रक्षा बंधन खुशियों का एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतजार हर बहन को बेसब्री से होता है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें बहन अपने भाई को प्यार के रिश्ते की डोर से बांधती हैं और भाई आजीवन अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है।
यह पर्व है प्रेम से भरे पवित्र रिश्ते की प्रगाढ़ता का, आजीवन निभाने वाले वचनों का, एक दृढ़ संकल्प का, जिसमें बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगा सदैव गर्व से सर ऊंचा बनाये रखने की कामना करती है और कलाई पर राखी बांध भाई द्वारा आजीवन रक्षा की उम्मीद रखती है।
रक्षा बंधन पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसके पीछे अनेकानेक धार्मिक, ऐतिहासिक तथा तथ्यात्मक रोचक कथायें है। आइये जानते है इनमें से कुछ कथायें।
राखी के त्यौहार के संबंध में आइए जानते हैं महाभारत के तथ्य
एक समय की बात है, भगवान श्री कृष्ण के हाथों में चोट लग गई जिसे पांचाल नरेश की राजकुमारी पांचाली ने देखते ही अपनी साड़ी का आँचल फाड़ कर श्री कृष्ण के रक्त बह रहे हाथों पर बांध दिया।
पांचाली के स्नेह और निष्ठा भाव को देखते हुए श्रीकृष्ण ने पांचाली को अपनी शखा एवं बहन कहते हुए आजीवन उसकी रक्षा करने का वचन दिया जिसका साक्षात स्वरूप महाभारत के उस हिस्से में दिखता है, जब पांचाली यानी द्रौपदी के पति युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी को दांव पर लगा हार जाते हैं और दुर्योधन द्रोपति पर अपना अधिपत्य बता उसे भरी सभा में वस्त्र विहीन करने की चेष्टा करता है। तब स्वयं भगवान श्री कृष्ण उसकी रक्षा हेतु प्रकट होते हैं एवं द्रोपति की आबरू पर एक आंच तक नहीं आने देते हैं। इस प्रकार श्री कृष्ण घोर विपरीत परिस्थितियों में भी अपना वचन निभा अपनी बहन की रक्षा करते हैं।
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रक्षा बंधन से जुड़े अन्य तथ्य
वैदिक पुराणों की माने तो इनमें एक बेहद ही रोमांचित कथा विख्यात है। प्रभु श्री विष्णु ने राजा बलि से किये अपने एक वादे की पूर्ति हेतु बैकुण्ठ छोड़ कर उनके राज्य चले गये और उनके राज्य की सुरक्षा में लग गए।
श्री हरी के इस तरह बैकुण्ठ छोड़ने पर माँ लक्ष्मी चिंतित रहने लगी और फिर एक दिन उन्होंने प्रभु विष्णु को बैकुण्ठ वापिस लाने का एक उपाय निकाला। उन्होंने एक ब्राह्मणी का रूप धारण किया और उस रूप में राजा बलि की कलाई पर राखी बाँध उसके लिए शुभ फलदायी प्रार्थना की। इससे हर्षित होकर राजा ने ब्राह्मणी स्वरूपी माँ लक्ष्मी को ना केवल अपनी बहिन के रूप में स्वीकार कर बल्कि उन्हें उनकी सुरक्षा का वचन भी दे दिया।
तत्पश्चात माँ लक्ष्मी अपने वास्तविक रूप में आ उस राजा से श्रीहरि विष्णु को अपने वचन से मुक्ति देकर उन्हें दोबारा बैकुंठ भेज देने का आग्रह किया। राजा ने अपने दिए वचन का मान रखते हुए प्रभु श्री विष्णु को उनके किये हुए वादे से आजाद कर दिया। उस दिन से रक्षाबंधन और रक्षाविधान का आरम्भ हुआ।
ऐसे ही एक और ऐतिहासिक तथ्य की मानें तो ग्रीक के महान राजा सिकंदर की धर्मपत्नी ने सिकंदर के दुश्मन पुरुराज के हाथ की कलाई पर भी राखी बांधी थी ताकि जंग में उनके पति की सुरक्षित रह सकें और ऐसा हुआ भी। जंग के दौरान कईं अवसर ऐसे आए जिनमें पुरुराज ने सिकंदर पर जान लेवा हमला करने की चेष्टा की, तो अपनी कलाई पर बंधी राखी देख अपने दिए हुए वचन का पालन करते हुए पुरुराज ने सिकंदर को जीवन दान दे दिया।
इस वर्ष रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को यानी 22 अगस्त 2021, दिन रविवार को समस्त देश भर में मनाया जाएगा। आइये देखते है इसके लिए शुभ मुहूर्त-
रक्षा सूत्र यानी राखी बांधने हेतु मंत्र
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल।।
देश में प्रख्यात अन्य त्यौहार