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चंद्र ग्रहण जुलाई 2020 : क्या है गुरु पूर्णिमा का योग और ग्रहण से बचाव

Lunar Eclipse on Guru Purnima 5 July 2020 Time and Coincidence

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा की तिथि 5 जुलाई की है।

5 जुलाई 2020 को गुरु पूर्णिमा के साथ चंद्रग्रहण का भी योग बताया जा रहा है। यह चंद्रग्रहण अब तक इस वर्ष का भारत में लगा हुआ तीसरा चंद्रग्रहण होगा। कुछ दिन पहले सूर्य ग्रहण एवं उनके प्रभाव को हम सभी ने देखा था जो भारत वर्ष हेतु अत्यंत ही दुष्प्रभावी साबित हुआ। इसके साक्षात परिणाम आपको चीन विवाद, नेपाल मामला, पाकिस्तानी आतंकवाद, सेनाओं की दुर्दशा, अचानक बढ़ता कोरोना महामारी का प्रकोप, आर्थिक मंदी आदि आदि भिन्न-भिन्न तौर पर दृश्यमान हो रहे हैं।

अतएव हम ज्योतिष शास्त्र एवं उनके कथनों से मुँह नहीं मोड़ सकते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी खगोलीय घटनाएं हर जातक के जीवन पर प्रभाव डालती हैं, यानी कि यह चंद्रग्रहण भी सभी के ऊपर अपना प्रभाव दर्शायेगा।

इस चंद्रग्रहण को गंभीरता से इसलिए भी लिया जा रहा है क्योंकि यह ग्रहण संयोगवश इस बार भी गुरु पूर्णिमा के दिन ही है। यह चंद्र ग्रहण, उपछाया चंद्र ग्रहण है। उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान केवल पृथ्वी की छाया ही चंद्रमा पर दृश्यमान होती है, इसलिए इसे पूर्ण ग्रहण ना कहकर उपछाया चंद्र ग्रहण के नाम से संबोधित किया जाता है।

आइए जानते हैं यह चंद्र ग्रहण कहां-कहां दृश्यमान होने वाला है।

चंद्रग्रहण अवधि, दृश्यकाल

इस वर्ष कुल 6 ग्रहण के योग हैं जिसमें से यह तीसरा चंद्रग्रहण है। यह चंद्र ग्रहण भारत में 5 जुलाई 2020 अर्थात गुरु पूर्णिमा वाली तिथि को प्रातः 8 बजकर 37 मिनट से आरंभ होकर 11 बजकर 22 तक बना हुआ रहेगा, यानी कि कुल मिलाकर 5 जुलाई को चंद्रग्रहण की अवधि 2 घंटे 45 मिनट 24 सेकंड तक बनी रहेगी। यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है जो भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, यूरोप तथा अमेरिका जैसे कुछ देशों में ही दिखाई देने वाला है।

ज्योतिषीय गणना एवं तिथि के अनुसार चंद्र ग्रहण कुल 12 राशियों में से किसी न किसी राशि में लगता है। इस बार का यह उपछाया चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगने जा रहा है, अतः यह चंद्रग्रहण मुख्य रूप से धनु राशि के जातकों को प्रभावित करेगा। इसके अतिरिक्त चंद्र ग्रहण का असर अन्य सभी राशियों पर भी दृश्य मान होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण की तिथि यानी 5 जून को सूर्य मिथुन राशि में गोचर करेगा, इसलिए यह मिथुन राशि के जातकों के लिए भी प्रभावी होगा। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण के गुरु पूर्णिमा की तिथि को लगने के संबंध में कुछ और बातें -

लगातार 3 वर्षों से गुरुपूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग

चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा के लग्न के संबंध में अगर कुछ खास तत्वों को अंकित किया जाए तो आप देखेंगे कि पिछले लगातार तीन वर्षों से गुरु पूर्णिमा की तिथि को चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। हालांकि इन 3 वर्षों से पूर्व भी कई बार चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा की तिथि समान रही है, किंतु पिछले 3 वर्षों से यह क्रम लगातार देखने को मिल रहा है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष गुरु पूर्णिमा की अवधि हेतु पूर्णिमा की तिथि 4 जुलाई 2020 को दोपहर 11 बजकर 33 मिनट से ही आरंभ हो रही है जो कि अगले दिन 5 जुलाई को सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक बनी रहेगी। इसी मध्य चंद्र ग्रहण का भी समय है। चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को प्रातः 8 बजकर 22 मिनट से आरंभ होकर सुबह 11 बजकर 22 मिनट तक बना रहेगा। वहीं पिछले वर्ष 2019 में चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा का सहयोग 16 जुलाई को दृश्य मान हुआ था तो उससे पिछले वर्ष 2018 में चंद्रग्रहण और गुरु पूर्णिमा की सामान्य तिथि 27 जुलाई की थी। इस वर्ष 5 जुलाई को भी ऐसा ही संयोग बना हुआ है।

5 जुलाई 2020 चंद्रग्रहण

खगोलीय घटनाओं के अनुसार अगर हम चंद्रग्रहण को समझने का प्रयत्न करें तो चंद्रग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा के ऊपर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है और इसी मध्य क्रमशः सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक क्रम में आ जाते हैं। इसी खगोलीय घटनाओं को चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक नाम तथा ज्योतिषीय नाम दिया गया है।

इस बार यानी कि गुरु पूर्णिमा की तिथि, 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण सामान्य चंद्र ग्रहण ना होकर उपछाया चंद्र ग्रहण है। यह उपछाया चंद्र ग्रहण, चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय स्थिति नहीं बनाती है, बल्कि इसमें सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी कुछ इस प्रकार आती है कि यह तीनों एक सिद्ध में दृश्यमान होते हैं। ऐसी स्थिति में पृथ्वी की हल्की छाया ही चंद्रमा पर पड़ पाती है। इसी कारण से इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहकर संबोधित किया जाता है। 5 जून को भी इसी प्रकार का चंद्र ग्रहण लगने वाला है।

गुरुपर्व व चंद्रग्रहण विशेष

गुरु पूर्णिमा अपने गुरु के प्रति भक्ति भावना एवं पात्रता दर्शाने का पर्व माना जाता है। इसे लगभग सभी धर्मों में बड़े ही हर्षोल्लास एवं श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा की तिथि महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाई जाती हैं। महर्षि वेदव्यास महाभारत जैसे महान ग्रंथ के रचयिता थे।

सामान्य रूप से 5 जुलाई को पूर्णिमा की तिथि होने के कारण आपको अपने घर में सत्यनारायण भगवान की पूजा उपासना करवानी चाहिए। पूर्णिमा की तिथि हेतु भगवान सत्यनारायण की पूजा उपासना को सर्वोत्तम माना जाता है।

पूर्णिमा की तिथि पर हवन-यज्ञ आदि कार्यक्रम भी अत्यंत ही शुभकारी एवं अधिक फलदाई माना जाता है। अतएव आज आप अपने घर हवन यज्ञ का कार्यक्रम करें।

5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के साथ-साथ उपछाया चंद्र ग्रहण लग रहा है, उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं माना जाता है, जबकि चंद्रग्रहण में 9 घंटे पूर्व काल से ही सूतक काल आरम्भ हो जाता है, जबकि सूर्य ग्रहण की अवधि में 12 घंटे पूर्व सूतक आरंभ हो जाता है।

उपछाया चंद्र ग्रहण का विशेष प्रभाव नहीं दिखता, अतः यह सामान्य चंद्रग्रहण की तुलना में कम प्रभावी आंका जाता है।

ग्रहण की काल अवधि के दौरान जप-तप आदि को श्रेष्ठ माना जाता है। ग्रहण के काल में जप-तप करने से व्यक्ति की ऊर्जाएं विस्तृत एवं फलित होती है, साथ ही आप पर सकारात्मक प्रभाव बना रहता है। गुरु पूर्णिमा के दिन हेतु भी जप-तप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है, ऐसे में आप अपने गुरु मंत्र अथवा इष्ट देव की पूजा आराधना करनी चाहिए।

ग्रहण की काल अवधि के दौरान पूजा-पाठ, अक्षत, पुष्प आदि से संबंधित कार्य क्रियाकलाप नहीं करना चाहिए।