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29 सितंबर को शनि हो रहे हैं मार्गी, जानिये लाल किताब के अनुसार किस राशि पर पड़ेगा प्रभाव और उनसे बचने के उपाय

Shani Margi 29 September 2020 Upay from Lal Kitab

शनि एक ऐसा ग्रह है है जिसका नाम सुनते ही लोग अपने द्वारा बनाई गई विभिन्न धारणाओं को सोच कर कर भयभीत हो जाते हैं। इनको अधिकतम लोग श्रापित व अशुभ ग्रह की दृष्टि से भी देखते हैं। कहा जाता है कि इनकी अशुभ दृष्टि से जातक का जीवन दुखमय हो जाता है, वह सदा प्रतिकूल परिस्थितियों से घिरा रहता है जिस कारण लोग शनि को क्रूर ग्रह भी कहते हैं। लाल किताब के अनुसार शनि की न्यायपालिका सर्वोपरि होती है, इसलिए इन्हें न्याय के स्वामी के रूप में भी देखा जाता है। लाल किताब के कहे अनुसार शनि कर्मों के आधार पर ही किसी भी जातक के जीवन पर प्रभावशाली होते हैं, इसलिए हमें हमारे कर्म को श्रेष्ठ करने की की सलाह व सुझाव लाल किताब ने दी है और शनि का गोचर इसी प्रकार मानव जीवन पर अधिक प्रभावशाली होता है।

न्यायाधिपति ग्रह शनि दिनांक 29 सितम्बर 2020, मंगलवार के दिन प्रातः 10:44 पर मकर राशि व शतिभिषा नक्षत्र में मार्गी होंगे। दिनांक 29 सितंबर 2020 को यह 142 दिन की अपनी अपनी की अपनी अपनी वक्री चाल को तय कर व संपूर्ण सृष्टि को प्रभावित कर मार्गी हो रहे हैं। शनि 11 मई 2020 को प्रातः 9:40 सोमवार के दिन वक्री अवस्था में चले गए थे। इन 142 दिनों में शनि ने बहुत लोगों को विपरीत परिस्थितियां और प्रतिकूल अवस्थाओं का शहद चखाया। इस समय पूरा विश्व कोरोना के कहर से पीड़ित था और आज भी कई देश इस महामारी की चपेट में हैं। इस दौरान शनि ने भी जातकों के जीवन में प्रभावी होकर कड़ी परीक्षा ली जिसके चलते लोगों को आर्थिक, शारीरिक व अन्य तरह की कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, किंतु उन जातको के लिए यह राहत का विषय है जिनकी राशि में शनि हावी थे।

लाल किताब के अनुसार शनि का राशि परिवर्तन का मार्गी बहुत ही लोकप्रिय व् प्रचलित है। शनि अपना एक चक्र सामान्यतः 30 वर्षों में पूर्ण करते हैं व 2 से ढाई साल के भीतर राशियों में गोचर करते हैं। इसी प्रकार 24 जनवरी को शनि ने धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश किया था, मई 11 को यह अपनी वक्री चाल से 29 सितंबर 2020 को एक बार दोबारा मार्गी होंगे।

लाल किताब के अनुसार दसवें भाव में शनि का स्वामित्व माना गया है। इससे कई राशियाँ इनके प्रभाव से मुक्त हो जाएंगी किंतु कुछ राशि जैसे कन्या और तुला राशि पर इनका प्रभाव आरंभ होगा जिससे इन राशि के जातकों के लिए यह कड़ी मुश्किलों व् विपत्तियों का समय भी हो सकता है। आइए लाल किताब के अनुसार जानते हैं कि किस प्रकार हम शनि के मार्गी होने से पड़ रहे जातकों की राशि पर दुष्प्रभाव से कैसे बच सकते हैं, व जानते है लाल किताब के अनुसार बताए गए शनि के दुष्प्रभाव से बचने के कुछ सुझाव व उपायों के बारे में।

1) धन लाभ हेतु आपको काजल या सुरमा एक उपकरण में रखकर कहीं सुनसान जगह पर दबाना चाहिए।

2) खाने के लिए बनी रोटियों में से में से पहली और आखरी रोटी को को कुत्ते व गाय को खिलाना चाहिए व उन रोटियों पर सरसों का तेल लगाकर किसी जानवर को खिलाने से आपके लिए अधिक लाभकारी होगा।

3) शनिवार के दिन आपको नियमानुसार तेल व व नारियल को चढ़ाना चाहिए व छाया दान की प्रक्रिया को पूर्ण करना चाहिए।

4) कहते हैं सहृदय जो व्यक्ति तिल, सरसों का तेल, उड़द की दाल व काले वस्त्र आदि सामान को दान में देता है, उसकी सभी परेशानियों का आसानी पूर्वक निदान होता हैं।

5) आपको अपने कर्मों को शुद्ध कर अच्छे आचरण को धारण करना चाहिए व जीव हत्या का भोज नहीं करना चाहिए। मदिरा व गलत खानपान से मीलों दूर रहना चाहिए।

6) किसी भी ऐसे कार्य को ना करें जिसमें आपको किसी से पैसे उधार लेने पड़े व कुकृत्य जैसे जुआ, सट्टा आदि से दूर रहना चाहिए।

7) अपने रिश्तो की बागडोर विश्वास के सहारे टिकी होती है, इसलिए अपने रिश्तेदारों व परिवार जनों पर विश्वास रखना चाहिए, व एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। पति-पत्नी के मध्य भरोसा, वफादारी, विश्वास की दीवार मजबूत होनी चाहिए।

8) नित ईश्वर की आराधना कर आपको ईश्वर से अपने मंगल भविष्य की कामना करनी चाहिए व प्रतिदिन बजरंग बाण व श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

9) इस दौरान आपको अपनी सभी चीजों को सुव्यवस्थित व उचित स्थान पर रखना चाहिए। अपने शरीर में दांत, पैर, हाथ आदि को अच्छी तरह से साफ रखना चाहिए।

10) आपके काम करने का तरीका किसी पर अच्छा या बुरा प्रभाव डालता है। उसी के आधार पर वह व्यक्ति आपकी धारणा स्थापित करता है। इसलिए आपको ईश्वर के द्वार में प्रवेश करने से पूर्व अपने सर पर कपड़ा रखकर ही जाना चाहिए, अर्थात अपने सर को ढककर प्रवेश करना चाहिए।

11) आपको अपनी वाणी को सुसंगती से सुसज्जित कर सन्मार्ग पर अग्रसर करना चाहिए। झूठ, छल, कपट आदि से दूर रहकर श्रेष्ठ वचन हेतु इसका प्रयोग करना चाहिए।

12) भूलकर भी अपनों से बड़ों का कभी अनादर नहीं करना चाहिए। पिता-पुत्र के मध्य हमेशा सुखद संबंध होना चाहिए और प्रेम भावना व्याप्त रहनी चाहिए।

13) जातक को ईश्वर की निस्वार्थ् भाव व् सहृदय आराधना करना चाहिए। अपने मन और हृदय में कोई भी ईश्वर के प्रति सवाल व् आकांक्षा नहीं होना चाहिए। हर वक्त ईश्वर में लीन रहना चाहिए।

14) बहते पानी में शराब व मदिरा को चढ़ाना चाहिए व दूध, दही का तिलक मस्तक पर धारण कर, उसका दान करना चाहिए।

15) सांप को दूध पिलाना और काले कौवे को दाना चुगने के लिए डालना चाहिए।

16) आसपास के निर्धन, गरीब व् अपंग लोगों की सहायता व सेवा करनी चाहिए, उन्हें खुश रखने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए।

17) शनिवार को शहद व गुड़ का भोजन करना चाहिए। तत्पश्चात शहद व गुड़ में तिल मिलाकर उसे किसी भी मंदिर व पवित्र स्थल में दान देना चाहिए।