शनि भगवान सूर्य के पुत्र हैं। सूर्य संपूर्ण सृष्टि का परिचालक है, अतः शनि अत्यंत ही प्रभावशाली और सृष्टि की क्रियाकलापों पर दृष्टि रखने वाले देव माने जाते हैं। भगवान शनि बोलचाल की भाषा में न्याय के देवता भी माने जाते हैं।
माना जाता है कि शनिदेव प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार सटीक व उचित फल देते हैं। शनिदेव का नियम है जो जैसा करता है, उसे वैसा भरना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में शनि को क्रूर देवता के रूप में अंकित किया गया है। सभी देवों में सबसे जल्दी क्रोधित होने वाले देवों में शनि ईष्ट है। शनि की कृपा जहाँ एक ओर रंक प्राणी को राजा बना देती है, तो वहीं दूसरी ओर उनकी कुदृष्टि धनवान को भी फटे हाल पर लाकर रख देती है।
शनि ग्रह और इसका ज्योतिष दृष्टिकोण
शनि प्राकृतिक कर्मों में संतुलन स्थापित रखते हैं। ज्योतिष शास्त्रों में मनुष्य की जन्मकुंडली आदि के बारे में बताया गया है जिसमें ग्रह गोचरों में शनि की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा गया है कि किसी भी जातक से जब शनि कुपित रहते हैं, तो उसकी कुंडली में साढ़ेसाती अथवा ढैया लगता है जिससे जातक के जीवन में आए दिन अनेकानेक परेशानियां आती रहती हैं। कईं बार तो शनि के प्रकोप से बात जीवन पर भी बन आती है। अतः शनि के दुष्प्रभाव से बचने हेतु यहाँ कुछ उपाय बताए जा रहे हैं, जिनका अगर आप पुरे नियम से पालन करते हैं तो आप पर शनि की कृपा दृष्टि बनी रहेगी एवं आप सभी उलझनों से बचे रहेंगे। तो आइए जानते हैं ये उपाय।
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मंत्रोपाय
शनि ग्रह की शांति हेतु नित्य प्रतिदिन 108 निम्न दिए गए मंत्र का जाप करें या फिर अनुष्ठान के रूप में 23000 बार इस शनि मंत्र का जाप करें। शास्त्रों में निहित है कि देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार आज के दौर में इस मंत्र का कम से कम 92000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:'।
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इसके अत्तिरिक्त शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का भी जाप कर सकते हैं, ताकि शनिदेव प्रसन्न रहे और शनि ग्रह के प्रकोप से आप बचें रहें।
ॐ शं शनिश्चरायै नमः!
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दान
दान करना परोपकार का कार्य माना जाता है जिसका फल दीर्घकालिक होता है। इससे दूसरों को तृप्ति मिलती है और हमें आत्म संतुष्टि। अतः दान आवश्यक है। भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपयुक्त पदार्थ बताए गए हैं, जिनके दान से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि हम पर बनाए रखते हैं। इसके लिए प्रत्येक शनिवार को नीलम, सोना, लोहा, उड़द, कुलथी, तेल, काला कपड़ा, काला फूल, कस्तूरी, काली गौ, भैंस, खड़ाऊ इत्यादि का अपनी क्षमता के अनुसार दान करें।
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ॐ तत्पुरुषाय विद्महे।
महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।।
उम्मीद है आपको एस्ट्रोकाका पर ऊपर दिए गए उपाय पसंद आये होंगे। हम आशा करते हैं कि इन उपायों को करने के बाद आप भी अपने जीवन से शनिदेव द्वारा दिए गए कष्टों का निवारण कर पाएंगे।