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मांगलिक दोष के उपाय (Manglik Dosh)

Manglik Dosh Ke Upay

संस्कृत का अति प्राचीन लघु सूत्र है 'अति सर्वत्र वर्जयेत।' इसका हिंदी अर्थ यह है कि अति सभी जगह वर्जित है। अति यानी आवश्यकता से अधिक का परिणाम सर्वदा हानिकारक ही होता है। जैसे कि आपकी कुंडली में मंगल का अधिक होना यानी मांगलिक दोष। दरअसल जब आपकी कुंडली में मंगल ग्रह अधिक प्रभावी हो जाता है तो यह मांगलिक दोष में का स्वरूप ले लेता है। जिसका विशेष प्रभाव विवाह संबंधी मसलों में दिखता है। तो आइए जानते हैं कैसे उत्पन्न होता है मांगलिक दोष एवं क्या है इसके निवारण हेतु उचित उपाय-

कैसे बनता है मंगल अमंगलकारी?

ज्योतिषीय गणना अनुसार किसी भी जातक की कुंडली के लग्न भाव में यदि मंगल चतुर्थ, सप्तम, आठवें या बारहवें भाव में होता हो तो यहां अति प्रभावी हो जाता है जिससे मांगलिक दोष उत्पन्न होता है। इसका प्रभाव तब अत्यधिक बढ़ जाता है जब मंगल लग्न के आठवें भाव में मौजूद हो। तब यह अपने दुष्प्रभाव से जातक को ग्रसित कर देता है। विशेष तौर पर जब घर में शादी सम्बंधित बात हो तो इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है।

ज्योतिषों की मानें तो यदि मांगलिक दोष लड़के की कुंडली पर हो तो यह कुछ सामान्य उपाय से भी समाप्त हो जाता है अथवा कई बार 28 वर्ष की उम्र के बाद भी स्वयं ही समाप्त हो जाता है। किंतु वही जब यह दोष किसी कन्या की कुंडली पर अपना कब्जा जमा कर रखता है तो इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है एवं यह अत्यंत ही कष्टकारी रहता है। ऐसी स्थिति में कन्या के विवाह में अनेकानेक अड़चनें आती है। अगर विवाह हो भी जाता है तो भी उसके पश्चात उनके वैवाहिक जीवन में रोज नए-नए कलह-क्लेश उत्पन्न होते हैं। कई बार बात तो कन्या के सुहाग के प्राण तक पर आ जाती है।

हालांकि ज्योतिष शास्त्र में ग्रह गोचरों के परिवर्तन की कुछ ऐसी ज्योतिष्य विधाएं हैं जिससे इस दोष का समापन किया जाता है अथवा यह दोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है।

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आइए जानते हैं ऐसे ज्योतिषिय परिवर्तनों को-

  • माना जाता है यदि मंगल मेष, कर्क, वृश्चिक या मकर राशि में हो तो परिपक्व होने तक में यह दोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है। कभी-कभी 28 वर्ष की उम्र के बाद जातक की कुंडली से स्वयं ही मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
  • यदि किसी लड़की की कुंडली में मांगलिक दोष हो तो कई बार उसके निवारण हेतु विवाह से पूर्व उसका पीपल के पेड़ से विवाह अथवा कुंभ विवाह, शालिगराम विवाह आदि करवाया जाता है। तत्पश्चात जातक द्वारा मंगल यंत्र की विधिवत तौर-तरीके से पूजन करने से मांगलिक दोष का प्रभाव लगभग समाप्त हो जाता है।
  • जब मांगलिक दोष से पीड़ित जातक की कुंडली के मंगल पर शनि अपना दृष्टिपात करता है तो मांगलिक दोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त मकर लग्न की मकर राशि का मंगल और कर्क राशि का चंद्र जब सप्तम स्थान में होता है, तो मांगलिक दोष का प्रभाव घटते-घटते समाप्त हो जाता है।
  • जब किसी जातक की कुंडली के केंद्र में चंद्रमा 1, 4, 7 अथवा 10वें भाव में हो तथा कुंडली के मंगल वाले स्थान के अतिरिक्त अन्य स्थानों में पाप ग्रह हो तो मांगलिक दोष स्वयं ही पूर्ण रूपेण समाप्त हो जाते हैं।
  • यदि मंगल जातक की कुंडली में वक्री चाल के साथ नीच और अस्त की स्थिति में होता है तो मांगलिक दोष का प्रभाव जीवन पर नहीं पड़ता।
  • यदि विवाह योग्य वर अथवा कन्या में से कोई एक मांगलिक हो और दूसरे की कुंडली के तीसरे, छठे अथवा ग्यारहवें के भाव में राहु, मंगल या शनि विराजमान होता है तो मांगलिक दोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है।   

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मांगलिक दोष निवारण हेतु कुछ सामान्य एवं सिद्ध उपाय

  • महामृत्युंजय मंत्र का वर्णन हिंदू धर्म के सभी शास्त्रों में मिलता है। यह एक ऐसा मंत्र है जो जीवन के सभी कष्टों को हर लेता है। हर पीड़ा एवं बाधाओं की यह अचूक औषधि है। अतः महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करें। इससे मांगलिक दोष के प्रभाव धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाएंगे।
  • माँ गौरी को मांगलिक दोष के प्रभाव को घटाने में सिद्ध माना जाता है। अतः हर शुक्रवार को माँ गोरी के मंगला अवतार गौरी मंगला की अराधना करें एवं कुंवारी कन्याओं को भोजन वस्त्र आदि प्रदान करें।
  • मंगल की स्थिति सूर्य के समीप होती है, यह सूर्य से चौथे स्थान पर होता है जिस कारण यह इसका रंग लाल एवं यह गर्म प्रवृत्ति का होता है। मांगलिक दोष से पीड़ित जातक प्रायः अति क्रोधी स्वभाव के होते हैं जिस कारण इनके कई कार्य भी बिगड़ जाते हैं। अतः मांगलिक दोष से पीड़ित जातक अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें, वासना आदि से दूर रहने की चेष्टा करें। मानसिक शुद्धता एवं शांति बनाये रखें, अपने व्यवहार में सकारात्मकता लाने की चेष्टा करें। इससे आपके मांगलिक दोष के प्रभाव में कमी आएगी।
  • आप अपनी वस्तुओं में अधिकाधिक मंगल के रंग अर्थात लाल रंग के प्रयोग की चेष्टा करें। ध्यान रहे आप अपने इर्द-गिर्द का औरा लाल रंग का रखें किंतु लाल रंग के वस्त्र आदि का धारण ना करें अन्यथा लाल रंग का क्रोधी और गहरा प्रभाव आपकी प्रकृति पर अपना असर दिखाएगा जिससे मांगलिक दोष के प्रभाव घटने की बजाय बढ़ सकते हैं।
  • गाय, कुत्ते, बंदर आदि को भोजन कराएं। गुड़, चना आदि का बंदरों को सेवन कराना आपके लिए लाभप्रद साबित होगा। संभव हो तो प्रातः काल चिड़ियों को दाना भी डालें एवं प्रकृति को प्रसन्न रखने की चेष्टा करें।
  • गीता में वृक्षों के संबंध में कहा गया है 'वृक्षानाम् साक्षात अश्वत्थोहम्ं' अर्थात वृक्षों में मैं पीपल का पेड़ हूँ। इस कारण ज्योतिष शास्त्रों में यह वर्णन है कि यदि किसी भी कन्या के विवाह के पूर्व उसका विवाह प्रतीकात्मक स्वरूप में पीपल के वृक्ष से करवा दिया जाता है, तो कन्या की कुंडली से सभी दोष आदि समाप्त हो जाते हैं एवं उसके जीवन में सकारात्मक एवं मधुर फल उत्पन्न होने लगते हैं। कुछ लोग पीपल की जगह केला, आम, बरगद, तुलसी आदि से कन्या के विवाह संबंधित कार्य को संपन्न करते हैं जो निष्क्रिय एवं अप्रभावी रहता है। चूँकि शास्त्रों में इसके संबंध में कहीं भी कोई चर्चा नहीं की गई है।
  • अपने पूजन स्थल पर केसरिया रंग के गणपति की मूर्ति को स्थापित करें एवं उसकी नियमित पूजा आराधना करें।
  • प्रतिदिन भगवान श्री हनुमान की चालीसा का पाठ करें एवं उनकी पूजा-अर्चना करें। भगवान हनुमान से सभी प्रकार के दोष संकट आदि को हरने हेतु विनंती करें।

ये उपाय बने सकते है मुसीबत

  • प्रायः ऐसा देखा जाता है कि मांगलिक दोष के निवारण हेतु व्यक्ति को मूंगा रत्न पहनने की सलाह दी जाती है जबकि मूंगा हर व्यक्ति के ग्रह गोचर की स्थिति के अनुरूप नहीं होता। कई बार मूंगा जातक के लिए भारी नुकसान देह भी साबित हो जाता है, इसकी वजह से अन्य परेशानियां जीवन में आरंभ हो जाती हैं।
  • सामान्य तौर पर मांगलिक दोष के निवारण हेतु लोग मंगली व्यक्ति के मंगल की शांति करा देते हैं जिससे आपके जीवन में मंगल द्वारा होने वाले सारे शुभ परिणाम एवं प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं जिससे जीवन में और भी अधिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
  • मांगलिक दोष के निवारण हेतु मांगलिक व्यक्ति की शादी किसी घड़े, मूर्ति आदि से कराने का भी विधान है। किंतु इसकी सत्यता अथवा प्रभाव के संबंध में कहीं भी पुष्टि नहीं मिलती है।

ध्यान रहे, किसी भी उपाय को अपनाने के पूर्व आप अपनी कुंडली के ग्रह गोचरों की स्थिति, ज्योतिषीय गणना, भाव आदि के संबंध में पूरी जानकारी रखें, तभी किसी उपाय को अपनाने की चेष्टा करें। मांगलिक दोष जैसी समस्याओं के निदान हेतु आपको किसी सिद्ध ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखावाकर उचित परामर्श अनुसार कार्य करने चाहिए।