भारतीय संस्कृति में प्रत्येक दिन समस्त जगत में व्याप्त देवी देवताओं को समर्पित किए गए है। इसी प्रकार हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का भी अधिक महत्व है। माँ दुर्गा को समर्पित इस नौ दिन के त्योहार को हम सब नवरात्रि की रूपों में मानते है। एक वर्ष में कई नवरात्रि का आगमन होता है जैसे - चैत्र, अश्विन, आषाढ़, पौस व माघ। इन सभी नवरात्रि में मूलतः दो नवरात्रि की ही अधिक महत्ता है, चैत्र नवरात्रि व अश्विन नवरात्रि। अश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से भी जानते हैं। इस नवरात्रि का शरद ऋतु में अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को आगमन होता है। शरद ऋतु में इसका आगमन होने के कारण अश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है, वहीं अन्य जैसे आषाढ़, पौस, व माघ नवरात्रि को सामान्यतः गुप्त नवरात्रि के रूप में जानते हैं।
इस वर्ष अश्विन नवरात्रि का कई वर्षों पूर्व के समान विलक्षण संयोग है। मूलतः नवरात्रि पितृ पक्ष के समाप्त होते ही अश्विन माह की प्रतिपदा को नवरात्र का आरंभ हो जाता था, किन्तु इस बार तकरीबन 165 वर्षों पूर्व समान संयोग बन रहा है। इस वर्ष पितृ पक्ष की अमावस्या के उपरांत अधिकमास का आगमन होगा, तत्पश्चात ही इस वर्ष हिन्दू धर्म में पूजित नवरात्रि का आरंभ होगा। पितृ पक्ष व नवरात्रि के मध्य अधिकमास के आगमन से इस वर्ष 2020 में अश्विन नवरात्रि में एक माह का अंतर आएगा जिस कारण इस वर्ष नवरात्र का आरंभ अक्टूबर माह में होगा जो सामान्यतः सितंबर माह में पूर्ण हो जाती थी। इस वर्ष ये संयोग है कि चतुर्मास, जिसमें भगवान विष्णु पार्वती जी के आग्रह को पूर्ण कर चार माह विश्राम मुद्रा धारण करते है, इस वर्ष संयोग से अश्विन माह की संख्या दो होगी जिस कारण चातुर्मास इस वर्ष पांच माह का होगा।
चातुर्मास में मंगल व कल्याणकारी हरि शयन निद्रा में लीन होते हैं, इसलिए इन माह में कोई भी मंगल कार्य करना वर्जित होता है। विवाह, मुंडन, घर का पूजन आदि जैसे कार्य इस माह में करना अशुभ माने जाते हैं। इस माह में भगवान की वंदना व व्रत करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती है।
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नवरात्रि का संयोग इस वर्ष अधिकमास की अमावस्या के उपरांत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को तिथि 17 अक्टूबर को आरंभ होगा। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का हिन्दू धर्म में अधिक महत्वत्ता है। इन दिनों दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस धरा पर मान्यता है कि वर्ष दो तरह के होते हैं, सूर्य वर्ष व चन्द्र वर्ष। एक सूर्य वर्ष 365 दिनों का होता है तो वहीं एक चन्द्र वर्ष 354 दिनों का होता है। दोनों वर्षों में लगभग 11 दिनों का अंतर होता है जिस कारण ये तीन वर्षों में एक माह के बराबर अंतर हो जाता है। इसलिए हर तीन साल में एक माह की वृद्धि हो जाती है जिसको हम अधिक माह के नाम से जानते हैं।
प्रथम दिवस - माँ शैलपुत्री जी का पूजन - 17 अक्टूबर 2020 - शनिवार
द्वितीय दिवस - माँ ब्रह्मचारिणी जी का पूजन - 18 अक्टूबर 2020 - रविवार
तृतीय दिवस - माँ चंद्रघंटा जी का पूजन - 19 अक्टूबर 2020 - सोमवार
चतुर्थ दिवस - माँ कूष्माण्डा जी का पूजन - 20 अक्टूबर 2020 - मंगलवार
पंचमी दिवस - माँ स्कंदमाता जी का पूजन - 21 अक्टूबर 2020 - बुधवार
षष्टी दिवस - माँ कात्यायनी जी का पूजन - 22 अक्टूबर 2020 - गुरुवार
सप्तमी दिवस - माँ कालरात्रि जी का पूजन - 23 अक्टूबर 2020 - शुक्रवार
अष्टमी दिवस - माँ महागौरी जी का पूजन - 24 अक्टूबर 2020 - शनिवार
नवमी दिवस - माँ सिद्धिदात्री जी का पूजन - 25 अक्टूबर 2020 - रविवार