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कौन सी तिथि को है दशहरा पर्व इस वर्ष 2020 में, 25 या 26 अक्टूबर?

Correct Date of Dussehra in year 2020

दशहरा को बुराई पर अच्छाई के जीत का पर्व माना जाता है, इसे विजयादशमी कहकर भी संबोधित किया जाता है जिसे विजय दिवस अथवा विजय पर्व के रूप में संपूर्ण सनातन धर्म में मनाया जाता है। दशहरा 9 दिनों के नवरात्र पर्व के पश्चात मनाया जाता है जिसके संबंध में कई मान्यताएं जुड़ी हैं। पौराणिक कथाओं व शास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने रावण का वध कर माता सीता को पुनः प्राप्त कर विजय का पर्व मनाया था। इसी कारण दशहरे के पर्व को बुराई पर जीत का अर्थात विजय का पर्व विजयादशमी माना जाता है।

इसके अतिरिक्त कुछ ग्रंथों के मुताबिक माता दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का संघार किया था जिससे माँ दुर्गा लगातार नौ दिनों तक अपने अलग-अलग स्वरूपों द्वारा संघर्ष करती रही। माता के नौ स्वरूप वाले भिन्न-भिन्न दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है जिसमें माता के सभी नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है। तत्पश्चात दसवीं के दिन महिषासुर के वध पर विजय का पर्व विजयादशमी व असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है।

किंतु इस वर्ष 2020 में दशहरा पर्व को लेकर जातकों के मध्य काफी दुविधाजनक स्थिति है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक दशहरा का पर्व 25 और 26 अक्टूबर दोनों तिथि को ज्ञात होता है, तो मान्यताओं के मुताबिक दशहरा का पर्व दसवीं के दिन मनाया जाना चाहिए, अर्थात 25 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाने की बजाय 26 अक्टूबर को मनाना चाहिए। ऐसे में दुविधाजनक स्थिति के लिए हम आपको कुछ उचित परामर्श व तिथि निर्धारण से जुड़े तथ्यों के संबंध में  बताते हैं।

दशहरा पर्व का ज्योतिषीय अन्वेषण

सनातन धर्म के सभी पर्व-त्योहार, व्रत-उपवास आदि की गणना हिंदू पंचांग के मुताबिक की जाती है। इस वर्ष हिंदू पंचांग के मुताबिक दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर 2020 को मनाया जाना है। हिंदू पंचांग के मुताबिक 25 अक्टूबर की तिथि को सूर्य तुला राशि और चंद्रमा मकर राशि में गोचर कर रहे होंगे, इसके अतिरिक्त इसी दिन घनिष्ठा नक्षत्र भी बना रहेगा। ऐसी मान्यता है कि हर वर्ष दिवाली से ठीक 20 दिन [पूर्व विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है, उस मुताबिक भी इस वर्ष दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर 2020 को ही मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष नवरात्र का पर्व 8 दिनों में समाप्त होना है। इस बार अष्टमी और नवमी की तिथि एक ही दिन पड़ रही है, अतः 24 अक्टूबर को ही दुर्गा पूजा का पर्व मनाया जाएगा। 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी की तिथि बनी रहेगी, तत्पश्चात नवमी का आरंभ हो जाएगा।

समझें दशहरा पर्व का तिथि निर्धारण

इस वर्ष नवरात्र के पर्व के पश्चात दसवीं की तिथि 26 अक्टूबर को होने वाली है जबकि दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर अर्थात रविवार को ही मनाया जाने वाला है। इसके संबंध में ज्योतिषशास्त्री यह कहते हैं कि दशहरा हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अपराहन काल में ही मनाया जाता है जिसकी कालावधि प्रातः सूर्योदय काल के पश्चात दसवीं मुहूर्त से आरंभ होकर 12वीं मुहूर्त तक की होती हैं। इस कारण से दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर की तिथि को ही मनाया जाना चाहिए। आइए दशहरे की तिथि के निर्धारण के पीछे जुड़े कुछ ज्योतिष के तथ्यों को समझते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर नवरात्रि के पश्चात दशमी तिथि 2 दिन के अपराह्न काल में पड़ रही हो तो दशहरा का पर्व दोनों दिनों में से पहले वाले दिन ही मनाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यदि दसवीं दोनों दिन पड़ रही हो, किंतु वह कालावधी अपराहन काल की ना हो तो भी जातकों को दशहरा का पर्व दोनों दिनों में से पहले वाले दिन ही मनाना चाहिए।

जबकि अगर दसवीं की तिथि 2 दिन पड़ रही हो, किंतु केवल दूसरे दिन ही अर्थात पहले दिन के अपराहन काल में दशमी तिथि ना होकर केवल दूसरे दिन के अपराहन काल में ही दशमी तिथि व्याप्त हो, तो ऐसी स्थिति में जातकों को विजयादशमी का पर्व दूसरे दिन मनाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त नक्षत्रों की वजह से भी कई बार तिथियों का निर्धारण व गणना की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर दसवीं की तिथि 2 दिन पड़ रही हो, भले ही दोनों दिन में से किसी भी दिन अपराहन काल हो या फिर दोनों में से किसी एक दिन अपराहन काल और 1 दिन ना भी हो, तो भी केवल श्रवण नक्षत्र के पहले दिन के अपराहन काल में पड़ जाने से विजयादशमी का त्योहार प्रथम दिन मनाया जाने लगता है।

ऐसे ही ठीक इसके विपरीत अगर दशमी तिथि 2 दिन पड़ रही हो, भले ही अपराह्न काल हो या ना हो किंतु अगर श्रवण नक्षत्र दूसरे दिन के अपराहन काल में पड़ रहा हो तो यह तय है कि विजयादशमी का पर्व दूसरे दिन ही मनाया जाएगा।

वहीं यदि दशमी तिथि नवरात्रि के पश्चात दोनों दिन पड़ रही हो, किंतु अपराहन काल केवल प्रथम दिन हो, तो ऐसी अवस्था में दूसरे दिन दशमी तिथि पहले तीन मुहूर्त तक चलायमान रहेगी, साथ ही श्रवण नक्षत्र दूसरे दिन अपराहन काल में व्याप्त होगा जिस वजह से दशहरा का त्यौहार दूसरे दिन मनाया जाएगा।

यदि दशमी तिथि 2 दिन पड़ रही हो जिसमें 10वीं के पहले दिन अपराह्न काल में हो और दूसरे दिन 3 मुहूर्त से कम अवधि में हो तो ऐसी स्थिति में विजयादशमी का त्योहार पहले वाले दिन ही मनाया जाता है। ऐसी स्थिति में श्रवण नक्षत्र वाले तर्क को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

मूर्ति विसर्जन और दशहरा

इस बार के अगर हम ज्योतिषीय गणना को देखें तो इस बार 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक नवमी तिथि विद्यमान रहेगी जिसके बाद दसवीं तिथि का 25 अक्टूबर को ही आरंभ हो जाएगा। जबकि दशमी तिथि दूसरे दिन 26 अक्टूबर की तिथि को भी सुबह 9 बजकर 02 मिनट तक बनी रहेगी। ऐसी परिस्थिति में ज्योतिषीय तथ्यों के मुताबिक इस वर्ष 2020 में दशहरा अर्थात विजयादशमी का त्योहार 25 अक्टूबर तिथि को ही मनाया जाएगा। वहीं अगर दसवीं तिथि की बात की जाए, अर्थात नवरात्र पर्व के विसर्जन की तो यह 26 अक्टूबर को होगा। यानी कि माता दुर्गा के प्रतिमा का विसर्जन 26 अक्टूबर को होना तय है, जबकि विजयादशमी का पर्व 25 अक्टूबर को ही मनाया जाना है।