विवाह, स्वास्थ्य, नौकरी, व्यापार, धन-सम्पत्ति, मकान, वास्तु, कोर्ट-कचहरी, संतान, शिक्षा, उन्नति, पारिवारिक दिक्कतें, कुंडली मिलान, विदेश निवास या यात्रा, करियर आदि से जुड़ी सभी समस्याओं के सटीक उपाय जानें लाल किताब गुरु आचार्य पंकज धमीजा जी से।
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कुंडली के किस भाव में शनि की उपस्थिति का जातक पर क्या होता है प्रभाव

Effects of Shani as per its house in Kundali

संपूर्ण ज्योतिष शास्त्र नवग्रह और 12 राशियों पर आधारित है। नवग्रह और 12 राशियों के माध्यम से संपूर्ण ज्योतिष के अनुसार को समझा जा सकता है एवं आपके जीवन से जुड़ी हर जानकारी को भी प्राप्त किया जा सकता है। इन ग्रहों में से शनि का 12 राशियों के ऊपर बड़ा ही गहरा प्रभाव रहता है।

शनि का 12 राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव अन्य सभी ग्रहों के प्रभाव की तुलना में अधिक प्रभावी रहता है। ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों के ऊपर शनि की कृपा बरसती है, उन्हें रंक से राजा बनने में देर नहीं लगती, वहीं जिन जातकों के ऊपर शनि की कुदृष्टि, साढ़ेसाती, ढैया आदि का प्रभाव परिलक्षित होने लगता है, उनके जीवन में समस्याओं का अंबार लग जाता है। उनके लिए उनका ही जीवन दूभर हो जाता है।

ज्योतिषी के मुताबिक शनि स्वरूप से लंबे शरीर वाले, लाल- लाल आंखों वाले, भूरे अर्थात गेंहुए रंग के शरीर वाले देव हैं जिनके बाल बहुत मोटे और दांत बड़े बड़े होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि न्याय के देवता है और मृत्यु लोक के दंडाधिकारी। ज्योतिषीय प्रकृति के मुताबिक शनि मकर तथा कुंभ राशि के स्वामी ग्रह है जो कि तुला राशि में उच्च राशि तथा मेष राशि में नीच राशि के माने जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो किसी भी जातक के जीवन की सफलता का राज भी शनि बन सकते हैं और विनाश का कारक भी शनि हो सकते हैं। शनि का जातकों के जीवन में अमूलभूत प्रभाव होता है और यह प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि शनि आपकी कुंडली के किस भाव में अवस्थित है।

तो आइए आज हम जानते हैं आपकी कुंडली में शनि देव के किस भाव में हैं और किस भाव मे होने से क्या परिणाम आपके जीवन में परिलक्षित होगा? क्या यह आपके लिए शुभकारी रहने वाला है या फिर विनाशकारी हो सकता है? शनि के सभी अलग-अलग 12 भाव में होने का विश्लेषण करते हैं-

प्रथम भाव

ज्योतिषशास्त्र की माने तो जिन जातकों की कुंडली में शनि प्रथम भाव में अवस्थित रहता है,  उन जातकों की आर्थिक हालात बेहतर होते हैं। सुख-समृद्धि बरकरार रहती है। किंतु इसके अतिरिक्त शनि ऐसे जातकों की क्रिया विधि पर अपनी नजर जमाए रखते हैं जिससे ऐसे जातकों के अंदर नकारात्मक प्रवृत्तियों का आना सामान्य हो जाता है। आपके स्वास्थ्य की स्थिति भी ठीक नहीं रहती। हालांकि शनि उच्च राशि के होने पर राजयोग का निर्माण करते हैं, जिस वजह से इस भाव में शनि के मजबूत होने से जातक के सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है एवं इनके अंदर आध्यात्मिक समझ विकसित होती है।

द्वितीय भाव

जिन जातकों की कुंडली में शनि द्वितीय भाव में रहते हो जातकों के लिए शनि मिश्रित परिणाम प्रदान करने योग्य रहता है। हालांकि इन जातकों की कुंडली के दूसरे भाव में शनि के होने की वजह से इन्हें आंख से संबंधित समस्याओं के होने की संभावना प्रबल रहती है। ऐसे लोगों को अपनी वाणी पर भी संयम बरतने की आवश्यकता होती है। आपके आसपास के पड़ोसियों से आपके अक्सर वाद-विवाद हो जाने के आसार रहते हैं। हालांकि शनि का दूसरे भाव में होना आप को आर्थिक तौर पर मजबूती प्रदान करता है, किंतु अशुभ परिणाम की वजह से आपको भिन्न-भिन्न तरह की हानियों का भी सामना करना पड़ेगा।

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तृतीय भाव

जिन भी जातकों की कुंडली में शनि तीसरे भाव में होता हैं, वे जातक प्राकृतिक तौर पर काफी जोशीले उत्साह से भरे हुए व्यक्ति होते हैं। ऐसे जातकों के अंदर पराक्रम व साहस कूट-कूट कर भरा होता है। यह हर विषम परिस्थितियों व चुनौतियों से डटकर लड़ने हेतु तत्पर रहते हैं और सफलता भी हासिल करते हैं।  ऐसे व्यक्ति अपने परिश्रम के बलबूते पर अपना मुकाम हासिल करते हैं। इनके सामाजिक मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा आदि की चारों ओर चर्चा रहती है। ऐसे जातकों को भाइयों का जीवन में कभी सहयोग नहीं मिलता, किंतु यह अपने भाइयों के लिए सदैव सक्रिय नजर आते हैं।

चतुर्थ भाव

यदि आपकी कुंडली के चतुर्थ भाव में शनि विराजमान है, तो यह मान लीजिए कि आपको जीवन में अनेकानेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना है और इसके लिए स्वयं को अभी से मजबूत बना लीजिए। आपके जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आएंगी जो आपको मानसिक तौर पर भी तनावग्रस्त कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त आपके माता-पिता में से किसी ना किसी एक के साथ आए दिन कोई न कोई समस्या बनी रहती है, या तो आपके स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ी रहेगी, अथवा आपके ऊपर कोई ना कोई बड़ा संकट हमेशा मंडराता रहेगा। आपके मित्र भी आपके लिए हानिकारक ही साबित होंगे। वहीं यदि शनि आपके लिए शुभकारी रहे तो आपकी स्थिति बेहतर होने के आसार हैं। इसके अतिरिक्त यदि शनि आपके उच्च राशि में विराजमान हैं, तो आपकी ख्याति में वृद्धि होने के आसार बने रहेंगे।

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पंचम भाव

जन्म कुंडली में शनि का पंचम भाव में होना आपके शैक्षणिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। आपकी शिक्षा आदि से जुड़े मसलों के लिए यह शुभकारी रहेगा। वहीं संतान से जुड़ी समस्याओं को लेकर आपके जीवन में आए दिन कोई न कोई संकट बना रहेगा। प्रेम जीवन व्यतीत कर रहे जातकों को अंततः असफलता ही प्राप्त होगी। यदि आप भावनाओं में बहकर प्रेम विवाह का मार्ग अपना भी लेते हैं, तो भी विवाह के पश्चात आपके जीवन पर संकटों का बादल हमेशा मंडराता रहेगा। शनि का अपने घर में या आपकी राशि में शुभ स्थिति में रहना आपके जीवन में कुछ नए और मूलभूत परिवर्तन ला सकता है। आपके व्यक्तित्व का परिष्कार होगा। शिक्षा की स्थिति बेहतर होगी एवं सामाजिक दृष्टिकोण से यह लाभकारी रहेगा। ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति प्रायः हर हालात में बेहतर बनी रहती है।

छठा भाव

जिन जातकों की कुंडली में शनि छठे भाव में विराजमान होता है, उन जातकों के अंदर अपने जीवन में आ रही समस्याओं से जूझने का साहस रहता है। यह अपने जीवन में सदैव सफलता को हासिल करते हैं। कोर्ट कचहरी आदि से जुड़े मसले भी आपके निपट जाते हैं और आप सफलता की प्राप्ति करते हैं। कारोबार की स्थिति भी बेहतर बनी रहती है, साथ ही सामाजिक प्रसिद्धि में वृद्धि होने के आसार बने रहते हैं। छठे भाव में शनि का शुभ राशि में या शनि की विपरीत स्थिति होने पर आपके सेहत बुरी तरह से प्रभावित होंगे। ऐसे में आपके ऊपर कर्ज, उधार आदि का दबाव बना रहेगा। आर्थिक लेन-देन में ऐसे जातकों को सावधानी बरतनी चाहिए।

सातवां भाव

शनिवार की कुंडली के सातवें भाव में होना आपके दांपत्य जीवन को प्रभावित करेगा। आपके जीवन में आए दिन समस्या बनी रहेगी। ससुराल पक्ष से भी संबंध बेहतर नहीं बन पाएंगे। कारोबारी / व्यापारिक तौर पर नुकसान झेलना पड़ सकता है। विशेष तौर पर आपको साझेदारी में कारोबार आरंभ करने से बचने का प्रयत्न करना चाहिए, आपके लिए यह हानिकारी रहेगा एवं आपको किसी बड़े नुकसान को झेलना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को शासन सत्ता के साथ व अपने कार्यक्षेत्र में उच्च अधिकारियों के साथ संबंध को बेहतर बनाए रखने की आवश्यकता है। कोशिश करें कि स्वयं को फिजूल के मसले से दूर रखें एवं बेवजह के झगड़ा से बचे रहें। शनि की शुभ स्थिति आपके जीवन के संघर्षों व चुनौतियों को समाप्त करेगी जिससे आपके अत्यधिक शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।

आठवां भाव

जन्म कुंडली के आठवें भाव में शनि की उपस्थिति जातकों के लिए मिश्रित परिणाम प्रदर्शित करने वाली होती है। यदि आपकी कुंडली में शनि नीच अवस्था में हैं तो यह आपके जीवन में अनेकानेक प्रकार के चुनौतियों का आगाज है। ऐसे जातकों को जीवन में अनेकानेक प्रकार के संघर्ष करने पड़ते हैं, तभी इन्हें छोटी-मोटी कामयाबी भी प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त आपकी सेहत की स्थिति ठीक नहीं रहती, आये दिन किसी न किसी प्रकार की समस्या बनी रहती है। ऐसे जातकों को लंबी बीमारी होने का भी डर बना रहता है। यदि आपकी कुंडली में शनि अच्छी दशा में हैं तो ऐसे जातकों के जीवन पर मंडरा रहे संकट स्वयं ही समाप्त हो जाएंगे। आपके लिए शनि का शुभ होना आपके दीर्घायु व महा प्रतापी होने को दर्शाता है। आपके द्वारा लिए गए निर्णय की सामाजिक तौर पर खूब प्रशंसा होगी। आपके सामाजिक मान-सम्मान बेहतर रहेंगे।

नवम भाव

यदि आपकी कुंडली में शनि नवम भाव में है तो आपको सफलताओं के प्राप्ति करने में समय लगेगा। आपकी सफलता के मार्ग में आनेकानेक प्रकार की छोटी मोटी बाधाएं आती रहेगी, किंतु आपको सफलता प्राप्त अवश्य होगी। ऐसे में जातकों को अपनी ओर से धैर्य व हौसला बनाए रखने की आवश्यकता है। आप अपनी प्रकृति के अनुरूप जुझारू स्वभाव के हैं जिस वजह से आप हर कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए सफलता के शिखर तक पहुंचेंगे। शनि आपकी कुंडली में है तो आपके अंदर आस्तिक और नास्तिक दोनों तरह की प्रकृति विद्यमान हो सकती है। ऐसे जातकों के विदेश से जुड़े कार्य शीघ्र संपन्न होते हैं एवं लाभ के योग बने रहते हैं। संभवतः आपके निवास आदि भी विदेश में ही हों।

दशम भाव

शनि का आपकी कुंडली के दशम भाव में होना आपके लिए अत्यंत लाभकारी है। ऐसे जातकों को हर प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा आदि में सफलता की प्राप्ति होती है। ऐसे जातकों को जीवन में बहुत अधिक संघर्ष व कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है, किंतु आपकी कुंडली में शनि के होने की वजह से आपके माता-पिता दोनों में से किसी एक को आये दिन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। वहीं यदि आपकी कुंडली में शनि शुभ स्थिति अथवा उच्च राशि के हैं तो आपको राजयोग की प्राप्ति होगी। आपको शासन सत्ता आदि के सुख को भोगने का अवसर प्राप्त होगा। राजनीतिक तौर पर आपकी छवि बेहतर बनी रहेगी। सामाजिक क्षेत्र में भी आपका नाम होगा। आपकी कुंडली में शनि का अशुभ होना आपके सामाजिक पद प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगा।

ग्यारहवां  भाव

शनि का एकादश भाव में होना आपको बड़े भाई के सुख से वंचित करेगा। ऐसे जातकों को अपने बलबूते पर सभी मुकाम को हासिल करना पड़ेगा। आप अपने छोटे कदम उठाते हुए जीवन में सफलता के उच्च शिखर तक पहुंच जाएंगे। शिक्षा से जुड़े अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। शनि का शुभ राशि में होना आपके सफलताओं का कारक बनेगा। स्वास्थ्य को लेकर आपको काफी सजग रहने की आवश्यकता है।

बारहवां भाव

शनि का के बारहवें में भाव में होना आपके लिए अत्यंत लाभकारी रहने वाला है। आपको बड़ी-बड़ी सफलताओं की प्राप्ति होगी। ऐसे जातक अपने शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति करते हैं। आपका कला के प्रति अधिक आकर्षण देखने को मिलेगा। आपके शत्रु नष्ट होने के साथ-साथ कई शत्रु बनते भी चले जाते हैं। स्वास्थ्य को लेकर आपको सावधान रहने की आवश्यकता है, आंख से संबंधित बीमारी हो सकती है। न्यायालय से जुड़े विवादित मसलों से स्वयं को दूर रखें। आपके विरोधी व शत्रुगण आपके विरुद्ध भिन्न-भिन्न तरह के षड्यंत्र रच सकते हैं, ऐसे में आपको आपके जीवन में काफी सतर्कता व सावधानी बरतकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। आपके जीवन में आए दिन कहीं ना कहीं की यात्रा लगी रहेगी। आर्थिक हालात कुछ ठीक नहीं रहेंगे ।