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Festivals Calendar June 2021: जून में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहारों की सूची एवं उनका महत्व

Hindu Festivals and Vrats Calendar June 2021

भारत में व्रत त्यौहार का क्या महत्व है, यह हम सभी जानते हैं। कहा जाता है भारत में सबसे ज्यादा पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं।

हमारे देश की खासियत है कि यह सालों भर अलग-अलग जाति और धर्म समुदाय के लोग अनेकों तरह के त्योहारों को अपनी संस्कृति का एक अभिन्न अंग मानते हैं, और यही वजह है कि हमारी संस्कृति अद्वितीय एवं अतुलनीय है।

हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़े इन त्योहारों की खास बात यह है कि भले ही आसपास साधन ना मौजूद हो, पर मन में उल्लास और आनंद अवश्य रहता है। तो आइए देखें कि इस बार जून माह 2021 में कौन-कौन से व्रत एवं त्यौहार खास रूप से मनाए जाएंगे।

2 जून: कालाष्टमी

जून माह की 2 तारीख को कालाष्टमी का यह पावन व्रत मनाया जाएगा। हिंदू मान्यता के अनुसार यह व्रत बाबा भैरव को खुश करने के लिए रखा जाता है। हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार कालाष्टमी का यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टम तिथि को रखा जाता है। मान्यता यह है कि जो जातक इस दिन बाबा भैरव की पूजा करता है, उसे यश मिलता है।

6 जून: अपरा एकादशी या अचला एकादशी

जून माह के छठवें दिन यानी कि 6 तारीख को अपना एकादशी का व्रत रखा जाएगा। तदानुसार हिंदू धर्म पंचांग, जेष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादश को होता है। यदि हिंदू मान्यताओं के अनुसार समझे तो अपरा एकादशी या अचला एकादशी का यह व्रत नारायण अवतार भगवान श्री विष्णु जी के लिए रखा जाता है, और इस दिन पूजा करने से श्री नारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

7 जून: सोम प्रदोष व्रत

हिंदू धर्म के पंचांग / कैलेंडर के हिसाब से, प्रति माह त्रयोदश तिथि को प्रदोष व्रत के नाम से व्रत रखा जाता है। इस बार जून की सातवीं तारीख को यह व्रत रखा जाएगा। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और शिव जी की पूजा आराधना करने से मन के सारे पाप धुल जाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं सिद्ध होती है। इसके अतिरिक्त वे रोगों और कष्टों से मुक्त हो जाते हैं, इसीलिए इस दिन की खास महत्ता है।

8 जून: मासिक शिवरात्रि

हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले महाशिवरात्रि पर्व का महत्व तो सभी जानते हैं, उनके लाभ और सिद्धियों के बारे में बहुत चर्चाएं हैं। वैदिक मान्यता के अनुसार इसी दिन सती और शिव जी का विवाह हुआ था, इसीलिए शिवरात्रि का यह दिन शुभता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन साल भर के प्रत्येक माह में पड़ने वाले मासिक शिवरात्रि का भी अपना एक अलग ही महत्व होता है। इसी प्रकार हिंदू पंचांग के अनुसार जेष्ठ माह यह मासिक शिवरात्रि जो हर महीने मनाई जाती है, 8 जून को रखी जायेगी। सनातन पंचांग के अनुसार देखें, तो मासिक शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्षी तिथि चतुर्दश को मनाई जाती है।

10 जून: सूर्य ग्रहण

इस बार जून माह में पड़ने वाले व्रत त्यौहारों के अलावा जून की दसवीं तारीख को आने वाले सूर्य ग्रहण का भी खास महत्व है। इस बार जेष्ठ माह के अमावस वाले दिन सूर्य में ग्रहण लगेगा। इस बार इस सूर्य ग्रहण की खास बात यह है, यह ग्रहण हमारे देश भारत में नहीं देखा जा सकेगा, इसीलिए हर बार लगने वाले ग्रहण सूतक की कोई मान्यता नहीं होगी।

10 जून: वट सावित्री व्रत एवं शनि जयंती

हिंदू धर्म की ऐसी कौन सी महिला है जो इस व्रत के बारे में नहीं जानती। इस बार जून माह की दसवीं तारीख को पड़ने वाला यह वट सावित्री व्रत विवाहित नवविवाहित महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है। हिंदू धर्म मे वट सावित्री पूजा को लेकर कथा है कि सती सावित्री ने अपने सुहाग को बचाने के लिए अपने पतिव्रता धर्म को नहीं छोड़ा और यमराज से लड़कर उसे वापस लेकर आई थी। इसीलिए इस दिन बरगद की पूजा करने और सती सावित्री होने के वचन के साथ महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा एवं उनकी समृद्धि का वरदान मांगती हैं। और कहा जाता है कि यह वरदान कभी विफल नहीं जाता।

इसके अलावा इस माह 10 जून को ही शनि जयंती के नाम से प्रसिद्ध पर भी मनाया जाने वाला है। वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष ही सनातन ज्येष्ठ माह में अमावस के दिन शनि जयंती का व्रत रख देवता शनि की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत रखने से सारे दोष कट जाते हैं।

14 जून: विनायक चतुर्थी

सनातन पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी का यह व्रत वर्ष के प्रति माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि को भगवान श्री गणेश की पूजा उपासना करके मनाया जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता अपने भक्तों के सारे गुण दोष कष्ट हर लेते हैं और उनकी सिद्धि बुद्धि को उज्जवल बना देते हैं, साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं सिद्ध करते हैं। इस बार जून महीने में गणेश चतुर्थी का व्रत 14 जून को मनाया जाएगा।

19 जून: महेश नवमी

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्ष तिथि नवम को हम महेश नवमी के व्रत के रूप में मनाते हैं। और यह व्रत इस बार 19 जून को पड़ रहा है। वैदिक कथाओं के अनुसार इसी दिन माहेश्वरी समाज का जन्म एवं अस्तित्व पदार्पण हुआ था और उनको भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ था, इसीलिए इस दिन को माहेश्वरी नवमी के रूप में मनाया जाता है।

20 जून: गंगा दशहरा

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ के महीने की दसवीं तिथि को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा का यह पर्व हिंदू सभ्यता और संस्कृति में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सनातन धर्म के वेदों में यह मान्यता है कि इसी दिन माँ गंगा का अवतरण स्वर्ग के मार्ग से पृथ्वी पर हुआ था। इस पर्व को मनाने और पवित्र नदी गंगा में स्नान करने से हमें कुंठित विचारों से मुक्ति मिलती है तथा इस दिन कुछ दान-पुण्य करने का भी हमें विशेष लाभ मिलता है।

21 जून: निर्जला एकादशी एवं गायत्री जयंती

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खासा महत्व माना जाता है, और खासकर निर्जला एकादशी की तो महिमा ही अद्वितीय है। ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्षी एकादश तिथि को निर्जला एवं सैनी एकादशी के तौर पर व्रत रखे जाते हैं। निर्जला यानी कि निर्जल, अर्थात वैसा व्रत जिसमें जल ग्रहण करना भी मना है। इस दिन लोग बिना एक बूंद जल अन्न ग्रहण किए भूखे प्यासे रहकर भगवान श्री विष्णु जी की की भक्ति और आराधना करते हैं। कहा जाता है इस दिन सच्चे मन से कुछ मांगने पर हमारी मनोकामना है सिद्ध होती हैं। इस बार यह व्रत 21 जून को मनाया जाएगा।

इस व्रत के अलावा 21 जून को ही गायत्री जयंती के नाम से प्रसिद्ध समग्र भारत वर्ष मनाया जाने वाला पवित्र पर्व भी शामिल है। यह दिन माँ गायत्री की जयंती के रूप में मनाया जाता है जिन्हें हम वेदों की देवी एवं वेदों के ज्ञाता और धारणकर्ता के रूप में पूजते है। सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार गायत्री जयंती का यह विशेष पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के एकादश तिथि को पूरे हर्षोल्लास एवं आनंद के साथ मनाया जाता है। जून की इस महीने में जयंती का यह पर्व 21 जून को मनाया जाएगा।

22 जून: भौम प्रदोष व्रत

तदानुसार हिंदू पंचांग, यह प्रदोष व्रत वर्ष के प्रति माह की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिवजी की आराधना अर्चना करके मनाया जाता है। वैदिक परंपराओं के अनुसार यह मान्यता है कि इस दिन शिवजी की पूजा करने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं, रोगों से मुक्ति मिलती है एवं हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस साल 22 जून को यह व्रत रखा जाएगा।

24 जून: ज्येष्ठ पूर्णिमा एवं कबीरदास जयंती

24 जून को पड़ने वाली इस पूर्णिमा का भी खास महत्व है। मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के इस पावन दिन में स्नान-दान को धर्मसंगत एवं विधान कर्म बताया गया है जिससे इस दिन गंगा स्नान करने से चंद्रदेव अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं।

तथा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन यानी कि 24 जून को ही इस बार कबीरदास जयंती भी मनाई जाएगी। इसी दिन महान संत कबीर दास का जन्म हुआ था। उनके दोहे तो विश्व विख्यात है जिसे शायद ही किसी भारतीय ने नहीं पढ़ा हो।