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सफला एकादशी

Saphala Ekadashi Vrat

नव वर्ष 2021 के आरंभ के पश्चात वर्ष का पहला एकादशी का व्रत 9 जनवरी के दिन शनिवार को पड़ने जा रहा है। इस एकादशी व्रत को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

सफला एकादशी व्रत को लेकर अनेकों मान्यताएं व कथाएं प्रचलित हैं, वैसे तो एकादशी व्रत अपने आप में ही काफी महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक वर्ष लगभग 26 एकादशी के व्रत होते हैं। हालांकि सामान्य तौर पर वर्ष में 24 एकादशी व्रत ही होते हैं, किंतु जिस वर्ष मलमास पड़ जाता है, उस वर्ष यह बढ़कर 26 एकादशी के व्रत हो जाते हैं।

इस माह पड़ने वाले प्रथम एकादशी व्रत सफला एकादशी को लेकर सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाली धारणाएं प्रचलित है। सफला एकादशी के संबंध में कहा जाता है कि यह व्यक्ति के जीवन को सार्थकता प्रदान कर सफल करने वाली एकादशी होती है। यह जातकों की मनोकामनाएं पूर्ण कर उसे सिद्ध एवं सफल करती हैं।

एकादशी व्रत मूल रूप से भगवान श्री हरि विष्णु का व्रत माना जाता है जिसमें एकादशी व्रत को भगवान विष्णु के अलग-अलग रूपों की पूजा भी की जाती है। एकादशी व्रत को मोक्षदायिनी व्रत कहा जाता है। एकादशी व्रत का स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने बखान किया है।

तो आइए जानते हैं वर्ष के प्रथम एकादशी व्रत सफला एकादशी व्रत हेतु शुभ मुहूर्त, पारण हेतु तिथि, समय आदि के साथ-साथ एकादशी के महत्व एवं सफला एकादशी के दिन किन-किन कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए, इन सभी के संबंध में।

आइए जानते हैं सर्वप्रथम सफला एकादशी हेतु शुभ मुहूर्त तिथि आदि के संबंध में-

सफला एकादशी व्रत हेतु शुभ मुहूर्त व तिथि

सफला एकादशी व्रत के संबंध में सनातन पंचांग में वर्णन करते हुए कहा गया है कि यह प्रत्येक वर्ष के पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 8 जनवरी की रात्रि के प्रहार से होगा, जिस कारण इसके अगले दिन को सफला एकादशी व्रत के रूप में मनाया जाएगा। हालांकि एकादशी तिथि का आरंभ 8 जनवरी दिन शुक्रवार की रात्रि को 9 बजकर 40 मिनट से ही आरंभ हो जाएगा जो की अगली तिथि 9 जनवरी दिन शनिवार को शाम 7 बजकर 17 मिनट तक बना रहेगा। इस कारण से उदया तिथि 9 जनवरी को ही प्राप्त होगी।

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दरअसल हिंदू धर्म में 'जिसका उदय उसका अस्त' कहकर एक मान्यता प्रचलित है, अर्थात जिस दिन सूर्योदय काल से व्रत हेतु शुभ-मुहूर्त का आरंभ होता है, उसी दिन को व्रत की का वास्तविक दिवस माना जाता है। इसी कारण से सफला एकादशी हेतु 9 जनवरी की तिथि को व्रत का धारण किया जाएगा।

सफला एकादशी धारण करने वाले जातकों हेतु पारण का उचित समय

सफला एकादशी का व्रत धारण करने वाले जातकों को पारण हेतु उचित मुहूर्त व समय आदि का बोध रखना अत्यंत आवश्यक होता है। सफला एकादशी व्रत हेतु जातकों को 10 जनवरी की तिथि को पारण करना चाहिए। पंचांग अनुसार 10 जनवरी की तिथि को पारण हेतु उचित मुहूर्त प्रातः 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 21 मिनट के बीच का रहेगा। अतः जातकों को इसी मध्य में व्रत का पारण कर लेना चाहिए। अगर आप इस मध्य पारण नहीं कर पा रहे हैं, तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश रखें कि आप अपने व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समाप्त होने के पूर्व कर लें। इस दिन द्वादशी तिथि का समापन संध्या 4 बजकर 52  मिनट पर होगा, अतः आप इससे पूर्व ही अपने व्रत का पारण कर व्रत-अनुष्ठान को सार्थक एवं सफल बनाएं।

सफला एकादशी व्रत का महत्व

सफला एकादशी व्रत के महत्व को परिलक्षित करते हुए अनेकानेक प्रकार की कथाएं आदि प्रचलित है। पद्म पुराण की कथा के मुताबिक सफला एकादशी का व्रत धारण करने वाले जातकों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि राजा महिष्मान के जेष्ठ पुत्र लुम्पक अत्यंत ही पापी व दुष्ट प्रवृत्ति वाले व्यक्ति थे जिन्होंने घोर अत्याचार किया था। किंतु अपने अंदर पश्चाताप की भावना आने के पश्चात राजा लुम्पक ने एकादशी का व्रत धारण कर अपने सभी पाप कर्मों का नष्ट किया और अपने अंदर सकारात्मकता विचारों का शिरोधार्य किया और उसके ऊपर भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा दृष्टि भी बनी रही जिस वजह से उसे मोक्ष की भी प्राप्ति हो गई। अतः जातकों को सफला एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से मनोयोग के साथ धारण करना चाहिए।

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ना सिर्फ सफला एकादशी बल्कि वर्ष भर में पड़ने वाले सभी एकादशी व्रत को काफी महत्वकारी माना जाता है। केवल एक मात्र एकादशी ऐसा व्रत है जिसके संबंध में स्वयं श्रीमद्भगवद्गीता भी व्याख्यान प्रकट करता है और अन्य सभी धर्म ग्रंथों में भी सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रभावी व्रत में एकादशी व्रत को रखा गया है। अतः जातकों को अपने जीवन में एकादशी का व्रत तो अवश्य ही धारण करना चाहिए। यह व्यक्ति को सभी पाप कर्म से दूर रख मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

सफला एकादशी के दिन इन कार्यों को करने से बचें

धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक सफला एकादशी व्रत के दिन जातकों को कुछ कुछ नियमों का पालन करना चाहिए और कुछ ऐसे क्रियाकलाप व कार्य भी होते हैं, जिससे एकादशी व्रत के दिन बिल्कुल ही नजरअंदाज करना चाहिए। आइए जानते हैं ऐसे कौन-कौन से कार्य है जिसे सफला एकादशी के व्रत वाले दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

  • धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक एकादशी व्रत के दिन जातकों को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। यह सिर्फ सफला एकादशी ही नहीं बल्कि वर्ष की सभी एकादशियों के लिए वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि जो जातक इस दिन चावल का सेवन करते हैं, उसका जन्म रेंगने वाले जीव में होता है और उसे काफी कष्ट सहना पड़ता है। अतः इस दिन भूलकर भी चावल का सेवन ना करें।
  • एकादशी व्रत की तिथि को जातकों को मांस-मदिरा आदि जैसे पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। बल्कि कोशिश यह रखनी चाहिए कि इस दिन से संकल्पित हो जाए कि वे जीवन में कभी मांस-मदिरा अथवा किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ या तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करेंगे। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक ऐसे पदार्थों के सेवन करने वाले जातकों को नरक लोक की प्राप्ति होती है।
  • एकादशी व्रत की तिथि को जातकों को अपनी वाणी में सकारात्मकता बरतने की आवश्यकता होती है। इस दिन किसी भी प्रकार के अपशब्द व दुर्व्यवहार करने से बचे, साथ ही वाद-विवाद से बचें।
  • कहा जाता है कि एकादशी व्रत के दिन जातकों को अपनी कामुकता व कामुक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए।
  • शास्त्रों के मुताबिक एकादशी तिथि में व्रत धारियों को संध्याकालीन बेला में नहीं सोना चाहिए, यह अशुभकारी माना जाता है एवं व्रत के प्रभाव को भी नष्ट करता है।