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गज लक्ष्मी व्रत

Gaj Laxmi Vrat

कलयुग में सभी जातकों के लिए माता लक्ष्मी अत्यंत ही प्रिय देवी मानी जाती हैं। इनके बिना किसी भी जातक का कार्य बन पाना या जीवन व्यतीत कर पाना संभव ही नहीं है। ऐसे में 10 सितंबर 2020 को माता गजलक्ष्मी का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रिय व्रत गज लक्ष्मी व्रत है ।

हिंदू धर्म में गज लक्ष्मी व्रत का आरंभ हर वर्ष भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से ही आरंभ हो जाता है जो कि लगातार 16 दिनों तक रहता है। व्रत रखकर गजलक्ष्मी व्रत को पूर्ण किया जाता है। यह आखरी दिन इस वर्ष 10 सितंबर की तिथि को पड़ने जा रहा है। इस दिन जातक बड़े विधि विधान के साथ दिनभर व्रत उपवास रखकर भिन्न-भिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों को मानते हुए अपना व्रत पूर्ण करते हैं। व्रत की पूर्ति वाली तिथि को अर्थात गज लक्ष्मी व्रत वाले दिन जातक व्रत रखने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के तत्व जैसे स्वर्ण के आभूषण, चांदी के बर्तन आदि की भी खरीदारी करते हैं। यह बहुत ही महत्वकारी व धन-संपदा प्राप्ति हेतु किया जाने वाला व्रत है।

तो चलिए जानते हैं अत्यंत लाभकारी गज लक्ष्मी व्रत हेतु उचित तिथि व शुभ मुहूर्त क्या होगा।

पूजा हेतु तिथि शुभ मुहूर्त

गज लक्ष्मी व्रत हेतु पंचांग के अनुसार निर्धारित तिथि 10 सितंबर 2020 की है। इस दिन जातकों को अपने पूजन विधि को  सुबह 11 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक के मध्य पूर्ण करना चाहिए। गज लक्ष्मी व्रत के पूजन हेतु 10 सितंबर की तिथि के दोपहर का यह समय सर्वाधिक शुभ एवं उपयुक्त माना गया है।

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माँ गज लक्ष्मी के संबंध में

चार भुजाओं से सुशोभित माँ गजलक्ष्मी को माँ राजलक्ष्मी कहकर भी संबोधित किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि माता गजलक्ष्मी यानी देवी राजलक्ष्मी के कारण ही बड़े-बड़े राजा महाराजाओं व आर्थिक रूप से समृद्ध जातकों के घर में धन समृद्धि व वैभव बरकरार रह पाता है। इस कारण से इसे राजघरानों की देवी राजलक्ष्मी कह कर भी संबोधित किया जाता है। माता गजलक्ष्मी अपने नाम के अनुरूप गज की सवारी करती है। यह गज पर कमल के स्वरूप की आकृति वाले आसन में विराजमान रहती है। गज पर विराजित माता की आस में 8 कमल के पुष्प की पंखुड़ियों के सदृश्य स्वरूप बनाए जाते हैं। यह चतुर्भुज देवी होती हैं, इनके चार हाथ में से एक में कमल का पुष्प, दूसरे में अमृत कलश, तीसरे में बेल तो चौथे में शंख होता है।

माता गजलक्ष्मी को संपत्ति प्रदान करने वाली देवी के साथ-साथ संतति प्रदान करने वाली देवी भी कहा जाता है, अर्थात यह सुख-संपत्ति व समृद्धि के साथ घर में संतान की कीलकारी हेतु भी पूजनीय मानी जाती है। माता लक्ष्मी के दोनों और हाथी विराजमान होते हैं। हाथी यानी गज को मेघ यानी बादल तथा भूमि की उर्वरता बनाए रखने का भी प्रतीक माना जाता है, अतः गज यानी हाथी की सवारी करने की वजह से माँ गजलक्ष्मी सुख समृद्धि के साथ-साथ उर्वरता की भी प्रतीक देवी मानी गई है ।

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माता गजलक्ष्मी की पूजा-आराधना एवं व्रत उपासना करने वाले जातकों के जीवन में कभी भी धन-संपत्ति से जुड़ी समस्या नहीं होती है। माँ गजलक्ष्मी व्रत वाले दिन जातकों को माता लक्ष्मी की कृपा पात्र बनने हेतु विधि विधान से पूजन की क्रिया शुभ मुहूर्त में पूर्ण करने चाहिए तो चलिए जानते हैं गज लक्ष्मी व्रत हेतु उचित पूजन विधि

गज लक्ष्मी व्रत के पूजन हेतु विधि विधान

  • गज लक्ष्मी व्रत के पूजन हेतु जातकों को सर्वप्रथम अपने घर में माता गज लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। इसके लिए आप अपने पूजन स्थल की साफ-सफाई कर गंगाजल छिड़क दें। तत्पश्चात हल्दी से कमल का फूल बनाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा अथवा मूर्ति को उस स्थान पर स्थापित करें। मूर्ति को स्थापित कर उस पर अक्षत पुष्प आदि चढ़ाएं। तत्पश्चात मूर्ति के समीप श्री यंत्र की स्थापना करें।
  • इस दिन माता लक्ष्मी  को उनके ही तत्व अर्थात सोने-चांदी आदि के सिक्के आभूषण आदि चढ़ाए जाते हैं। अतः आप माता लक्ष्मी की प्रतिमा के समीप धातुओं के सिक्के या आभूषण आदि चढ़ाएं। तत्पश्चात माता लक्ष्मी के आठों स्वरूपों का आवाहन कर उनके स्थापना व पूजन करें। अक्षत, पुष्प, चंदन, फूल, पान सुपारी आदि अर्पित करें।
  • इस दिन ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी की जिस मूर्ति की स्थापना कर रहे हैं, उसमें माता लक्ष्मी किसी गज के ऊपर विराजित होनी चाहिए, तभी इसे माँ गजलक्ष्मी की प्रतिमा मानी जाएगी एवं आपकी पूजा पूर्ण हो पाएगी।
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  • माँ गजलक्ष्मी के व्रत के पूजन हेतु श्री यंत्र के साथ-साथ आप महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें। महालक्ष्मी यंत्र को घर के धन-वैभव व सुख-सुविधाओं हेतु अत्यंत ही लाभकारी व उपयोगी माना जाता है। अतः इस दिन पूजन के दौरान महालक्ष्मी यंत्र की भी स्थापना अवश्य ही करें। इससे घर की आर्थिक समस्याओं के निदान होने के साथ-साथ दरिद्रता व अन्य दोषों का भी निवारण होता है।
  • माता लक्ष्मी के पूजन के लिए आज उनका अभिषेक अवश्य ही करें। माता लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु को दक्षिणावर्ती शंख अत्यंत ही प्रिय है। अतः अभिषेक हेतु दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग करें। तत्पश्चात पंचामृत यानी दूध, दही, मिश्री, शहद आदी के साथ मूर्ति का अभिषेक करें। तत्पश्चात गंगा जल से मूर्ति को नहलाये। इससे माता लक्ष्मी की कृपा दृष्टि आप पर एवं आपके घर परिवार के सभी जनों पर सदैव निरंतर बनी रहेगी।
  • आज आप अपनी पुष्पा में कमल के पुष्पों को अवश्य ही शामिल करें। माता लक्ष्मी को कमल के पुष्प अत्यंत ही प्रिय है, इसलिए इनके पूजन व व्रत में कमल के पुष्पों का होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। इसके अलावा आप माता लक्ष्मी के श्रृंगार हेतु कमलगट्टे के पुष्पा की माला का प्रयोग करें, साथ ही आज माँ लक्ष्मी को कौड़ी का भी अर्पण करें। यह सभी तत्व इन्हें अत्यंत ही प्रिय है।
  • पूजन के पश्चात पूजित कौड़ी को तिजोरी में रखने से अत्यंत ही शुभकारी परिणाम परिलक्षित होते हैं। इससे आपकी तिजोरी में हमेशा धन की आवक बनी रहती है एवं आपके आर्थिक हालात बहुत ही बेहतर रहते हैं।