मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसे समाज के रीति-रिवाज, परिस्थितियां, लेन-देन आदि सबको सोच समझ कर चलना होता है। ऐसे में हमारे समाज के साथ रहते-रहते एक अलग ही अटूट बंधन बन जाता है जिसमें स्वजन, रिश्तेदार, सामाजिक लोग, राष्ट्र आदि के प्रति हमारी भावनाएं जागृत हो जाती हैं जिस कारण हम उनके प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने लगते हैं। हमारी यह संवेदना हमसे जरूरत और समस्या के अनुरूप तन, मन एवं धन तीनों की कुंजी से अपनों के हित हेतु मांग करती रहती है। ऐसे में हम स्वजनों व हमारी भावनाओं से जुड़े लोगों के प्रति कुछ भी करने से नहीं चूकते।
किंतु यह रवैया जब हमारा किसी स्वार्थी व्यक्ति के प्रति होता है तो हमारा उस व्यक्ति से मन खिन्न हो जाता है। प्रायः ऐसे मसले आर्थिक मामलों में ही दिखाई देते हैं। कई बार हम किसी व्यक्ति को उसकी तात्कालिक परिस्थिति व आवश्यकता के अनुरूप धन देते हैं, किंतु वह व्यक्ति वक़्त पर अपना मतलब निकाल लेने के बाद आपको आपका धन वापस करने से आनाकानी करता है। इस चक्कर में हमारे मान-सम्मान, रिश्ते-नाते, भावनाएं-संवेदनाये आदि सभी त्रस्त हो जाते हैं और हमारे दुख का कारण बनते हैं।
कुछ सज्जन तो दूसरों की मदद हेतु अपना सर्वस्य न्योछावर कर स्वयं तंगी के हालत में आ जाते हैं और उस धूर्तबाज के धन ना लौटाने के कारण अपने जीवन में दर बदर की ठोकरें खाते हैं।
वैसे ऐसी स्थिति कई बार कारोबार में भी उत्पन्न हो जाती हैं जब आप कहीं किसी बिजनेस में अपना निवेश करते हैं और उसमे मुनाफा तो दूर बल्कि निवेश के पैसे भी अटक जाते हैं जिस कारण आपको अन्य व्यापार करने में भी आर्थिक मार झेलनी पड़ती है।
अगर आपके जीवन में भी कुछ ऐसी दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं तो आज का यह लेख आपके लिए अटके वेतन वापस प्राप्त करने का मार्ग साबित हो सकता है, क्योंकि आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे उपाय, जिससे आपके लंबे समय से अटके हुए धन आसानी से वापस प्राप्त हो सकते हैं। इन उपायों से आपके ऐसे धन भी वापस प्राप्त हो सकते हैं, जिसकी आपको कोई उम्मीद भी ना थी।
ज्योतिष शास्त्रों में भी अटके हुए धन को वापस प्राप्त करने के उपायों का वर्णन किया गया है। इसमें ग्रह गोचरों की स्थिति को परिवर्तित कर अथवा कुंडली के कुछ खास ग्रहों को मजबूत कर अटके पर धन वापस प्राप्त करने के उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस भी जातक की कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह मजबूत होते है और सकारात्मक प्रभाव देते है, उन जातकों के जीवन में आसानी से आर्थिक संकट उत्पन्न नहीं होता है। इनके अगर धन कहीं फस भी जाते हैं तो सुगमता से वापिस प्राप्त हो जाते है।
वहीं जब जातक की कुंडली में मंगल, शनि एवं राहु अपने दुष्प्रभाव दर्शा रहे होते हैं तो ऐसे जातकों के जीवन में आये दिन किसी न किसी रूप में हानि होती है। यदि हम अपनी कुंडली में मौजूद भावों की विवेचना करें तो हमारी कुंडली में मौजूद नवम भाव हमारे भाग्य का होता है तो वहीं दशम भाव हमारे कर्मों को दर्शाता है, जबकि ग्यारहवां भाव आर्थिक लाभ एवं हमारे द्वारा अर्जित किए जा रहे धन को दर्शाता है। जब भी कभी किसी भी जातक की जन्म कुंडली का छठा, आठवा और बारहवां भाव उस जातक की कुंडली पर हावी रहता है तो उस व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संकट उत्पन्न होता है। ऐसी परिस्थिति में कर्ज़, धन हानि अथवा आर्थिक संपदा की चोरी होने के साथ-साथ अचल संपत्ति में विवाद उत्पन्न होने जैसे संकट पैदा होते हैं।
ऐसी परिस्थितियों के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ अमूलभूत उपाय बताए गए हैं। हालांकि किसी भी उपाय को अपने जीवन में शिरोधार्य करने हेतु अपनी कुंडली के अनुसार ज्योतिषीय परामर्श लेना चाहिए। किंतु इन कुछ सरल उपायों को जानकर आप सामान्यतौर पर अपनी समस्याओं का निदान पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं उपाय-
मंत्रोपाय
फंसे हुए धन की प्राप्ति हेतु कृष्ण बीज मंत्र को भी अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है।
“ॐ क्रीं कृष्णाय नमः”
उक्त श्लोक का नियमित पाठ भी आपके फंसे हुए धन को वापस प्राप्त करने में अत्यंत ही गुणकारी है।
अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं, सर्वसमुद्भवकारण लिंगं।
अष्टदरिद्रविनाशित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥