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राहु-केतु के दुष्प्रभाव से बचाएंगे भगवान् काल भैरव

Know how Lord Kaal Bhairav will protect from Rahu Ketu effects

ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन का विधान है जो 12 राशि के सभी जातकों के लिए काफी प्रभावी रहता है। कुछ जातकों के ऊपर ग्रहों के राशि परिवर्तन का प्रभाव सकारात्मक पड़ता है, तो कुछ जातकों के लिए यह अनेकानेक प्रकार के संकट उत्पन्न करने वाला होता है। हालांकि ग्रहों की प्रकृति व प्रारूप के राशि के मुताबिक प्रभाव तय होते हैं। ब्रह्मांड के कुल नौ ग्रहों के राशि परिवर्तन व अन्य परिवर्तनों का सभी 12 राशि के जातकों के ऊपर विभिन्न प्रकार का प्रभाव पड़ता है।

इसी मध्य सितंबर 2020 की तिथि 23 को राहु और केतु दोनों ही राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। राहु और केतु के गोचर की काल अवधि 18 महीने की मानी जाती है, अतः 18 महीने के पश्चात राहु राशि मिथुन से वृषभ राशि में प्रवेश करने जा रहा है, तो वही केतु धनु राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इन दोनों राशियों के परिवर्तन का अन्य सभी जातकों के लिए प्रभाव काफी महत्वकारी हो जाता है क्योंकि राहु और केतु की चाल को अन्य सभी ग्रहों की चाल के विपरीत दिशा का माना जाता है। अर्थात राहु और केतु के राशि परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव पड़ने के अत्यधिक आसार हैं। ऐसे में जातकों को राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव से बचाव हेतु कुछ ना कुछ उपाय अपनाने ही चाहिए ताकि वह स्वयं एवं स्वयं के घर परिवार को राहु-केतु की कुदृष्टि व उससे उत्पन्न नाकारत्मक प्रभाव से बचा सके। तो आइए जानते हैं राहु-केतु के द्वारा होने वाले इस राशि परिवर्तन के शुभ परिणाम हेतु कुछ विशेष क्रियाकलाप सावधानी व उपाय।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक राहु और केतु तत्कालीन एवं वृहद स्वरूप में परिणाम देने वाले ग्रह माने जाते हैं, अर्थात इन ग्रहों के परिणाम आपको अचानक प्राप्त होंगे जो आपके लिए अत्यंत ही शुभकारी अथवा अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण भी हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन भी जातकों की कुंडली में राहु-केतु की स्थिति बेहतर होती है, एवं शुभ भाव में होते हैं उन जातकों के लिए राहु केतु किसी वरदान से कम साबित नहीं होते हैं। उन जातकों के जीवन में सदा खुशहाली सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य बरकरार रहता है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक नहीं होती, उन जातकों के लिए इनका प्रभाव अत्यंत ही दुष्परिणाम दायक होता है। ऐसे जातकों के जीवन में अनेकानेक प्रकार की समस्याएं आती है, कोई भी कार्य तरीके से पूर्ण नहीं हो पाते, स्वयं को यह जातक सदैव मानसिक रूप से तनावग्रस्त एवं अशांत महसूस करते हैं। इनके आसपास व घर परिवार का माहौल भी तनावग्रस्त बना रहता है।

ऐसे में राहु केतु के शुभ परिणाम हेतु ज्योतिष शास्त्र में भगवान भैरव की पूजा आराधना को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक भगवान भैरव की पूजा आराधना करते हैं एवं उन्हें प्रसन्न करते हैं, उन जातकों के ऊपर राहु-केतु के शुभ परिणाम ही परिलक्षित होते हैं। तो आइए जानते हैं भगवान भैरव को प्रसन्न कर राहु केतु की स्थिति को बेहतर बनाने वाले कुछ उपाय।

उड़द की दाल से बनी मिठाई से करें भगवान भैरव का भोग

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक राहु-केतु की स्थिति को बेहतर करने हेतु भगवान भैरव को प्रसन्न करने से बेहतर कोई अन्य उपाय नहीं माना जाता है एवं भगवान भैरव के पसंदीदा तथ्यों में से एक उड़द की दाल को माना जाता है, अर्थात यदि आप भगवान भैरव को नित्य प्रतिदिन उड़द की दाल से बनी मिठाई आदि का भोग लगाते हैं या फिर दूध मेवा आदि चढ़ाते हैं तो इसका आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम परिलक्षित होगा। इससे भगवान भैरव आपसे प्रसन्न होंगे एवं राहु-केतु की स्थिति बढिया बनेगी।

चमेली के पुष्प का करें भगवान भैरव को अर्पण

भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए चमेली के पुष्प को उन्हें अर्पित करें। भगवान भैरव को चमेली के पुष्प अत्यंत ही प्रिय होते हैं। इस वजह से प्रायः जातक उन्हें प्रसन्न करने हेतु चमेली के पुष्प अर्पित करते हैं। इससे भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं एवं राहु-केतु की स्थिति में सुधार होता है जिससे आपके जीवन में खुशहाली आती है।

प्रतिदिन करें 108 बार भैरव देव के मंत्रों का जप

शास्त्रों में यह विदित है कि किसी भी पूजा-पाठ अथवा किसी भी भगवान को प्रसन्न करने हेतु मंत्र जप को सबसे उपयुक्त एवं अचूक उपाय माना गया है। अतः आप भी भगवान भैरव को प्रसन्न करने हेतु 108 बार प्रतिदिन भगवान भैरव के मंत्रों का जप करें। इससे आपके जीवन के सभी प्रकार की संकट व बाधाएं समाप्त होंगी एवं सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान स्वयं ही प्राप्त हो जाएगा।

नित्य भैरव चालीसा का करें पाठ

भगवान भैरव को प्रसन्न करने हेतु जातक भैरव चालीसा का भी पाठ करते हैं। भैरव चालीसा को अत्यंत ही उपयुक्त एवं अति प्रभावी माना जाता है। भैरव चालीसा के द्वारा जातकों की जीवन में आ रही सभी विघ्न बाधाएं समाप्त होती हैं। विशेष तौर पर इससे जातकों के जीवन से जुड़े वाद-विवाद वाले मसलों का हल निकल आता है। जो भी जातक नित्य प्रतिदिन भैरव चालीसा का पाठ करते हैं, उनके जीवन में कभी भी कोर्ट कचहरी आदि से जुड़े मसले उत्पन्न ही नहीं होते। अगर इस तरह की कोई बाधा आती भी है तो इसमें भैरव के आराधक जातकों को ही विजय की प्राप्ति होती हैं।

भगवान शिव के स्वरूप है काल भैरव

शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के अन्य रूपों में से एक होते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि काल भैरव भगवान शिव की क्रोधाग्नि का विग्रह रूप है। काल भैरव जी को भोले भंडारी का पांचवा अवतार माना जाता है, साथ ही इनके दो भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। पहले स्वरूप को बटुक भैरव तो दूसरे स्वरूप को भयंकर दंड नायक का माना जाता है। इसमें पहले स्वरूप यानी बटुक भैरव को भक्तों के प्रति सौम्यता श्रद्धा व स्नेह प्रकट करने वाला माना जाता है, तो वहीं भगवान भैरव के दूसरे स्वरूप भयंकर दंडनायक को जातकों के प्रति क्रोधी प्रवृत्ति दिखाकर सांसारिक पाप एवं दुष्कर्म पर नियंत्रण करने वाला माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी जातक भगवान भैरव की पूजा आराधना करते हैं अथवा जिस भी घर में भगवान भैरव के साधक होते हैं, उस घर में कभी भी नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता, किसी भी प्रकार के जादू-टोने, भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र आदि सभी उनके परिवार के जनों के ऊपर प्रभावी नहीं हो पाते हैं।

काशी के कोतवाल नाम से प्रसिद्ध भगवान भैरव की महिमा

भगवान भैरव के शुभ प्रभाव के संबंध में काशी के कोतवाल के नाम से जाने जाने वाले भगवान भैरव अत्यंत ही प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि काशी के कोतवाल वाले भगवान भैरव अपने भक्तों की सुरक्षा एवं भक्तों पर आये सभी प्रकार के संकटों के निवारण हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। कहा जाता है कि भगवान भैरव के कुल 52 स्वरूप हैं। इन्हीं 52 स्वरूपों के माध्यम से भगवान भैरव पृथ्वी पर मौजूद 51 शक्ति पीठ की रक्षा भी करते हैं। इसलिए ही किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन हेतु जाने वाले जातकों का दर्शन तब तक अधूरा माना जाता है, जब तक कि वह जातक भगवान काल भैरव के दर्शन ना कर ले। भगवान भैरव जातकों के जीवन से सभी विघ्न बाधाओं व संकटों को हर लेते हैं एवं व्यक्ति को भयमुक्त कर देते है।