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मौनी अमावस्या

Mauni Amavasya

भारतीय वैदिक सभ्यता अनुसार हिंदू धर्म में अनेकानेक व्रत शुभ-अशुभ मुहूर्त, त्यौहार, उपवास आदि की मान्यताएं हैं। हिंदू धर्म में वर्ष के प्रत्येक माह, हर एक दिन की अपनी एक अलग ही महत्ता है।

अगर मासों में माघ मास की बात करें तो इसे स्नानादि की दृष्टि से अत्यंत ही शुभ फलदायी माना गया है। इसमें इस मास के मध्य का दिन यानी अमावस्या की तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान तत्पश्चात दान एवं व्रत आदि व्यक्ति के जीवन में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों का जल विशेषकर गंगा का जल अमृत समान हो जाता है।

माघ मास की अमावस्या तिथि को मोनी अमावस्या या माघी की अमावस्या भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार आज ही के दिन से द्वापर युग की शुरुआत हुई थी जिसके पालन करता स्वयं श्री हरि विष्णु थे। कहा जाता है कि माघ महीने की अमावस्या तिथि को ही ऋषि मनु का जन्म हुआ था। महर्षि मनु सिद्ध एवं कल्याण कारक ऋषियों में से एक थे, इसलिए इस दिन को मौनी अमावस्या कहा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान से दरिद्रता समाप्त होती है और मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।

मौनी अमावस्या 2021 हेतु शुभ मुहूर्त व तिथि

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष मौनी अमावस्या की तिथि 11 फरवरी, दिन बृहस्पतिवार की है जिसमें 10 फरवरी देर रात्रि पश्चात् 01 बजकर 10 मिनट (11 फरवरी 01:10am) से अमावस्या की तिथि आरंभ हो जाएगी जिसका समापन 11 फरवरी मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट (12 फरवरी 00:35am) पर होगा।

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मोनी अमावस्या पर ज्योतिषी परिवर्तन

मौनी अमावस्या की काल अवधि में ग्रह-गोचरों की स्थिति में भी परिवर्तन होता है। इस दिन सूर्य तथा चंद्रमा गोचरवस मकर राशि में आ जाते हैं।

माघी अमावस्या पर क्या करें विशेष

व्रत: मौनी अमावस्या पर मौन व्रत धारण कर संयमित जीवन व्यतीत करने का प्रावधान है। आज के दिन मौन व्रत का धारण का ऊर्जा संचय हेतु विशेष महत्व है। आज का मौन हमारी शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक एवं आत्मिक पीड़ाओं को समाप्त कर विशेष रूप से ऊर्जा संचय एवं संवर्धन में सहयोग करता है।

स्नान व जप: माना जाता है कि आज के दिन पवित्र नदियों का जल मुख्यतः गंगा का जल अमृत समान हो जाता है जो बहुत फलदाई होता है। यह हमारे कर्मों की अपवित्रता रूपी मैल को धोने हेतु सार्थक होता है, इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में गंगा का स्नान अवश्य करना चाहिए। अगर गंगा घाट समीप ना हो तो आप नर्मदा, सिंधु, कावेरी आदि पवित्र नदियों में भी स्नान कर सकते हैं अन्यथा अपने नहाने के पानी में ही गंगाजल मिश्रित करके स्नान कर लें। ततपश्चात सूर्य अथवा गायत्री मंत्र का जप सूर्योदय कालीन वेला में करें। यह आपको ऊर्जावान यशस्वी, तेजस्वी एवं ओजस्वी बनाने में सफल सिद्ध होगा।

दान: मोनी अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व है। आज के दिन गरीबों अथवा जरूरतमंदों के बीच तेल, तिल, काले कपड़े, गर्म कपड़े (जैसे कंबल), जूते इत्यादि का दान करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा नीच अथवा निर्बल होता है, उन्हें चंद्रमा के रंग जैसी मधुर वस्तुएं जैसे कि दूध, खीर, मिश्री, बताशे, चावल आदि का दान करना चाहिए।

मोनी अमावस्या हमारे जीवन में आरोग्यता एवं ऊर्जा प्रदान करने का कारक है। आज के दिन व्रत कर शुद्ध पवित्र विचार रखना हमारे लिए मोक्ष के मार्ग प्रशस्त करता है। यह दिन हमें श्रेष्ठता की ओर ले जाने हेतु आता है, इसका लाभ उठायें। अतः विधि पूर्वक शुभ मुहूर्त में स्नान ध्यान आदि कर स्वयं को कृतार्थ बनाने का कार्य करें, साथ ही मोक्ष प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त करें।

Bharatiya vaidik sabhyata anusar Hindu dharam mein anekanek vrat, shubh-ashubh muhurat, upvaas aadi ki manyatayen hain. Hindi dharam mein varsh ke pratyek maah, har ek din ki apni ek alag hi mehatta hai. Agar maason mein maagh maas ki baat karen to ise snanandi ki drashti se atyant hi shubh faldayi maana gaya hai. Isme is maas ke madhya ka din yaani amavasya ki tithi ko bahut hi khaas maana jaata hai. Kaha jaata hai ki is din pavitra nadiyon mein snaan tatpashchat daan evm vrat aadi vyakti ke jeevan mein moksh ka maarg prashst karta hai. Manayta hai ki is din pavitra nadiyon ka jal visheshkar Ganga ka jal amrit samaan ho jaata hai. Maagh maas ki amavasya tithi ko Mauni Amavasya ya Maaghi ki amavasya bhi kaha jaata hai. Dharmik manyata anusar aaj hi ke din se Dwapar yug ki shuruaat huyi thi jiske paalan karta swayam shri Hari Vishnu the. Kaha jaata hai ki maagh mahine ki amavasya tithi ko hi Rishi Manu ka janm huya tha. Maharshi Manu siddh evm kalyaan kaarak rishiyon mein se ek the, isliye is din ko Mauni Amavasya kaha jaane laga. Yeh bhi kaha jaata hai ki aaj ke din Ganga snaan se dridrta samaapt hoti hai aur mauksh ki aur agrasar hote hain.