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किस मंत्र के जाप हेतु कौन से रत्न की माला का करें प्रयोग?

Kaun Se Mantra Ke Liye Kuan Si Maala Ka Karen Prayog

भारतीय संस्कृति में अनेक रत्न वर्णित है। यह मान्यता है कि इन रत्नों को धारण करने व मंत्र जप करने हेतु उपयोग करने से साधक के जीवन में अधिक प्रभाव पड़ता है, इसलिए साधक को विभिन्न मंत्र के जाप के लिए अलग-अलग माला का उपयोग करना चाहिए। जैसे कि त्रिकालदर्शी देवाधिदेव महादेव की आराधना करने हेतुसाधक को रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिये, वहीं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने हेतु तुलसी की माला का उपयोग करना चाहिए। इसी प्रकार साधक को जीवन में मंत्र जाप के लिए विभिन्न रत्न की मालाओं का उपयोग करना चाहिए। आइये जानते हैं कौन से मंत्र हेतू हमे कौन से रत्न की माला का उपयोग करना चाहिये।

स्फटिक की माला

भौतिक संसाधनों की पूर्ति हेतुमानव आज अनेक जतन कर रहा है। आज धन की महत्वता सामाजिक रिश्तो से बढ़कर हो गई है, इसलिए मानव धन की प्राप्ति हेतु किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपको धन की प्राप्ति हेतु कर्म के साथ-साथ स्फटिक माला का मंत्र जाप के लिए प्रयोग करना चाहिए। यह एक विलक्षण माला है। इसको धारण करने व लक्ष्मीजी को समर्पित करने से देवी माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा मानव पर बनी रहती है जिससे उनकी अनुकंपा सहित धन की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि किसी भी कार्य में बाधाएं आ रही हैं, धन का अभाव है, दुकान-कारखाने में मंदी रहती है, घर में कलेश आदि बना रहता है तो इन सभी समस्याओं का निवारण इस माला के उपयोग से होता है।

मंत्र: ।।ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।।

माणिक्य की माला

भगवान सूर्य देवता की पूजा अर्चना के लिए साधक को माणिक्य व बेल की लकड़ी से बनी माला का उपयोग करना चाहिए। इससे जीवन में सूर्य देव की कृपा निरंतर साधक पर बनी रहती है जिससे साधक का जीवन ऊर्जा से पूर्णतः प्रकाशित रहता है। इससे घर में चल रहे क्लेश सम्बंधित पीड़ा दूर होती है, साथ ही हर तरह के पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

वैजयंती माला

जो साधक भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं, उन्हें वैजयंती माला के माध्यम से मंत्र जाप करना चाहिए। क्योंकि यह कहा जाता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु को वैजयंती माला किसी ने भेंट स्वरूप दी थी, इसलिए उन्हें यह माला अति प्रिय है। वैजयंती एक वृक्ष का नाम होता है जो बहुत सुंदर व सुगंधित होता है। इसके बीज को माला बनाने हेतु उपयोग किया जाता है। कहते हैं कि जो साधक इस माला को धारण करता है, उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है, उसके जीवन में विकास होता है और उसके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। मान्यता है कि इससे धारक सभी ग्रह दोष से मुक्त हो जाता हैं, यह खासकर शनि के दोष को समाप्त करता है तथा वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करता है।

तुलसी की माला

तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। जो भी साधक भगवान विष्णु की सहृदय आराधना करता है, वह तुलसी को आवश्यक सामग्री सहित भगवान विष्णु को अवश्य रूप से ही अर्पित करता है। भगवान विष्णु ने इस धरा पर अनेक अवतार लेकर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त कर, इस धरा पर हर बार धर्म को स्थापित किया है। इसी प्रकार उनके दो अवतार में तुलसी के भी दो प्रकार होते हैं - श्याम तुलसी व राम तुलसी। तुलसी की माला, तुलसी के बीज से वर्णित की जाती है। जो साधक इस माला को धारण करता है व इस माला के माध्यम से मंत्र जाप करता है, उसे अवश्य ही सकारात्मक लाभ की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस माला को धारण करने से घर में शांति रहती है, आंतरिक भाव व सकारात्मक विचारों में वृद्धि होती है, साथ ही पारिवारिक जनों को उन्नति की प्राप्ति होती है। तुलसी की माला से जप करने से साधक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और वो अपने कार्य के प्रति कर्मशील बनता है।

मंत्र:-

।। ॐ हनुमते नमः ।।

चंदन की माला

जिस प्रकार चंदन अपने आस-पास के दूषित वातावरण को शुद्ध कर उसे सुगंध से महका देता है, उसी प्रकार चंदन की माला से जप करने से साधक का जीवन भी सफलताओं व खुशियों से महक उठता है। चंदन की माला के दो प्रकार होते हैं - लाल व सफेद। मान्यता है कि लाल चंदन की माला से माँ दुर्गा की उपासना की जाती है, और सफेद चंदन की माला से भगवान विष्णु जी की आराधना की जाती है। जो भी साधक चंदन की माला से मंत्र का जप करता है, उसे अपने कारोबार व नौकरी पेशे में कोई भी परेशानी नहीं होती जिससे वह हमेशा हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत करता हैं। चंदन की माला को धारण करने से अनेक रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है, जैसे दस्त, सिरदर्द, जुकाम आदि।

रुद्राक्ष की माला

हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को एक अतुलनीय रत्न माना गया है। यह मान्यता है कि रुद्राक्ष की माला से जप करने से साधक को सभी पुरुषार्थ को पूर्ण करने हेतु सफलता प्राप्त होती है। कहते हैं यह एक ऐसा अनमोल रत्न है जो भगवान शिव के अश्रुरूप जल से जन्म लेता है, इसलिए रुद्राक्ष की माला से जप करने का हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक रुद्राक्ष का उपयोग मंत्र जाप करने हेतु करता है, उस पर सदा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है, उस पर आए बड़े से बड़े संकट भगवान शिव हर लेते हैं और साधक को अरोग्यता व जीवन में उत्कृष्टता प्रदान करते हैं।

मंत्र:-

।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।।

मूंगे की माला

मूंगे की माला का उपयोग हनुमान जी व मंगल देवता की आराधना करने हेतु किया जाता है। इसको धारण कर या फिर मंत्र जाप के लिए उपयोग करने से मंगल ग्रह के दोष से जातक को मुक्ति प्राप्त होती है, व मंगल देवता मूंगे की माला से उपासना करने से शांत होते हैं। इससे साधक को जीवन में संकटों के समय बुद्धि, विवेक, संयम व बल की प्राप्ति होती है और जादू-टोना आदि दुष्प्रभाव से मुक्ति प्राप्त होती है।

कमल गट्टे की माला

शास्त्रों में अनेक माध्यम के द्वारा हम धन प्राप्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, किंतु कमलगट्टे की माला से जप करने से बहुत जल्द ही धन की प्राप्ति होती है व जीवन की अनेकों समस्याएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं, साथ ही यश-वैभव, सुख समृद्धि आदि ईश्वर की अनुकंपा सहित हम पर विराजमान रहते हैं। कहते हैं कि कमल का पुष्प देवी माँ लक्ष्मी को अति प्रिय है, और उससे भी ज्यादा प्रिय उन्हें कमल के पुष्प का बीज है, जिससे कमलगट्टे का नाम से जानते हैं। इसलिए कहते हैं कि कमलगट्टे की माला के माध्यम से जो भी साधक जप करता है, उसे अवश्य ही उसका लाभ प्राप्त होता है। जिस किसी के घर में अशांति का माहौल व्याप्त होता है, दुकान पर कठिनाई रहती है, धन-सम्पदा आदि का अभाव रहता है, तो ऐसे साधक को अवश्य ही कमलगट्टे की माला के माध्यम से मंत्र जाप करना चाहिए। इससे इन सभी परेशानियों से उसे जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा और जीवन में सुख-समृद्धि, यश एवं बल की वर्षा होगी।

मंत्र:

।।ॐ कालिके नमः।।

।। ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।।

हल्दी की माला

सामान्यतः जीवन में वैज्ञानिकों द्वारा हल्दी का उपयोग अधिक से अधिक करने का सुझाव दिया जाता है। यह हमारे शरीर में रक्त शोधन का कार्य करती है व विभिन्न रोगों से मुक्ति प्राप्त करने हेतु कारगर साबित होती है। हल्दी की माला को हम हद्रिका माला कहते हैं। इसका उपयोग हमें देवी माँ बगलामुखी, श्री गणेश व गुरु देवता की पूजा-अर्चना करने के लिए करना चाहिए जिसके द्वारा साधक को अपने जीवन में चल रहे ग्रह दोष से मुक्ति प्राप्त होती है और गुरु की छत्रछाया उस पर सदा विराजमान रहती है। इस माला के उपयोग से हृदय संबंधी रोग, पीलिया आदि से भी मुक्ति प्राप्त होती है और साधक को अपनी नौकरी, व्यापार, पेशे आदि में लाभ होता है। इसलिए हल्दी की माला धन एवं कामना पूर्ति के लिए श्रेष्ठ प्रतीत होती है।

मोती की माला

मोती अपने श्वेत रंग के कारण चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। यह भी सृष्टि के नवरत्नों की श्रेणी में से एक है। मोती का सफेद रंग साधक को शांति और शीतलता प्रदान करता है। इसको धारण करने से साधक को संसार की हर खुशी व लाभ की प्राप्ति होती है। इसके प्रयोग से साधक को अपने चंद्र ग्रह के दोष से मुक्ति प्राप्त होती है। जो साधक शिवजी व चंद्र देवता की आराधना व अर्चना करते हैं, उन्हें मोतियों की माला का उपयोग करना चाहिए। इससे भगवान भोले शंकर व चंद्र देवता की अनुकंपा जीवन में सफलता के रूप में विराजमान रहती है।