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भाई दूज (Bhai Dooj)

Bhai Dooj Yam Dwitiya

भाई बहन का रिश्ता इस संसार में पवित्र व अनमोल रिश्तों में सर्वश्रेष्ठ है। इस रिश्ते का जीवंत स्वरूप एवं स्नेह मुख्यतः दो पर्व पर दृश्यमान होता है - पहला रक्षाबंधन एवं दूसरा भाई दूज। भाई दूज वर्ष में दो बार मनाया जाता है जिसमें दूसरा पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है।

भाई दूज पर्व भाई-बहन के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भाई बहन के जीवन रक्षा कवच के समान होता है। इस त्यौहार के दिन जो भी बहन अपने भाई के प्रति सम्मान व सेवा भाव प्रकट करती है उसे एवं उसके भाई को कभी भी अकाल मृत्यु का भय नहीं होता, साथ ही उनके बीच का प्रेम सदैव बना रहता है। तो आइए जानते हैं इस पर्व के पीछे की कथा एवं इस वर्ष भईया दूज हेतु शुभ मुहूर्त-

भाई दूज की कथा

भाई दूज पर्व के पीछे अनेकानेक पुरानी कथाएं प्रचलित है जिसमें यमुना और यमराज के प्रेम व स्नेह की कथा बहुचर्चित है। माना जाता है यमुना और यमराज भगवान भास्कर एवं माता छाया के पुत्र-पुत्री हैं जिसमें आपस में बहुत स्नेह व प्रेम होता है। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती है। वह अपने भाई से निवेदन करती है कि वे उनके घर आए और उनका आतिथ्य स्वीकार करें। किन्तु चूंकि यमराज मृत्यु के देवता हैं, वे इस आमंत्रण को सदैव टालते रहते हैं।

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एक दिन यमुना के निरंतर आग्रह एवं प्रेमभाव को देखकर यमराज का हृदय भावविभोर हो गए और उन्होंने अपनी बहन यमुना के घर जाने का विचार बनाया। वे पवित्र मन से शुभ कर्म को करते हुए यमुना के घर जाना चाहते थे, अतः वे कार्तिक मास की द्वितीय तिथि को नर्क के प्राणियों को मुक्ति प्रदान कर अपनी बहन के घर जाते हैं जहाँ उनकी बहन प्रेम और व्याकुलता से ओतप्रोत होकर अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर भिन्न-भिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का पान करा उसका आवभगत करती है जिससे यमराज अति प्रसन्न होते हैं और अपनी बहन यमुना से कहते हैं - बहन मैं तुम्हारे आतिथ्य से अति प्रसन्न हुआ। तुम जो भी इच्छा प्रकट करोगी मैं उसे पूर्ण करने करूंगा। तत्पश्चात यमराज की बहन यमुना प्रसन्नता से कहती है - भाई आज आप हमारे घर आए, इससे मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। मैं चाहती हूँ कि इस तिथि को जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके प्रति सेवा भाव प्रकट करे, उसे एवं उसके भाई को कभी मृत्यु के भय से ग्रसित ना रहना पड़े, उसकी कभी अकाल मृत्यु ना हो। यमराज प्रसन्न होकर अपनी बहन को यह वरदान देकर चले जाते हैं।

उस दिन से कार्तिक मास की द्वितीया को भाई के माथे पर तिलक लगा उनके प्रति अपने प्रेम आदर व सेवा भाव को प्रदर्शित किया जाने लगा और यह दिन भाई दूज, यम द्वितीया आदि अन्य नामों से जाना जाने लगा।

भाई दूज 2020 पूजन हेतु शुभ मुहूर्त

इस वर्ष 2020 में भाई दूज का त्यौहार 16 नवंबर को यानी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाना है जिसके लिए ज्योतिष गणना अनुसार शुभ मुहूर्त है-

तिलक व आरती हेतु मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक।
मुहूर्त की अवधि: 2 घंटे 18 मिनट।

भाई दूज पूजन विधि

इस दिन भाई-बहन एक साथ यमुना नदी में गोता लगाते हैं। तत्पश्चात बहन भाई के माथे पर तिलक कर उसकी आरती करती है जिसके बाद दूब, धान, हल्दी आदि से सर से पांव तक विधिवत तौर पर पूजा की जाती है। उसके बाद उस दूब, धान आदि को भाई के पीठ के पीछे की ओर फेंक जाता है। पूजन कर्म पश्चात बहन अपने भाई को अपने हाथों से बना हुआ मिष्ठान खिलाती है और इस प्रकार पूजन क्रिया संपन्न होती है। बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाते हुए इस मंत्र का मन ही मन अपने भाई के लंबी उम्र एवं उन्नति की कामना करते हुए इसे दोहराये-

भाई दूज पूजा मन्त्र :-

गंगा पूजे यमुना को,
यमी पूजे यमराज को,
सुभद्रा पूजे कृष्ण को,
गंगा यमुना नीर बहे,
मेरे भाई आप दिनोंदिन बढ़े और फले फुले।

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