विवाह, स्वास्थ्य, नौकरी, व्यापार, धन-सम्पत्ति, मकान, वास्तु, कोर्ट-कचहरी, संतान, शिक्षा, उन्नति, पारिवारिक दिक्कतें, कुंडली मिलान, विदेश निवास या यात्रा, करियर आदि से जुड़ी सभी समस्याओं के सटीक उपाय जानें लाल किताब गुरु आचार्य पंकज धमीजा जी से।
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इन वास्तु दोष उपायों से मिलती है शिक्षा में उन्नति

Vastu tips for Progress in Education

मानव जीवन में शिक्षा अपना विशेष महत्व रखती हैं, इसीलिए माता-पिता शुरू से ही (बच्चों के जन्म से) अपने बच्चों को उनकी पढ़ाई के प्रति ध्यान केंद्रित करवाने की हर संभव प्रयास करते हैं। आधुनिक युग में कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी, मोबाईल, टैबलेट और गेमिंग सिस्टम के अनेको विकल्प है, फिर भी कुछ बच्चों को परीक्षा में मनोनुकूल अंक प्राप्त नहीं होते हैं, या वे असफल हो जाते हैं जिन वजह से वे काफी चिंतित रहते हैं। बच्चों एवं बच्चों के माता-पिता को लगता है कि शायद उनके बच्चों की मेहनत में ही कोई कमी रह गई है। बच्चें जी-जान लगाकर पढ़ाई तो करते हैं परंतु उन्हें अगली बार भी असफलता ही हाथ लगती है। दरअसल ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि कहीं वास्तु दोष हमारी शिक्षा में उन्नति अवरोधक का एक कारण हो। तो आइए जानते हैं वास्तु उपायों से शिक्षा में उन्नति प्राप्त कैसे करें।

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वास्तु उपाय जो कराएंगे शिक्षा में प्रगति

  • बच्चों को पढ़ते समय पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए और टेबल पर आगे एक छोटे गुलाब का पुष्प रखना चाहिए, साथ ही एजुकेशन टावर भी रख सकते हैं।
  • घर में बच्चों का कमरा उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, दक्षिण, नैॠत्य,आग्नेय आदि दिशा में बच्चों का कमरा नहीं होना चाहिए। बच्चों या विद्यार्थियों के कमरे की सजावट पूरी तरीके से बच्चों के अनुकूल होनी चाहिए जिससे कि बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहे। बच्चों का कमरा साफ-सुथरा होना चाहिए।
  • बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि स्वस्थ्य शरीर में ही प्रसन्न आत्मा का वास होता है। जब बच्चों का मन प्रसन्न रहेगा, तो उनका मन स्वतः पढ़ाई में लगा रहेगा और वह शिक्षा में उन्नति को प्राप्त करेंगे।
  • सर्वप्रथम अपने घर के सम्पूर्ण वास्तु-विचार के साथ अपने बच्चों के कमरे के वास्तु का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों की शिक्षा की उन्नति के लिए बच्चों का वास्तु अनुकूल ग्रह अथवा कमरे में निवास करना आवश्यक है।
  • बच्चों के कमरों का रंग पूर्ण रूप से शुभ होना चाहिए। बच्चों के कमरों का रंग उनके नाम की राशि के अनुसार होना चाहिए। द्वितीयंश, लग्नेश और पंचमेश ग्रहों में से जो सर्वाधिक रूप से बली हो, अथवा बच्चों की राशि ग्रह के अनुसार बच्चों के कमरों का रंग अथवा कमरे में लगे पर्दों का रंग होना चाहिए। यदि बच्चे एक या एक से अधिक हो तो जो बड़ा बच्चा है तथा महत्वपूर्ण विद्या ग्रहण कर रहा हो, तो उस बड़े बच्चे के कमरे के दीवार का रंग उस बड़े बच्चे के राशि के अनुसार होना चाहिए। यदि दोनों बच्चे एक ही उम्र के हैं, तो बच्चों के कमरे में दो अलग-अलग शुभ रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कमरे के पर्दों का रंग दीवार से थोड़ा गहरा रखना चाहिए। बच्चों का बिस्तर ज्यादा ऊंचा नहीं रखना चाहिए, तथा बच्चों के पलंग को इस तरह से रखा जाए कि बच्चों का सिरहाना पूर्व दिशा में तथा पैर पश्चिम दिशा में हो। स्टडी टेबल और कुर्सी को बेड के उत्तर दिशा में ही रखना चाहिए। अगर बच्चे के कमरे में कंप्यूटर रखना है, तो इसे बेड के दक्षिण दिशा की ओर अग्नैय कोण में रखना चाहिए। बच्चों की पुस्तक की रैक तथा बच्चों के कपड़ों की अलमारी को नेॠत्य कोण में रखना चाहिए।
  • बच्चों के कपड़ों में पर्याप्त सूर्य की रोशनी आनी चाहिए। बच्चों का कमरा प्राकृतिक रूप से हवादार होना चाहिए। बच्चों के कमरे में चित्र और पेंटिंग उनके विचारों को प्रभावित करने वाली लगी होनी चाहिए। बच्चों के कमरे में हिंसात्मक एवं भड़काऊ पेंटिंग एवं चित्र कभी नहीं लगाना चाहिए। पालतू जानवरों, प्राकृतिक सौंदर्य, महापुरुषों, भगवानों के चित्र, खासकर भगवान श्री गणेश और माता सरस्वती की पेंटिंग या चित्र लगाना चाहिए। यह सभी पेंटिंग और चित्र कमरे के पूर्व दिशा में होनी चाहिए। बच्चा जिस क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देख रहा है, बच्चे के कमरे में उन्हीं क्षेत्र में सफलता प्राप्त व्यक्तियों के चित्र या पेंटिंग लगाना चाहिए। अगर बच्चा छोटा है तो बच्चों के कमरे में कार्टून आदि की पेंटिंग्स लगाई जा सकती है।
  • बच्चों का कमरा इस स्थिति में अवस्थित होना चाहिए कि घर में होने वाले शोरगुल या बाहर से आने वाली तेज ध्वनि उन बच्चों का जरा सा भी ध्यान ना भटका सके अन्यथा बच्चों का पढाई पर से ध्यान हट जाएगा। अत: बच्चों के कमरों घर की तरफ कोई खिड़की या झरोखा खुली नहीं होनी चाहिए। बच्चों की श्रेष्ठ शिक्षा व उन्नति के लिए उनके कमरे वास्तु के अनुकूल होना चाहिए।
  • बच्चों के स्नानागार तथा शौचालय उनके कमरे से जुड़े होने चाहिए जो कि पश्चिम तथा वायव्य दिशा में स्थापित हों।

आइए अब जानते हैं परीक्षा के दिनों में एकाग्रता को कैसे बढ़ाए वास्तु शास्त्र के अनुसार

परीक्षा के दिनों में तनाव की वजह से बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है। वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिए परीक्षा में सफल होना भी जरूरी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार उपाय जानते हैं:

  1. अपने कमरे में माता सरस्वती की छोटी सी प्रतिमा रखें। पढ़ने बैठने से पूर्व माता के समक्ष कपूर का दीपक जलाएं और तीन अगरबत्ती जलाएं और हाथ जोड़कर माता से प्रार्थना करें और आशीर्वाद ले, फिर पढ़ाई शुरू करें।
  2. एक थाली/प्लेट में गंगाजल और केसर को आपस में मिलाकर उससे बनी स्याही से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इन पर वैविध्य चढ़ाएं। माता के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर रखें। माता की ध्यान व स्तुति करें। इसके उस थाली में जल मिलाकर गिलास में डालकर उसे ग्रहण कर ले। ऐसा करने से शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण उन्नति होती है।
  3. जिन बच्चों की याददाश्त या स्मरण शक्ति कमजोर है, उन्हें तुलसी के 11 पत्तों का रस मिश्री के साथ मिलाकर नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
  4. परीक्षा से ठीक 5 दिन पहले बच्चों को मीठा दही प्रतिदिन दें। विशेष ध्यान ये रखना चाहिए कि दही रोज एक ही समय पर ना दें, दही देने के समय को प्रतिदिन परिवर्तित करते रहे। यदि एक दिन दही सुबह 7:00 बजे दिया है तो उसके अगले दिन सुबह  8:00 बजे दे, उसके अगले दिन 9:00 बजे दे, इसी क्रिया  को दोहराते हुए प्रतिदिन एक घंटा बढ़ाते रहें।