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शनिवार के मंत्र व उपाय

Shanivar Ke Mantra, Upay aur totke

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनिवार का दिन भगवान शनिदेव का होता है, वहीं ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनिवार का दिन शनि ग्रह का होता है। शनि ग्रह ही शनिदेव के रूप में पूजे जाते हैं।

भगवान शनि न्याय के देवता हैं जो किसी भी गलती अथवा भूल चूक हेतु माफ नहीं करते। हर व्यक्ति को अपनी गलती का दंड भुगतना ही पड़ता है। भगवान शनि के दंड के प्रकोप का भय सभी में छाया होता है। इनके दुष्प्रभाव जिन जातकों पर पड़ने लगते हैं, उनके ऊपर आये दिन किसी न किसी प्रकार की मुसीबत मंडराती रहती है, हर दिन उन्हें नई बाधाओं से दो-चार होना पड़ता है। शनि के प्रकोप अनेकानेक रूपों में व्यक्ति के जीवन में परिलक्षित होते हैं। कुछ जातकों के ऊपर कई बार जब शनि अधिक दुष्प्रभाव हो जाते हैं तो उनके ऊपर शनि की ढैया अथवा साढ़ेसाती चलने लगती है। ऐसे में भगवान शनि के प्रकोप से बचने एवं उनके कृपा पात्र बनने हेतु व्यक्ति अनेकानेक उपाय आदि करते हैं।

इन सभी उपायों को करने हेतु शनिवार का दिन सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम माना गया है। शनिवार के दिन व्यक्ति अनेक जादू-टोने, टोटके आदि भी करते हैं जिसके माध्यम से अपने जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

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ज्योतिष शास्त्र में शनिवार का दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए जानते हैं शनिवार को भगवान शनि को प्रसन्न करने हेतु पूजन विधि-

पूजन विधि

  • शनिवार के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • तत्पश्चात भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें फिर शनि देव को भी अर्घ्य प्रदान करें।
  • शमी के पौधे में आप काला तिल, गुड़ भी साथ में अर्पित करें। तत्पश्चात भगवान शनि की प्रतिमा को स्थापित कर उनका षोडशोपचार पूजन विधि से पूजन करें।
  • जिन जातकों के ऊपर शनि की ढैया अथवा साढ़ेसाती का प्रभाव होता है, वे ज्योतिषीय परामर्श से शनिवार का व्रत भी धारण करते हैं।
  • शनिवार के दिन आप पीपल के पौधे में भी जल अर्पित करें।
  • इस दिन भगवान शनि की पूजन की क्रिया करने के साथ-साथ भगवान श्री हनुमान की भी पूजन की प्रक्रिया करें। शनिवार के दिन शनिदेव के अनुसार भगवान श्री हनुमान की पूजा-आराधना भी करनी चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन के सभी प्रकार के संकट-दोष आदि का निवारण होता है।
  • पूजन की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात शनि चालीसा एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • आज के दिन श्री शनि सूक्त का भी पाठ करें।
  • संध्या कालीन वेला में आप भगवान शनि एवं हनुमान के समीप सरसों के तेल अथवा तिल के तेल में दीपक जलाएं एवं भगवान शनि एवं हनुमान की आरती करें।

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मंत्र विशेष

शनि दोष निवारण हेतु महामृत्युंजय मंत्र को अत्यंत ही उपयुक्त माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र ना केवल शनि दोष, अपितु जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं एवं संकटों के निवारण हेतु सर्वोत्तम माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र के संबंध में वेदों में भी निहित है। इसे जीवन में आ रही सभी अकाल समस्याओं एवं बाधाओं से मुक्ति का अचूक साधन माना जाता है

'ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्'

शनिवार को नीचे दिए गए मंत्रों में से अपनी सुविधा अनुसार अथवा सामर्थ्य अनुसार मंत्रों का जप करें। कम से कम 108 बार इन मंत्रों का जप अवश्य करें। कोशिश करें कि शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति हेतु आप अपने जीवन में किसी एक मंत्र का नियमित रूप से धारण करें एवं प्रतिदिन उस मंत्र का कम से कम 108 बार जप अवश्य करें।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।।

मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।।

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

स्वयं के ऊपर मंडरा रहे शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति हेतु शनिवार के दिन स्वयं अथवा किसी विद्वतगन या ब्राह्मण से अपने घर में शनि तंत्रोक्त मंत्र से 23000 बार जप करवाएं। इससे आपके जीवन में शनि के दुष्प्रभाव से जुड़ी सभी परेशानियों से का निदान होगा।

शनि का तंत्रोक्त मंत्र:-

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

उपाय व टोटके

  • शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार को सरसों के तेल के 15 अखंड दीपक रात्रि भर जलाएं, इसे शनि देव प्रसन्न होते हैं
  • प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में शनि एवं पीपल के वृक्ष में जल से अर्घ्य प्रदान करें। शनि भगवान को गुड़, तिल, सरसों का तेल आदि चढ़ाये।
  • शनि देव को नीले पुष्प चढ़ाकर इस मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नमः का 108 बार जप करें।
  • अगर आपके ऊपर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया का दोष हो, तो शनिवार के दिन शनि की पूजा आराधना के साथ-साथ पीपल के पेड़ के नीचे अपने दोनों हाथों से स्पष्ट करते हुए 7 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करने के दौरान आप भगवान शनि के मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का मन ही मन जप करें।
  • शनिवार के दिन भगवान शनि के साथ-साथ भगवान श्री हनुमान जी की पूजा आराधना करना आपके लिए अधिक फलदाई रहेगा।
  • शनिवार के दिन भगवान शनि के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा पाने हेतु भी एक समय का ही आहार ले. सूर्यास्त से पूर्व जब आप भोजन ग्रहण करने जाएं तो सर्वप्रथम एक साफ बर्तन में पहली रोटी ले लें एवं रोटी के ऊपर हाथ स्पर्श करते हुए मन ही मन अपनी मुराद मांगे। तत्पश्चात उस रोटी को काले कुत्ते अथवा काली गाय को खिला दें। इससे आपके अटके हुए कार्य बन जाएंगे एवं धन संबंधित समस्याएं समाप्त होंगे।
  • शनिवार के दिन भगवान शनि के समीप सरसों के तेल का दीपक जलाने के साथ-साथ भगवान शनि को सरसों के तेल का अर्पण भी करें।
  • इस दिन लोहे के शनि भगवान की मूर्ति का पूजा करें।
  • शनिवार के दिन भगवान शनि की वस्तुएं जैसे उड़द की दाल, काला कपड़ा, काले तिल, काले चने आदि को गरीबों में दान करें।
  • शनिवार के दिन जातक को काले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

शनिवार की आरती

शनिवार के दिन संध्याकालीन बेला में सूर्यास्त के पश्चात शनिदेव तथा हनुमान जी के समीप सरसों के तेल का एक दीपक जलाकर उनकी आरती करें।

शनिदेव की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन...

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन...

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन...

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन...

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥

कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥