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इन 9 मन्त्रों के जाप से होंगे सभी ग्रह शांत, मिलेगी सभी समस्याओं से मुक्ति

Chanting these 9 mantras will calm down all nine planets

सौरमण्डल में व्याप्त सभी ग्रहों की मानव जीवन में बहुत महत्ता है। ग्रहों की चाल व् उसकी दशा मानव जीवन में विभिन्न परिस्थितियों को वर्णित करने का कार्य करती है। जातक की कुंडली में ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव से मानव जीवन में यश, सुख, संपत्ति, धन-सम्पदा आदि को प्राप्त कर सकता है, तो वहीं इसके विपरीत प्रभाव से मानव को जीवन में अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। हिन्दू धर्म में ग्रहों के विपरीत प्रभावों से होने वाली परेशानियों से छुटकारा पाने हेतु इन नौ मन्त्रों का जाप करने का सुझाव दिया गया है। तो आइये जानते हैं सभी ग्रहों को शांत करने के अचूक मंत्र।

सूर्य

खगोल विज्ञान की दृष्टि से सूर्य  स्वयं के प्रकाश से प्रकाशवान है जो कि पृथ्वी के साथ-साथ अन्य ग्रहों को भी प्रकाशित करता है। इस अर्थ में यह गृह न होकर एक तारा बनता है किन्तु फिर भी सौर मंडल में इसकी ग्रहों में गढ़ना की जाती है। इसे सभी ग्रहों के राजा की उपाधि प्राप्त है। सूर्य ग्रह, सिंह राशि का स्वामी ग्रह माना जाता है। इसे सामान्यतः पाप गृह भी कहते हैं। सेहत की दृष्टि से देखे तो इसे हड्डी व् नेत्र से सम्बंधित रोगों का कारक माना जाता है। इसलिए जिस भी जातक के राशि में सूर्य का नकारात्मक प्रभाव होता है तो उसे नेत्र व् हड्डियों सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने उपाय में हेतु रुद्राक्ष की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-  ।। ॐ आदित्याय नमः।।

चंद्र

खगोल की दृष्टि से चंद्र पृथ्वी का उपग्रह माना जाता है किन्तु यह भी ग्रहो की श्रेणी में स्थापित है। चन्द्रमा मन और माता का कारक है, इसलिए यह एक स्त्री ग्रह है। मानव जीवन में मानसिक स्थिति का विचार करने के लिए चंद्र को ही देखा जाता है। इसके द्वारा ही मनुष्य के आतंरिक भाव व गुणों को देखते हैं, जैसे दानवीरता, दयालु भाव, कृपानिधान, उदारता आदि भाव को हम इसके माध्यम से जान सकते हैं। जिस जातक की राशि में चंद्र का सकारात्मक प्रभाव होता है, उसका अपनी माता के साथ प्रेमरूप व मधुर सम्बन्ध होता है एवं उसे सभी प्रकार की मानसिक सुखों की प्राप्ति होती है जिससे उसकी कल्पना शक्ति बलबान होती है। किन्तु इसके विपरीत प्रभाव से जातक को सिरदर्द, मानसिक रूप से पीड़ा, आतंरिक उलझन व अन्य मानसिक सम्बन्धी रोगों का सामना करना पड़ता है।

चंद्र के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने हेतु उपाय में शंख व् मोतियों की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-।। ॐ सों सोमाय नमः।।

मंगल

मंगल को सभी ग्रहों के सेनापति का दर्जा प्राप्त है। इसे नैसर्गिक पापग्रह माना जाता है। इसकी जाति क्षत्रिय व युवावस्था बताई गयी है जिस कारण यह शक्ति का प्रतीक है। वीरता, बल, शास्त्र, हकीम, पराक्रम आदि के विषय के सम्बन्ध में विचार मंगल से किया जाता है। मंगल ग्रह के दोष के प्रभाव का सम्बन्ध मानव की सेहत व विषयुक्त रक्त से सम्बंधित रोग, दाद-खाद, खुजली, ट्यूमर, पेट सम्बन्धी अदि रोगों से होता है। इसके सकारात्मक प्रभाव से जातक अपने जीवन में बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना निडर होकर कर लेता है। इसका प्रभाव जातक के साथ उसके पूर्ण परिवार पर भी होता है जिससे उसके घर-परिवार में खुशी  का माहौल कायम रहता है। किन्तु इसके विपरीत जातक को अनेक बिमारियों व बाहरी काम काज में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने हेतु उपाय में चन्दन या मूंगे की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-।। ॐ अं अंगारकाय नमः ।।

बुध

सभी ग्रहों के मध्य इसका स्थान युवराज का है। पांडित्य, वाक् शक्ति, कला, निपुणता, गणित आदि लेखन कार्यों का विचार इस ग्रह के माध्यम से  होता है। यह एक नपुंसक ग्रह माना जाता है। इसी के अनुसार शुभ या अशुभ दोनों रूपों में फलकारक प्रतीत होता है। इसके सकारात्मक प्रभाव से जातक की वाक्शक्ति व संवाद शैली बहुत ही प्रबल हो जाती है, साथ ही जातक को मानसिक स्तिथि, बुद्धि, विवेक आदि में भी उत्कृष्टता प्राप्त होती है। इससे जातक के तार्किक ज्ञान की वृद्धि होती है अथवा वे गणित के ज्ञानी माने जाते है। इसके विपरीत प्रभाव से जातक को अपने जीवन में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसके चलते कारोबार सम्बन्धी परेशानी व निर्णय लेने की क्षमता शून्य हो जाती है एवं जीवन में दरिद्रता की प्रधानता हो जाती है।

बुध ग्रह के दोष दूर करने हेतु उपाय में रुद्राक्ष की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र-।। ॐ बुं बुधाय नमः।।

गुरु (बृहस्पति)

यह सौरमंडल का सबसे विशाल ग्रह है। गुरु के नाम स्वरुप इसे सभी ग्रहों का गुरु माना जाता है। ज्ञान, तपस्या, सद्गुण, अध्ययन आदि का विचार इसी ग्रह से होता है। यह मान-सम्मान, यश आदि का कारक माना जाता है, इसलिए इसके सकारात्मक प्रभाव से मानव को समाज में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा आदि की प्राप्ति होती है। किन्तु इसके विपरीत प्रभाव से जातक को डायबिटीज़, पेट सम्बन्धी रोग जैसे सूजन अथवा मोटापा आदि रोग का सामना करना पड़ता है जिससे जातक निर्बल हो जाता है और अधर्म के मार्ग पर जाने हेतु तत्पर रहता है।

बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने हेतु उपाय में रुद्राक्ष अथवा हल्दी की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-।। ॐ बृं  ब्रहस्पतये नमः ।।

शुक्र

यह ग्रह गुरु ग्रह के सामान शुभ माना जाता है। संसार में जितनी भी आमोद-प्रमोद और भोग-विलास की वस्तुएँ हैं, यह सब शुक्र की कारक हैं। शुक्र ग्रह की कृपा अनुसार ही मानव में भावना की प्राथमिकता होती है। शुक्र को स्त्री, धन व भूमि इन तीन मानकों का योजन माना जाता है, इसलिए इसके सकारात्मक प्रभाव से जातक घर में लक्ष्मी जी का वास होता है। इसके विपरीत प्रभाव से जातक को त्वचा सम्बन्धी, घर-गृहस्थी में कलेश, धन की क्षति व आर्थिक मंदी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने हेतु सफेद चन्दन की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-।। ॐ शुं शुक्राय नमः ।।

शनि

शनि को सभी पापी ग्रहों का सर्वाकार महाराजा कहा गया है।  पुराणों के अनुसार इसे सूर्य पुत्र का दर्जा दिया गया है। इसको राग, द्वेष, दुःख, पीड़ा, कर्म, पाप आदि विपत्तियों का कारक माना जाता है। इसे सभी ग्रहों में सबसे अशुभ ग्रह माना जाता है। मानव जीवन में कर्म की प्रमुखता शनि की कृपा अनुसार ही होती है। इस ग्रह के प्रसन्न होने से सम्पूर्ण संसार के सुख आपके हो जाते है, किन्तु वहीं इनके निराश होने से मानव को भी जीवन में सिर्फ निराशा का ही सामना करना पड़ता है। शनि के सकारात्मक प्रभाव से जातक का जीवन सभी प्रकार की सुख-सुविधा, धन-सम्पदा आदि से युक्त रहता है, किन्तु इसके विपरीत प्रभाव से जातक की संपत्ति का नाश हो जाता है, जातक कुकर्म की राह पर तत्पर हो जाता है, जीवन में अशांति का वास होता है, आदि समस्यायों का सामना करना पड़ता है।

शनि के दुष्प्रभाव दूर करने हेतु उपाय में रुद्राक्ष की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-।। ॐ शं शनैश्चाराय नमः।।

राहु-केतु

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राहु व केतु को पाप ग्रह व असुर ग्रह से सम्बोधित किया गया है। इसे तमौ अर्थात अंधकार युक्त ग्रह माना जाता है। अंध ग्रह  होने के कारण इसकी कोई दृष्टि नहीं है, इसलिए ये जिस भाव से जहाँ बैठता है, उसे फलस्वरूप वैसा ही फल प्राप्त होता है। ये मन में विचारों का उत्पादन करने का कार्य करते हैं। इनके सकारात्मक प्रभाव से मानव के मन में समायोजन होता है जिसके जरिये जातक सन्मार्ग पर तत्पर रहता है, तत्पश्चात सफलता को प्राप्त करता है व जीवन के चरमोत्कर्ष पर शोभायमान होता है। किन्तु इनके विपरीत प्रभाव से जातक को मानसिक, शारीरिक व भौतिक जैसी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, साथ ही सेहत सम्बन्धी रोग जैसे हिचकी, गैस्ट्रिक आदि रोगों का भी सामना करना पड़ता है।

राहु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने हेतु उपाय में रुद्राक्ष की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
मन्त्र:-।। ॐ रां राहवे नमः।।

केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने हेतु रुद्राक्ष की माला से जातक को नित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।

मन्त्र:-।। ॐ कें केतवे नमः।।