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अच्छी सेहत के लिए वास्तु उपाय जो जुड़े हैं आपकी रसोई से

Good Health Vastu Tips Related to Kitchen Rasoi

कहते हैं स्वस्थ शरीर में ही प्रसन्न मन का निवास होता है। जब हमारा मन प्रसन्न रहता है तो घर में खुशहाली बरकरार रहती है। कार्यक्षेत्र में भी मन लगा रहता है। आपके माता-पिता परिवार के लोग आदि सभी आपसे प्रसन्न रहते हैं। स्वस्थ तन में एक अलग ही जोश एवं उत्साह रहता है। जो आपके कार्यों की प्रबलता और कुशलता को बनाए रखता है।

दरअसल हमें लगता है कि हमारा स्वास्थ्य केवल हमारे खान-पान दैनिक क्रियाकलाप आदि पर ही निर्भर करता है, जबकि ऐसा नहीं है। वास्तु की माने तो हमारे घर की दशा-दिशा, हमारे कार्य करने का तौर तरीका, घर में वस्तुओं की स्थिति आदि भी कहीं ना कहीं हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इसलिए हमें अपने खान-पान एवं रहन-सहन के साथ-साथ वास्तु ज्योतिष आदि के आयामों का भी अनुसरण करना चाहिए। इसके लिए हमें वास्तु के नियमानुसार घर में कुछ मूलभूत परिवर्तन करके स्थिति बेहतरीन करने की आवश्यकता है। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानिए कुछ ऐसे उपाय जिसके द्वारा आप घर के वास्तु को संतुलित रख सकें ताकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति बेहतरीन रहे।

स्वास्थ्य को बेहतर करने हेतु वास्तु उपाय

ब्रह्म मुहूर्त का महत्त्व

वास्तु के अनुसार दिन के आठों पैरों में सुबह का ब्रह्म मुहूर्त अत्यंत ही शुभ कार्य होता है। इस समय सभी देवी-देवता पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं एवं शुभ कार्य करने वाले व्यक्तियों को अपना आशीष प्रदान करते हैं। अतः व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में नियमित जगना चाहिए। इससे व्यक्ति मानसिक रूप से तरोताजा एवं प्रसन्न रहता है साथ ही देवाशीष भी प्राप्त कर तेजस्वी एवं प्रखर बनता चला जाता है।

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वास्तु और सूर्य नमस्कार का सम्बन्ध

योग विज्ञान में सूर्य नमस्कार को सभी आसनों का सार तत्व बताया गया है। इसका नियमित अभ्यास करना हमें शारीरिक मानसिक बौद्धिक एवं आत्मिक रूप से स्वस्थ रखता है। वास्तु के अनुसार सूर्य की पहली किरण में सूर्य नमस्कार, सुबह सूर्योदय के काल में सूर्य की किरण को अवशोषित करते हुए प्रातः काल नियमित करना चाहिए।

बेडरूम और सीढ़ियां

अगर आपके शयन कक्ष का कमरा घर की सीढ़ियों की तरफ खुलता है तो ऐसे कमरे में सोने से बचने का प्रयत्न करें। ऐसे कमरे में सोना अनेकानेक बीमारियों और विघ्न तथा बाधाओं को न्योता देता है। वास्तु के अनुसार ऐसे कमरे को शयन कक्ष नहीं बनाना चाहिए।

दक्षिण दिशा का महत्त्व

ब्लड प्रेशर के रोगियों का शयनकक्ष घर की दक्षिण पूर्व दिशा में भूलकर भी ना रखें, क्योंकि वास्तु में घर की दक्षिण पूर्व दिशा को अग्नि तत्व का समवर्धक माना गया है। बेडरूम के मामले में इन बातों का भी ध्यान रखें कि आपका कमरा खुला एवं हवादार होना चाहिए, अन्यथा मानसिक तनाव, घुटन आदि जैसी समस्या सामान्यतः उत्पन्न हो सकती हैं।

रसोई में चूल्हा-चौका

आपके घर की रसोई में चूल्हा-चौका की व्यवस्था भी आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। इसकी दिशादशा आपकी सेहत को बिगाड़ने-बनाने में सक्षम है। अतः ध्यान रखें कि रसोई घर में भोजन पकाते वक्त आपका मुख पूरब की दिशा में हो। रसोई पकाने में गलत दिशाओं के चयन करने से घर के सदस्यों के साथ गृहिणी भी प्रभावित होती है। पूरब की दिशा में मुख कर भोजन पकाने से सर्वाइकल, थायराइड आदि की समस्या से ग्रसित नहीं होंगे। वहीं पश्चिम की दिशा में भोजन पकाने से भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घर के किसी सदस्य को गले, नाक, आंख आदि ज्ञानेंद्रियों में पीड़ा रोग आदि हो सकते हैं।

सोते समय सिर का स्थान

वास्तु शास्त्र के अनुसार हमें सोते समय अपने सिर की दिशा का भी ख्याल रखना चाहिए। सोते वक्त सिर की दिशा सदैव पूरब की ओर हो तो हम सकारात्मक ऊर्जाओं को ग्रहण कर पाने में सक्षम होते हैं।

शयन कक्ष में आइना

हमें अपने सोने का बिस्तर कमरे के शीशे के इर्द-गिर्द नहीं रखना चाहिए, क्योंकि कमरे का शीशा अग्नि का प्रतिरोधक तत्व माना जाता है। यह अग्नि ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है जिसका प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है और स्वास्थ्य सम्बंधित विकार उत्पन्न होते हैं।