विवाह, स्वास्थ्य, नौकरी, व्यापार, धन-सम्पत्ति, मकान, वास्तु, कोर्ट-कचहरी, संतान, शिक्षा, उन्नति, पारिवारिक दिक्कतें, कुंडली मिलान, विदेश निवास या यात्रा, करियर आदि से जुड़ी सभी समस्याओं के सटीक उपाय जानें लाल किताब गुरु आचार्य पंकज धमीजा जी से।
संपर्क करें - +91 8384874114 / 9258758166

शारदीय नवरात्रि 2020: नौ दिन के लिए आएँगी माँ आपके घर, इस तरह करें उनके स्वागत की तैयारी

Shardiya Navratri 2020: Is Tarah Karen Maa Ke Swagat Ki Taiyari

हिंदू धर्म में अनेकानेक प्रकार के व्रत त्योहारों के मध्य शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व माना जाता है। इसे भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग तौर-तरीके के साथ मनाया जाता है जो इस वर्ष 2020 में 17 अक्टूबर की तिथि से आरंभ होने जा रहा है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र का आरंभ 17 अक्टूबर की तिथि को तो वहीं अंत दशहरा वाले दिन अर्थात 25 अक्टूबर को हो जाएगा।

नवरात्रि के 9 दिनों में माता आदिशक्ति जगदंबा के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है जिसके लिए लोग कई महीने पहले से ही तैयारियां आरंभ कर देते हैं। नवरात्रि के इस नौ दिवसीय त्योहार को पूरे देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें कलश स्थापन की प्रक्रिया से लेकर मूर्ति स्थापना मूर्ति विसर्जन आदि जैसे अनेकानेक प्रकरण होते हैं जिसके लिए प्रायः जातक नवरात्रि के पूर्व से ही तैयारियां आरंभ कर देते हैं।

तो आइए आज हम आपको नवरात्रि आने से पूर्व नवरात्रि के लिए आवश्यक सामग्री व नवरात्र से जुड़े तथ्यों के संबंध में संपूर्ण जानकारी प्रदान कर देते हैं ताकि आदिशक्ति जगदंबा का भव्य स्वागत कर उनके विशेष कृपा पात्र बन सके।

कुछ इस प्रकार करें कलश की स्थापना व अन्य पूजन प्रकरण

  • शारदीय नवरात्र के आरंभ होने के पूर्व अर्थात 16 अक्टूबर की रात्रि को जातकों को कलश स्थापन हेतु जौ को पानी में भिगोने हेतु रात्रि कालीन बेला में रख देना चाहिए।
  • तत्पश्चात दूसरे दिन अर्थात 17 अक्टूबर को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि की प्रक्रिया को संपन्न कर कलश स्थापन के विधान को आरंभ करना चाहिए।
  • इसके लिए जातकों को उचित मुहूर्त एवं समय अनुसार मंत्रों के साथ मिट्टी में भिगोए हुए जौ को बो कर उसके ऊपर कलश में गंगाजल डाल कर रख देना चाहिए।
  • ध्यान रहे कलश में गंगा जल अथवा सामान्य जल कलश के कंठ तक अर्थात सुराही वाले क्षेत्र के नीचे तक ही होना चाहिए।
  • तत्पश्चात कलश के ऊपर आम्र पल्लव, नारियल डालकर रोली तिलक आदि लगाएं एवं पुष्प अक्षत आदि चढ़ाकर पूजन की प्रक्रिया को आरंभ करें।
  • आप अपनी इच्छा व सामर्थ्य अनुसार मिट्टी, सोने, चांदी आदि के कलश को पूजन हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं।
  • कलश स्थापन की प्रक्रिया में जातकों को मंत्रों के साथ कलश पर अक्षत, पुष्प, पान, सुपारी, धूप, दीप, नैवेद्य आदि को अर्पित करना चाहिए अन्यथा आपके कलश स्थापन की प्रक्रिया अधूरी मानी जाती है।
  • नवरात्र में कलश स्थापना के साथ साथ माता के नौ रूपों की पूजा आराधना भी की जाती है। यह क्रम लगातार नौ दिनों तक चलता रहता है। ऐसा माना जाता है कि माता के नौ रूपों का स्वागत यदि आम के पत्तों के बने तोरण के द्वारा किया जाए तो यह और भी अधिक शुभकारी परिणाम दर्शाता है। अतः आप दुर्गा पूजा के अवसर पर आम के पत्तों से बना तोरण अवश्य बनाएं।
  • इसके अतिरिक्त सभी जातकों को नवरात्रि के पावन पर्व पर माँ दुर्गा की फोटो या फिर मूर्ति की स्थापना अवश्य ही करनी चाहिए जिसका नवमी या दशमी के दिन विसर्जन भी किया जाता है।
  • यदि आपके घर में पहले से ही कई फोटो या मूर्तियां माँ दुर्गा की लगी हो तो भी आप नवरात्र के पर्व पर एक नई प्रतिमा को स्थापित करें या पुराने वाले को बदल कर नया लगा दें।
  • नवरात्रि के पर्व पर माता दुर्गा की स्थापना हेतु आप लकड़ी की चौकी का प्रयोग करें एवं इस पर ही माता दुर्गा की मूर्ति अथवा फोटो को स्थापित करें।
  • चौकी पर फोटो को स्थपित करने से पूर्व उसके ऊपर माता के प्रिय रंग अर्थात लाल रंग के कपड़े को बिछा दे।
  • ध्यान रहे चौकी पर काले अथवा सफेद रंग के कपड़े को भूलकर भी ना बिछाए अन्यथा ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इस का आप के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

कलश की स्थापना हेतु शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष 2020 में कलश स्थापन हेतु शुभ मुहूर्त में प्रतिपदा तिथि का आरंभ 17 अक्टूबर 2020 को मध्य रात्रि 1 बजकर 03 मिनट (17 अक्टूबर 01:03am) से ही हो जाएगा जिस का समापन 17 अक्टूबर 2020 को रात्रि 9 बजकर 05 मिनट पर होगा। इसी मध्य कलश स्थापना हेतु शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 10 बजकर 13 मिनट तक के मध्य का माना गया है। इसके अतिरिक्त पंचांग के मुताबिक अति शुभ मुहूर्त में अभिजीत मुहूर्त को महत्व दिया जाता है जो कि अभिजीत मुहूर्त इस दिन प्रातः काल 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक बना रहेगा।

शारदीय नवरात्रि तिथि, देवी तथा दिन 2020

प्रतिपदा:- माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना - 17 अक्टूबर , शनिवार

द्वितीया:- माँ  ब्रह्मचारिणी पूजा - 18 अक्टूबर, रविवार

तृतीया:-  चंद्रघंटा पूजा - 19 अक्टूबर, सोमवार

चतुर्थी:- माँ कुष्मांडा पूजा - 20 अक्टूबर, मंगलवार

पंचमी:- माँ स्कंदमाता पूजा - 21 अक्टूबर, बुधवार

षष्ठी:- माँ कात्यायनी पूजा - 22 अक्टूबर, वृहस्पतिवार

सप्तमी:- माँ कालरात्रि पूजा - 23 अक्टूबर, शुक्रवार

अष्टमी:- माँ महागौरी दुर्गा पूजा - 24 अक्टूबर, शनिवार

नवमी:- माँ सिद्धिदात्री पूजा - 25 अक्टूबर, रविवार

नवरात्र विशेष

नवरात्रि के 9 दिनों में प्रथम दिन सभी जातक अपने अपने घर अथवा पूजा स्थल, मंदिर आदि में कलश की स्थापना करते है जिसे घटस्थापना कहते हैं। इसके पश्चात 24 अक्टूबर अर्थात अष्टमी की तिथि को माँ महागौरी की पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन किया जायेगा जिसमें नौ कुमारी कन्याओं का श्रृंगार कर उन्हें भोजन, वस्त्र, धन आदि अपनी इच्छा व सामर्थ्य अनुसार प्रदान किए जाते हैं। इस दिन सभी जातक कुँवारी कन्याओं के पाँव छूकर उसमें आदि शक्ति जगदम्बा के स्वरूप को देखते हुए उनका आशीर्वाद भी लेते है। तत्पश्चात नवमी की तिथि अर्थात 25 अक्टूबर 2020 की तिथि को सभी नवरात्र कर रहे जातक अर्थात नवरात्रि पर उपवास व संकल्प कर रहे जातकों के पारण की तिथि होती है। तत्पश्चात नवरात्रों की प्रक्रिया संपन्न होती है और इसी दिन अर्थात 25 अक्टूबर की तिथि को ही दशहरा भी मनाया जाएगा।