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चंद्र दोष निवारण के उपाय

Chandra Dosh Ke Upay

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब देवता गण और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन क्रिया की थी, तो उससे अनेकानेक वस्तुओं का प्रादुर्भाव हुआ जिसमें 14 रत्न भी थे। उन 14 रत्नों में से एक चंद्रमा भी है। चंद्र ग्रह, उपग्रह, रत्न, देवता आदि अनेकों रूप में मान्य है। इन्हें स्वयं देवों के देव महादेव ने अपने शीश पर धारण किया है। चंद्रमा को शीतलता का प्रतीक एवं जल तत्व का अधिग्रहण माना गया है। तो आइए जानते हैं चंद्रमा के संबंध में कुछ वैज्ञानिक, आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय तथ्य। साथ ही इनके शुभ परिणाम प्राप्त करने हेतु कुछ विशेष उपाय

वैज्ञानिकीय दृष्टिकोण

अध्यात्म में जिस चंद्रमा को देव एवं ज्योतिष में जिसे ग्रह कहकर संबोधित किया गया है, उन्हें विज्ञान में उपग्रह की संज्ञा दी गई है। एक शोध के अनुसार यह पृथ्वी के एक चौथाई अंश के बराबर का है जिसकी पृथ्वी से दूरी 406860 किलोमीटर की मानी जाती है। चंद्रमा प्रति 27 दिनों पर पृथ्वी की एक परिक्रमा पूर्ण करता है, साथ ही इसी दौरान यह अपनी धुरी का भी एक चक्कर पूर्ण करता है। इसकी दृश्य मान प्रकाश स्वयं की नहीं होती। यह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशमान होता है। हर 15 दिनों में इसका प्रभाव समानुपाती स्वरूप से घटता बढ़ता रहता है जिसका परिणाम ही अमावस्या एवं पूर्णिमा है।

आध्यात्म एवं ज्योतिष

श्रीमद्भागवत गीता में चंद्रमा का वर्णन करते हुए इसे ऋषि अत्री और अनुसूया का पुत्र बताया गया है। चंद्रमा के अधिदेवता अप तथा प्रत्यधिदेवता उमा देवी को माना जाता है। चंद्रदेव सोलह कलाओं से युक्त एवं उनमें प्रवीण हैं। इन्हें मनोमय, अन्नमय, अमृतमय, पुरुषस्वरूप भगवान तथा सर्वमय भी कहा जाता है। प्रजापति ब्रह्मा ने कार्यों के बंटवारे के दौरान इन्हें जल, औषधि, बीज तथा ब्राह्मणों का अधिपति बनाया। ब्रह्मांड में मौजूद 27 नक्षत्रों (रोहिणी, अश्विनी, कृतिका, भरनी आदि ) को चंद्रमा की भार्या पत्नी माना जाता है। यह 27 नक्षत्र प्रजापति दक्ष की पुत्रियां है जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ। इनमें से रोहिणी और चंद्रदेव के एक पुत्र हुआ, जिसे बुध के नाम से जाना जाता है।

चंद्र का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में दृश्य मान होता है। यह जातक की कुंडली की दशा-दिशा के अनुरूप अपने शुभ-अशुभ प्रभाव को दर्शाते हैं। आइए जानते हैं जब चंद्रमा आपके लिए शुभकारी होता है तो यह किस प्रकार के प्रभाव दर्शाता है तथा जब यह आपकी कुंडली पर अनुचित दशा-दिशा में होता है तो यह किस प्रकार से अशुभकारी प्रभाव आपके जीवन में दर्शाता है-

शुभ प्रभाव

जिस जातक के ऊपर चंद्रमा अपने शुभ प्रभाव दर्शाता है, वह व्यक्ति दयालु प्रवृत्ति का एवं अर्थ के मामले में संपन्न होता है। उन्हें धन की कभी कमी नहीं रहती है एवं घर-परिवार में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है। वाद-विवाद आदि जैसी समस्याएं होने की संभावना लगभग ना के बराबर होती है। जब चंद्रमा चतुर्थ भाव में होता है, तब यह अधिक शुभकारी होता है। चंद्रमा को भूमि, भवन आदि का अधिपति माना जाता है। इससे घर में निरंतर शुभ फल मिलते रहते हैं।

अशुभ प्रभाव

जब आपके घर में पालतू जानवरों की मृत्यु हो जाए, विशेष तौर पर दूध देने वाले पालतू जानवर अथवा घोड़ा आदि अगर आपके घर में हैं, तो इनकी मृत्यु हो जाती हैं। माता जी को स्वास्थ्य को लेकर अनेकानेक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, घर के जल के स्रोतों में कमी आती है, जल के स्रोत सूख जाते हैं आदि, ये सभी चंद्रमा के अशुभ प्रभाव की ही निशानी हैं। चंद्रमा की अशुभ दृष्टि पड़ने से आपके अंदर महसूस करने की क्षमता, किसी भी तथ्य को समझना एवं अनुभव करने की अनुभूति क्षीण हो जाती है।

चंद्रमा जब राहु, केतु अथवा शनि के साथ होता है तो यह भी अपना बुरा प्रभाव ही दिखाता है। चंद्रमा के कारण मानसिक तनाव, अशांति आदि बना रहता है।

चन्द्रमा के दोष को दूर करने के उपाय

  • चंद्रमा के शुभ प्रभाव हेतु चांदी के पात्र में गंगाजल, दूध, चावल, बताशा या कोई सफेद रंग की मिठाई को डालकर सूर्यास्त के पश्चात अर्थात चंद्रोदय के काल में चंद्रमा को अर्घ्य स्वरूप प्रदान करें।
  • भगवान शिव के माध्यम से भी चंद्र देव को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके लिए सोमवार के दिन पवित्र भाव से शिवलिंग पर दूध से रुद्राभिषेक करें। इससे चंद्र दोष से संबंधित समस्या समाप्त होती है।
  • चंद्रमा के दोषों से मुक्ति पाने एवं उन्हें प्रसन्न करने हेतु उक्त मंत्र का नियमित 108 बार जप करें। इससे चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होंगे एवं आप उनकी कृपा पात्र बनने योग्य पात्रता प्राप्त कर पाएंगे।

चंद्र मंत्र -

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।।

चंद्र बीज मंत्र -

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।

  • निम्नलिखित मंत्र के द्वारा चंद्रमा को नित्य प्रतिदिन नमन वंदन करें। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन सुबह उठने के पश्चात धरती माता एवं अपनी माता के चरण का स्पर्श अवश्य करें। इससे भी चंद्र दोष समाप्त होते हैं।

चंद्रमा को नमस्कार करने का मंत्र-

दधिशंख तुषाराभं क्षीरॊदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सॊमं शम्भोर्मकुट भूषणम्॥

  • चंद्र दोष से मुक्ति हेतु चंद्र देव की वस्तुएं जैसे कि दूध, चावल, चीनी, सफेद रंग की मिठाइयां सफेद वस्त्र आदि का गरीबों में हर सोमवार अथवा पूर्णिमा के दिन तो अवश्य ही दान करें। चंद्रदेव को सफेद रंग अत्यंत ही प्रिय होता है, अतः इस रंग की वस्तुओं को अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक पहुंचाने से चंद्रदेव शीघ्रता से प्रसन्न होते हैं एवं आपके ऊपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।