सनातन हिंदू धर्म में अनेकानेक प्रकार के व्रत त्योहार पर आधारित है जिन्हे दिन, तिथि, नक्षत्र, ग्रह आदि के आधार पर निर्धारित किया गया है। इन पर्व, त्योहार, व्रत आदि सभी का स्वयं में खास महत्व होता है।
सनातन हिंदू धर्म में पर्व-त्योहार की जानकारी हेतु हिंदू पंचांग को उपयोगी व महत्वकारी माना जाता है। हिंदू पंचांग में सभी व्रत, पूजा-पाठ, ग्रह-गोचर, नक्षत्र आदि की स्थितियों की गणना कर समय, तिथि और मुहूर्त को निहित किया जाता है जो सभी जातकों के लिए उपयोगी साबित होता है।
हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष प्रत्येक माह, प्रत्येक पक्ष व प्रत्येक दिवस का स्वयं में विशेष महत्व होता है। इसी कड़ी में आज हम जानेंगे इस मई 2021 माह में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहारों के संबंध में।
इस वर्ष मई माह में ही वरुथिनी एकादशी तथा मोहिनी एकादशी व्रत ही पड़ रहे हैं। इसके अतिरिक्त इस माह बुद्ध पूर्णिमा जैसे पावन पर्व के भी योग बने हैं। तो आइए जानते हैं मई माह में पड़ने वाले सभी व्रत-त्यौहार व खास दिवस के संबंध में।
07 मई को करें वरूथिनी एकादशी व्रत का धारण
सभी व्रतों के मध्य एकादशी व्रत को सर्वाधिक महत्व कार्य व खास माना जाता है। एकादशी व्रत को मोक्ष प्रदानकारी माना जाता है। एकादशी व्रत के महत्व का सर्वत्र वर्णन किया गया है। इन सभी महत्वकारी एकादशी के व्रत में से एक व्रत वरुथिनी एकादशी भी है। इस वर्ष वरुथिनी एकादशी का व्रत 7 मई की तिथि को पड़ने जा रहा है। 7 मई की तिथि को शुक्रवार दिवस है। हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि को पड़ने वाली व्रत को वरुथिनी एकादशी के व्रत से नाम से जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी का व्रत पूर्णतया भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस व्रत की धार्मिक मान्यताएं सर्वत्र व्याप्त है। इस दिन जातकों को व्रत विधि व नियमों का विधि पूर्वक पालन करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-शांति समृद्धि बरकरार रहती है।
08 मई - शनि प्रदोष
प्रदोष व्रत प्रत्येक माह दोनों पक्ष में पड़ने वाले व्रतों में से एक है। इस मई माह में प्रदोष व्रत 8 मई की तिथि दिन शनिवार को पड़ने जा रहा है। इस प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। कई जातक प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत कहकर भी संबोधित करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत की तिथि को भगवान भोले शंकर का विशेष पूजन किया जाती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा आराधना करने से जातकों के जीवन के सभी दुखों का नाश होता है और भोले भंडारी सदैव इनकी रक्षा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि को व्रत धारण करने वाले जातक जो भी कुछ भगवान से मनोकामना करते हैं, उनकी वे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
09 मई को मासिक शिवरात्रि पर करें भगवान शिव का अभिषेक
शिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह दिवस के रूप में जाना जाता है जो मुख्यतः पूरे वर्ष में एक बार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह प्रायः फरवरी माह में होता है, किंतु वार्षिक महाशिवरात्रि के अतिरिक्त प्रत्येक माह भी शिवरात्रि का व्रत ग्रह गोचर व नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार निर्धारित होता है जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। इस माह मासिक शिवरात्रि की तिथि 9 मई दिन रविवार की है। हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि को भी महत्वकारी माना जाता है। कई जातक इस दिन व्रत भी धारण करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक शिवरात्रि की तिथि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के निर्धारित होती है। इसी दिन को हर माह मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
11 मई को है वैशाख अमावस्या
प्रत्येक माह में 2 पक्ष होते हैं जो अमावस्या अथवा पूर्णिमा की तिथि से आरंभ तथा अंत होते हैं। इसमें प्रत्येक पक्ष में पड़ने वाले अमावस्या के नाम का निर्धारण माह के नाम के आधार पर किया जाता है। क्योंकि मई माह के शुरुआती समय वैशाख माह है, अतः इस अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहते हैं। वैशाख माह की अमावस्या कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को ही अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस माह की अमावस्या तिथि अर्थात वैशाख अमावस्या की तिथि 11 मई की निर्धारित है। अमावस्या की तिथि को मंत्र जप, साधना, पूजा-पाठ आदि जैसे कार्यों के लिए काफी लाभकारी व सिद्धिकारक माना जाता है। जो जातक तंत्र-मंत्र की ऊर्जा की प्राप्ति करना चाहते हैं, उनके लिए यह रात्रि काफी महत्वकारी होती है। तंत्र-साधना आदि हेतु अमावस्या की तिथि अमावस्या की तिथि की रात्रि को काफी अधिक सिद्धिदायक व विशेष माना जाता है।
14 मई को अक्षय तृतीया के मनाई जाती है परशुराम जयंती
हिंदू पंचांग के अनुसार तिथियों के गणना के आधार पर 14 मई की तिथि को अक्षय तृतीया की तिथि निर्धारित की गई है। वहीं धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक अक्षय तृतीया की तिथि को ही परशुराम जी का अवतरण हुआ था। परशुराम जी को भगवान श्री हरि विष्णु के छठे अवतार और सात चिरंजीवी में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि परशुराम जी की आत्मा अजर अमर थी, उनका कभी वध ना हो सका। मान्यताओं के मुताबिक परशुराम जी की आत्मा आज भी पृथ्वी लोक पर ही विद्यमान हैं, इस कारण से भी अक्षय तृतीया के दिवस पर परशुराम जयंती के महत्व को और भी अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन कई स्थान पर भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है।
15 मई को है विनायक चतुर्थी
इस माह विनायक चतुर्थी का त्योहार 15 मई को पड़ने जा रही है। हिंदू पंचांग में निहित तथ्यों के अनुसार विनायक चतुर्थी का पर्व प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। दरअसल चतुर्थी तिथि को ही विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। विनायक चतुर्थी के विषय में या धार्मिक मान्यताएं प्रचलित है कि विनायक चतुर्थी का व्रत करने वाले जातकों के जीवन में सभी प्रकार की खुशहाली बरकरार रहती है, उनके जीवन से सभी बाधाओं का नाश होता है। जो जातक विनायक चतुर्थी का व्रत धारण करते हैं, उन्हें रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है और उनकी बौद्धिक क्षमता भी काफी तीक्ष्ण एवं प्रबल होती है। अतः जातकों को विनायक चतुर्थी का व्रत अवश्य धारण करना चाहिए।
18 मई को गंगा सप्तमी पर करें माँ गंगा की आराधना
गंगा सप्तमी के को काफी अधिक महत्वकारी माना जाता है। इस वर्ष गंगा सप्तमी का व्रत 18 मई की तिथि को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी पर्व के पीछे यह मान्यता प्रचलित है कि आदिकाल में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन माँ गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शंकर की जटाओं में समाहित हुई थी, तब से ही इस दिवस को काफी अधिक महत्वपूर्ण माना जाने लगा और प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। इसे कई जातक गंगा जयंती कहकर भी संबोधित करते हैं। इस दिन माता गंगा की विशेष पूजा-आराधना व आरती की जाती है। इस दिन माँ गंगा में गोता लगाने वाले जातकों के सभी पाप और विकार नष्ट हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
21 मई की तिथि को है सीता नवमी
सीता नवमी माता सीता के जन्म से संबंधित कथा से संबंधित है। सीता नवमी का उत्सव इस वर्ष 21 मई को मनाया जाना है। सीता नवमी की तिथि का निर्धारण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को प्रत्येक वर्ष किया जाता है। इसके संबंध में यह पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही त्रेता काल में माता सीता का प्राकट्य हुआ था, तब से ही माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में इस दिन को सीता नवमी के रूप में मनाया जाने लगा। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के इस नवमी तिथि को जानकी नवमी सीता नवमी कहकर संबोधित किया जाता है। इस दिन माता सीता एवं भगवान श्री राम की विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए। भगवान श्री राम एवं माता सीता की पूजा आराधना के साथ-साथ भगवान श्री हनुमान की पूजा भी अवश्य करें, इससे आपके जीवन में सुख-शांति और खुशहाली आएँगी। आपके जीवन के सभी संकटों का समापन होगा और आपका खुशहाल दांपत्य जीवन आजीवन बना रहेगा।
22 मई को पड़ने जा रही है मोहिनी एकादशी
पूरे वर्ष भर में 24 एकादशी का व्रत सामान्य तौर पर निर्धारित होता है। किंतु जिस वर्ष मलमास पड़ जाता है, उस वर्ष ये बढ़कर 26 हो जाते हैं। एकादशी का व्रत प्रत्येक मास के दोनों पक्षों के 11 वे दिन अर्थात एकादशी की तिथि को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस माह अर्थात वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाली एकादशी मोहिनी एकादशी के नाम से प्रख्यात है जिसकी तिथि 22 मई 2021 की है। 22 मई 2021 को पड़ने वाले मोहिनी एकादशी के संबंध में कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित है जिसके आधार पर मोहिनी एकादशी को काफी अधिक महत्वकारी माना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने वाले जातकों के अंदर के सभी पापों का विनाश होता है। इस एकादशी के व्रत का धारण करने वाले जातकों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है, साथ ही मानसिक शांति व तृप्ति भी इनके जीवन में बरकरार रहता है। अतः जातकों को मोहिनी एकादशी का व्रत अवश्य धारण करना चाहिए।
24 मई को करें सोम प्रदोष व्रत
सोम प्रदोष व्रत की तिथि 24 मई की है जिसका दिन सोमवार है। हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि की तिथि को प्रदोष व्रत के रूप मनाया जाता है। इस दिन जातक को व्रत का धारण करते हैं और धार्मिक व आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि विधान से पूजन करते हैं। इस दिन खासतौर पर भगवान शिव की भक्ति की जाती है जिससे भगवान शिव जातकों के जीवन के सभी पाप वृतियों का नाश करते हैं। सोम प्रदोष व्रत करने वाले जातकों के मन व अंतः करण में शांति की स्थापना होती है। आपके जीवन घर परिवार में चंहु ओर खुशहाली बरकरार रहती है। अतः आप सोम प्रदोष व्रत का धारण अवश्य करें।
25 मई को है नरसिंह जयंती
भगवान श्री हरि विष्णु के अनेकों अवतारों में से एक अवतार भगवान श्री नरसिंह अवतार है। भगवान श्री नरसिंह अवतार को काफी महत्वकारी माना जाता है। भगवान श्री नरसिंह अवतार के माध्यम से भगवान श्री हरि विष्णु ने हिरणकश्यप जैसे प्रचंड पापवृत्तियों वाले राक्षस का वध किया था। भगवान श्री हरि विष्णु का नरसिंह अवतार अत्यंत ही विचित्र भी माना जाता है जिसमें ना तो प्रभु पूर्ण नर थे और न ही पूर्ण सिंह के रूप में अवतरित थे। यह अवतार नर और सिंह के आधे-आधे स्वरूप को मिलाकर संभव हो पाया था, इस कारण से ही इसे नरसिंह अवतार कहते हैं। भगवान श्री नरसिंह का पृथ्वी पर अवतरण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था, इस कारण से इस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष नरसिंह "की तिथि यानी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 25 मई को पड़ने जा रही हैं जिस कारण 25 मई की तिथि को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाएगा।
बुद्ध पूर्णिमा / बैसाख पूर्णिमा है 26 मई को
भगवान बुद्ध को एक महान संत श्रेष्ठ ज्ञानी और आत्मज्ञान प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति के रूप में माने जाते हैं जिस कारण से उन्हें भगवान की उपाधि दी गई है। भगवान बुद्ध के जन्म की तिथि को बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भगवान बुध का जन्म पूर्णिमा तिथि को हुआ था। दरअसल हिंदू पंचांग के मुताबिक भगवान श्री बुध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था जो इस वर्ष 26 मई की तिथि को पड़ने जा रहा है। बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के आवलंबियो द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास व आध्यात्मिक तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बुद्ध के अनुयाई स्वयं को आध्यात्मिक तौर पर परिष्कृत करने हेतु जप, तप, साधना आदि द्वारा इस दिन को महत्त्वकारी बनाते हैं। भगवान बुध को बौद्ध धर्म के सृजन कर्ता के रूप में जाना जाता है।
27 मई को मनायें नारद जयंती
भगवान नारद भगवान श्री हरि विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे जो काफी प्रख्यात प्रचलित व प्रकांड विद्वान भी थे। भगवान श्री नारद का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों में भी देखने को मिलता है। भगवान नारद के जन्म के संबंध में यह मान्यताएं प्रचलित है कि उनका जन्म जेष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था, तब से ही नारद जयंती के रूप में इस दिवस को मनाया जाने लगा। हिंदू धर्म में महर्षि नारद को काफी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। महर्षि नारद ब्रह्माजी के मानस पुत्र माने जाते हैं। इस वर्ष नारद जयंती की तिथि 27 मई को पड़ रही है।
29 मई को है संकष्टी चतुर्थी
हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस माह संकष्टी चतुर्थी की तिथि 29 मई की है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत को काफी अधिक महत्वकारी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक संकष्टी चतुर्थी का व्रत धारण करते हैं, उन जातकों के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बरकरार रहती हैं। ऐसे जातकों को सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और यह अपने जीवन में सफलता की भी प्राप्ति करते हैं।