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सफल और धनवान बनाता है हथेली में मछली का चिन्ह

Fish sign on Palm makes you Rich and Successful

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली में स्थित लकीरें या रेखाओं के अलावा भिन्न-भिन्न प्रकार के चिन्हों, निशानों और संकेतों के आधार पर भविष्य का निर्धारण होता है। हस्तरेखा शास्त्र में हाथ को पढ़कर जातक के चरित्र या भविष्य का मूल्यांकन किया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार हस्तरेखा की सहायता से जातक का भविष्य देखने के लिए सर्वप्रथम जातक के अंगुलियों, अंगूठे और हथेली की बनावट को देखना चाहिए। हस्तरेखा का अध्ययन करते समय सबसे पहले बायाँ हाथ देखना चाहिए, तत्पश्चात दायाँ हाथ देखना चाहिए।

वैसे तो हथेली में बहुत तरह की रेखाएं/लकीरें एवं शुभ चिह्न होते हैं। उन्हीं चिह्नों से एक ऐसा ही शुभ चिह्न होता है मछली का चिह्न। मछली चिह्न को हिंदू धर्म शास्त्र के अलावा, वास्तु शास्त्र और चीनी फेंगशुई में भी शुभ माना गया है।

हिंदू धर्म शास्त्र में मत्स्य अवतार का चर्चा किया है तो वास्तु शास्त्र में फिश एक्वेरियम को शुभ माना गया है। हिंदू धर्म शास्त्र में पौराणिक कथाओं के अनुसार  मत्स्य रूप भगवान विष्णु के 10 अवतारों में प्रथम अवतार हैं। मछली के रूप में भगवान विष्णु ने अवतार लेकर एक ऋषि को सभी प्रकार के जीव जंतु एकत्रित करने के लिए कहा और पृथ्वी जब जल में डूब रही थी, तो मत्सय अवतार लेकर ही भगवान विष्णु ने उस ऋषि को और उस नाव की रक्षा की।

किसी न किसी प्रकार से हस्तरेखा शास्त्र में भी मछली का चिह्न शुभता, सफलता और धन संपत्ति का प्रतीक माना गया है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली में मछली का चिन्ह जिस जगह मौजूद होता है, यह चिह्न उस स्थान के अनुरूप अपना परिणाम देता है। जानकारी के अनुसार फेमस हॉलीवुड अभिनेत्री जेनिफर लोपेज के सुर्य पर्वत पर मछली का चिह्न स्थित है। तो हम सभी जातक अनुमान लगा सकते हैं कि वें कितनी सफल अभिनेत्री है और पूरे विश्व में कितनी प्रसिद्ध है।

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तो आइए जानते हैं हथेली में भिन्न-भिन्न स्थान पर मछली का चिन्ह होने से क्या-क्या परिणाम मिलते हैं।

हथेली में मछली का चिन्ह

गुरू पर्वत: हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार गुरू पर्वत (तर्जनी उंगली, मतलब कि इंडेक्स फिंगर के नीचे जो खड़ी लाइन होती है) पर मछली का चिन्ह हो, तो ये चिह्न इस बात की ओर इशारा करता हैं कि जातक अपनी स्वयं की बुद्धि, ज्ञान और बल पर दुनिया पर एवं दुनिया के अधिकांश लोगों के ह्रदय पर राज करेगा। ऐसे चिह्न वाले जातक की सफलता दिन-दूनी, रात-चौगुनी गति से बढ़ती है। ऐसे जातक अत्यंत धनवान होते हैं। ऐसे जातकों को आर्थिक रूप से धन लाभ होता हैं।

शनि पर्वत (मध्यमा अंगुली के नीचे का स्थान) पर मछली का निशान हो तो यह निशान इस बात की ओर इशारा करता हैं कि ऐसे चिन्ह वाले जातक अत्यंत ही न्यायप्रिय और अनुशासित होंगे। ऐसे चिह्न वाले जातक रहस्यमई विद्याओं का ज्ञाता होता हैं। ऐसे चिह्न वाले जातक दार्शनिक एवम आध्यात्मिक अभिव्यक्ति के होते हैं और अपनी आजीविका इन्हीं चीजों से कमाते हैं। ऐसे चिह्न वाले जातक को उनका शत्रु कभी भी परास्त नहीं कर सकता है। इन जातकों को अपना दार्शनिक जीवन जीना बेहद पसंद होता है।

सूर्य पर्वत (अनामिका उंगली मतलब कि रिंग फिंगर के नीचे जो खड़ी लाइन होती है या नीचे का स्थान) पर मछली चिह्न बनने वाले जातक को संपूर्ण दुनिया में एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ऐसे जातक अपना नाम और यश कमाते हैं। ऐसे चिह्न वाले जातक अपनी मेहनत, लग्न व परिश्रम के बल पर सरकारी नौकरी हासिल करते हैं और देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचते हैं। सूर्य पर्वत पर मछली के चिह्न वाले जातक को विश्व का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त होता है।

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बुध पर्वत (कनिष्ठा उंगली/सबसे छोटी अंगुली के नीचे का स्थान) पर मछली का चिन्ह स्थित हो तो समुद्र शास्त्रों के अनुसार यह मछली चिह्न इस बात की ओर इशारा करते हैं कि ऐसा जातक एक सफल उद्योगपति बनेगा। जिन जातकों की हथेली के बुध पर्वत पर मछली का चिन्ह बना होता है, शास्त्रों के अनुरूप ऐसे जातक अपनी संचार कौशल के दम पर प्रसिद्धि हासिल करते हैं। ऐसे चिह्न वाले जातक का विवाह अत्यंत सफल होता है और ऐसे जातक दम्पति को एक-दूसरे का साथ सदैव हर क्षेत्र के कार्यों में मिलता है। ऐसे चिह्न वाले जातक बिजनेस में तरक्की एवं सफलता की हर बुलंदी को हासिल करते हैं।

हथेली में चंद्र पर्वत (बुध पर्वत और मणिबंध के बीच स्थान) पर मछली का चिह्न बनना शास्त्रों के मुताबिक अत्यंत फायदेमंद एवं शुभ माना गया है। जिन जातकों की हथेली के चंद्र पर्वत पर मछली का चिह्न बना होता है तो ऐसे जातक अत्यंत क्रिएटिव होते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ऐसे चिह्न वाले जातक आर्ट, फिल्म और कल्चर के क्षेत्रों में प्रसिद्धि को प्राप्त करते हैं। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुरूप इन चिह्न वाले जातकों की ख्याति विदेशों तक फैलती है। ऐसे चिह्न वाले जातक समुद्रपारीय देशों में व्यापार करके अत्यधिक धन अर्जित करते हैं।

शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे का उभरा हुआ भाग) पर मछली के चिह्न होने का मतलब है कि ऐसे जातक काफी आकर्षक, प्रभावशाली और रोमांटिक किस्म के होते हैं। ऐसे जातक की ओर हर तरह के व्यक्ति आकर्षित हो जाते हैं। ऐसे चिह्न वाले जातक प्रसिद्ध व्यक्ति बनते हैं। ऐसे जातकों के पास भौतिक वस्तुओं की कोई कमी नहीं रहती है।

हथेली में केतु पर्वत मणिबंध रेखाओं (कलाई पर स्थित कुछ गोल सी रेखाएं) के ऊपर होता है। यदि केतु पर्वत पर मछली का चिन्ह बना हुआ होता है, तो जातक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होता है। ऐसे जातक धार्मिक और आध्यात्मिक के दम पर अपना नाम, यश, वैभव और धन अर्जित करते हैं। समुद्र शास्त्र के अनुसार केतु पर्वत पर मछली का चिह्न बनना अत्यंत शुभ एवं महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि मछली का मुख जिस पर्वत की और होता है तो उस पर्वत के शुभ गुण भी उस जातक में आ जाते हैं।  उदाहरण के रूप में-यदि केतु पर्वत पर स्थित मछली का मुख सूर्य पर्वत की ओर है तो जातक मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा हासिल करेगा। अगर केतु पर्वत पर मछली का चिन्ह हो और वह चिह्न उल्टा हो, मतलब की मछली का मुख मणिबंध रेखा की ओर हो और पूंछ किसी ओर पर्वत की ओर हो तो जिस पर्वत की ओर मछली की पूंछ होती है, उस पर्वत से संबंध रखने वाले परिणाम मिलने में देरी होती है।

अतः हस्तरेखा शास्त्र के अनुरूप हथेली में मछली चिह्न वाली रेखाओं के होना का महत्व बहुत अधिक हैं और मछली का चिह्न जातक को सफल और धनवान बनाते हैं।