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हथेली में इन चिन्हों का मतलब है कि आप पर है शिव की विशेष कृपा, सफलता चूमेंगीं कदम

These Signs on Palm represents Lord Shiva's Blessings

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार जातक की हथेली पर कई ऐसे चिन्ह बनते हैं जो जातक के जिंदगी के रहस्य के बारे में काफी कुछ बतलाते है। इन चिन्हों का प्रभाव जातक के संपूर्ण जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से पड़ता है। जातक की इन हस्त रेखाओं के कुछ चिन्ह तो ऐसे भी होते हैं जो जातक की जिंदगी में घटित होने वाली कई चीजें बतलाते हैं।

शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि कुछ निशान ऐसे भी होते हैं जो जातक को सौभाग्यशाली बनाते हैं और उन जातक पर शिवजी की विशेष कृपा दृष्टि भी बनी रहती है। ऐसे चिन्ह वाले जातक अपने जीवन में कम मेहनत एवं परिश्रम करते हैं तो भी इन जातकों को काफी अत्यधिक सफलता प्राप्त होती हैं। शास्त्रों के अनुरूप ये चिन्ह ये भी बताते हैं कि कौन जातक अपने जीवन में खूब सारा रुपया-पैसा, धन-दौलत कमा कर काफी धनवान बनेगा और कौन जातक खुशहाल जीवन व्यतीत करेंगा। शास्त्रों के मुताबिक अलग-अलग जातकों की हथेलियों पर अलग-अलग चिन्ह पाए जाते हैं। तो आइये जानते हैं कि- हथेलियों में किन चिन्हों का क्या मतलब है और किन चिन्ह वाले जातक पर है शिव की विशेष कृपा।

त्रिशूल चिन्ह

शास्त्रों के अनुरूप भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह त्रिशूल को माना जाता है। हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक़ जातकों की हथेली में त्रिशूल के चिन्ह का होना बेहद भाग्यशाली माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भी हथेली में त्रिशूल चिन्ह का बनना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों की हथेली में त्रिशूल चिन्ह बना होता है उन जातकों पर शिव की विशेष कृपा बनी रहती है। हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक हथेली की जिस रेखा से मिलकर त्रिशूल का निशान बनता है, उस पर महादेव की विशेष दया द्रष्टि बनी रहती है, साथ ही साथ भाग्य रेखा या मस्तक रेखा पर त्रिशूल का चिन्ह बनने पर वे जातक हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं और उस जातक का भाग्य भी पूर्णतः साथ देता हैं।

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त्रिशूल एक परंपरागत भारतीय हथियार है। त्रिशूल एक हिंदू चिह्न की तरह भी प्रयुक्त होता है। त्रिशूल 3 चोंच वाला धात्विक सिर का भाला या हथियार होता हैं, त्रिशूल हिंदु देवता भगवान शिव के हाथ में शोभनीय होता हैं। त्रिशूल भगवान शिव का अत्यंत प्रिय अस्त्र हैं। शिव का त्रिशूल पवित्रता या शुभ कर्म का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बिना त्रिशूल के शिवालय अधूरा है। तो जरा सोचिए जो त्रिशूल शिव को इतना प्रिय है, वहीं त्रिशूल  चिन्ह जातकों के हस्तरेखा में बन रही हो तो वह जातक कितना भाग्यशाली होगा। अतः जिन जातकों के हस्तरेखा में त्रिशूल चिन्ह बने रहते हैं वह जातक शिव के अत्यंत दुलारे भक्त होते हैं और शिव जी उन जातक को सारी खुशियां, सुख संपत्ति प्रदान करते हैं और उन जातक अपनी दया दृष्टि सदैव बनाए रहते हैं।

डमरू चिन्ह

पौराणिक कथाओं के अनुसार हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव के त्रिशूल में सदैव एक डमरू रहता है, हालांकि डमरू चिन्ह बहुत से जातकों की हथेली में पाए जाते हैं। चूँकि जिन भी जातकों के हथेली में डमरू चिन्ह बना रहता हैं उन जातकों को बाबा भूतनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होता हैं। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार यदि डमरु का चिन्ह बृहस्पति पर्वत पर है तो वह जातक उच्च पद पर पदासिन होता है और इन जातकों को कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है। हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक अगर किसी जातक की हथेली में डमरु चिन्ह बनता है तो डमरू चिन्ह इस बात का संकेत देता है कि उस जातक को कभी भी अपने जीवन में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। हथेली में डमरू चिन्ह वाले जातकों के पास धन की कोई कमी नहीं होती है। करियर में भी हथेली में डमरु चिन्ह वाले जातक ज्यादा से ज्यादा अपना समय मेडिटेशन और योग में बिताते हैं। शास्त्रों के अनुसार डमरु चिन्ह का हथेली में होना बहुत ही शुभ माना जाता है।

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हथेली में डमरू निशान वाले जातक बहुत ही अधिक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसे जातक परिवार में और समाज में अपनी एक अलग पहचान एवं छवि बनाते हैं। हस्तरेखा शास्त्र में ऐसा वर्णित है कि जिन जातकों के गुरु पर्वत पर त्रिभुज के निशान के साथ डमरू चिन्ह भी बनते हैं ऐसे जातक सरल स्वभाव के होते हैं। ऐसे जातक जीवन के हर क्षेत्र में ऊंचाइयों एवं उपलब्धियों को प्राप्त करते हैं।

हथेली में अर्ध चाँद का बनना

पौराणिक कथाओं से हम सभी जानते हैं कि भगवान महादेव के सिर पर चंद्रमा सुशोभित रहता है और हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक जातकों के दोनों हथेलियों को मिलाने पर आधा चंद्रमा का आकार बनता है। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार जातकों के दोनों हथेलियों को मिलाकर अर्ध चन्द्रमा चिन्ह का बनना बेहद शुभ माना गया है। अर्ध चन्द्रमा चिन्ह जिन जातकों की दोनों हथेली को मिलाकर बन रहा होता है, उन को जीवन भर लाभ ही लाभ प्राप्त होता हैं।

जिन जातकों के हथेली को मिलाकर अर्ध चन्द्रमा चिन्ह बनता है तो ऐसे जातकों के ससुराल पक्ष से संबंध काफी मधुर एवं मजबूत बनते हैं। ऐसे जातक काफ़ी बुद्धिमान एवं दिमाग से तेज़ होते हैं और कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो, वे समस्या इन जातकों के लिए बड़ी नहीं होती है। साथ ही ऐसे जातक किसी भी कार्य का नेतृत्व करने से पीछे नहीं हटते है।  

हथेली में ध्वज चिन्ह का बनना

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार जिस जातक के हथेली में ध्वज का चिन्ह बना होता है, ऐसे जातकों पर भगवान शिव की विशेष कृपा सदैव बनी रहती है। ऐसे चिन्ह वाले जातकों के लिए कोई भी कार्य कठिन व मुश्किल नहीं होता है। ऐसे चिन्ह वाले जातक मानसिक रूप से काफी मजबूत होते हैं। इन जातकों का शत्रु कभी कुछ नहीं बिगाड़ पाता है।

शास्त्रों के अनुरूप हथेली में ध्वज चिन्ह वाले जातक को भगवान शिव सदैव हर बुरी परिस्थितियों से रक्षा करते हैं। हथेली में ध्वज चिन्ह वाले जातक हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक को कोर्ट कचहरी और हर तरह के वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। ऐसे जातक बहुत ही अधिक भाग्यशाली होते हैं। ऐसे जातक के पास धन-दौलत और संपत्ति की कोई कमी नहीं रहती है।