के शुभ परिणामो को बढ़ाता है, साथ ही सांसारिक भोग में आ रही बाधाओं को दूर करता है।

अशुभ

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दाग या टूटा हुआ हीरा धारण करने से नुकसान होता है। 21 साल की उम्र के बाद और 50 साल से पहले ही हीरा पहनना अच्छा माना जाता है।
  • मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न के जातकों का हीरा पहनना अशुभ होता है।
  • हीरा धारण करने वाले जातकों को भूलकर भी मोती, माणिक्य या पीला पुखराज साथ-साथ धारण नही करना चाहिए। यह अशुभ फलदायक हो सकता है।

उम्मीद है आपको हमारा यह रत्न विशेष लेख पसंद आया होगा। एस्ट्रोकाका पर दिए गए लेख केवल आपके अध्ययन के लिए दिए गए हैं। हमारे दिए गए उपायों अथवा अन्य किसी भी लेख पर अमल करने से पहले किसी प्रसिद्द ज्योतिष से परामर्श अवश्य कर लें।

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