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मंगला गौरी व्रत

Mangla Gauri Vrat

हिन्दू धर्म में सावन माह को अति लोकप्रिय व कल्याण कारी माना जाता है। इस माह के नाम मात्र से प्रकृति हरी भरी हो जाती है, चिड़ियां चहचहा उठती है, खेतो में हरियाली गायन करने लगती है, पंछी अपने पिंजरों से निकलकर सावन का संदेश देने लगते हैं। इस प्रकार सावन का माह सभी के लिए खुशहाली का प्रतीक है।

यह माना जाता है कि सावन के साथ ही चातुर्मास का आरंभ हो जाता है। कहते हैं इन चातुर्मास में इस सृष्टि के पालनकर्ता, रचयिता व कल्याणकारी चक्रधारी भगवान विष्णु जी, लक्ष्मी जी के आग्रह अनुसार इन चार माह में समस्त कार्यों को त्रिकालदर्शी, देवाधिदेव भगवान शिव के हाथों में सौंपकर शयन करने हेतु चले जाते हैं। इसलिए इन माह में भगवान शिव की वंदना करना अति आवश्यक माना गया है। कहते है कि इन चार माह में सृष्टि के पालनहार भगवान शिव होते हैं, इसलिए इन माह में उनको प्रसन्न करने हेतु विभिन्न व्रतों का अनुसरण करता है।

सावन माह में सोमवार के व्रत का अनुसरण करने का अधिक महत्व माना गया है। इस व्रत का अनुसरण करने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वार की प्राप्ति होती है, व विवाहित महिलाओं के सुहाग की आयु लम्बी होती है ।

इसी प्रकार सावन के माह में मंगलागौरी व्रत की भी अधिक महता है। ऐसी मान्यता है कि सोमवार के दिन शिव जी की व मंगल के दिन माँ गौरी की आराधना करने से साधक के दाम्पत्य जीवन में कभी भी कोई विपदा नहीं आएगी और उसके पति को दीर्घायु की प्राप्ति होगी। सदा जीवन खुशहाली से पूर्ण मंगलमय हो जाएगा।

मंगलागौरी व्रत की पौराणिक कथा

कई वर्षों पूर्व एक नगर में सबसे धनी सेठ धर्मपाल नामक अपने पूर्ण परिवार के साथ वहाँ रहा करते थे। वे बहुत ही दानवीर थे। जब भी नगर के किसी भी व्यक्ति को किसी भी चीज की आवश्यकता होती थी, तो वे बिना सोचे-समझे उसे वो दान में दे दिया करते थे। हमेशा दूसरों की समस्या को अपना समझ उसका निदान करते थे, उनके जीवन में हर सुख का योजन था किन्तु वे सिर्फ एक संतान सुख से वंचित थे।

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बहुत दिनों के इंतजार के पश्चात ईश्वर की महिमा अनुसार उनको एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। किन्तु पुत्र के जन्म लेते ही ये आकाशवाणी हुई कि यह पुत्र तुम्हे ईश्वर की महिमा स्वारूप प्राप्त हुआ है, लेकिन ये तुम्हारे जीवन में केवल 16 वर्षों तक ही साथ निभाएगा। यह सुन कर धनी सेठ धर्मपाल व उसकी पत्नि व्याकुल हो गए। लेकिन ये सब भूलकर वे सभी हँसी खुशी अपना जीवन यापन करने लगे।

उनके पुत्र के जीवन में एक विलक्षण संयोग बना जिस कारण उसकी 16 वर्षों के पूर्व ही एक पास के ग्राम की सुंदर, सुशील व ईश्वर भक्त लड़की से विवाह हो गया। धर्मपाल की पुत्र वधू ईश्वर की नित पूजा अर्चना करती थी, वो सावन में मंगलागौरी व्रत का विधि पूर्वक अनुसरण करती थी जिस कारण उसके पति की आयु 100 वर्षों से भी अधिक हुई।

यह माना जाता है कि इस व्रत का अनुसरण करने से दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है व साधक के पति को दीर्घायु प्राप्त होती है। मंगला गौरी व्रत का अनुसरण करने से ही सेठ धर्मपाल के पुत्र को आकाशवाणी से प्राप्त अल्पायु के उपरांत भी दीर्घायु प्राप्त हुई। इसी कारण इस व्रत का अनुसरण करना महिलाओं के लिए अति आवश्यक माना गया है। जो भी महिला इस व्रत का अनुसरण कर सकती है, उन्हें इस व्रत का अनुसरण विधिपूर्वक करना चाहिए व जो महिलाएं व्रत का अनुसरण करने में असक्षम है, वे सभी एक समय भोजन ग्रहण कर विधिपूर्वक पूजा कर उतना ही लाभ प्राप्त कर सकती हैं।

सावन के हर मंगल वार को मंगला गौरी व्रत की तिथि सुनिश्चित की गई है।

मंगलागौरी व्रत की पूजन विधि

1) साधक को प्रातः काल उठकर सर्वप्रथम अपने ईष्ट देव का स्मरण कर अपने दिन का आरम्भ करना चाहिए।
2) अपने घर को गंगा जल से पवित्र कर पूजा स्थल को सज्जित करें।
3) इस दिन नहाकर पीले वस्त्र व साफ कपड़ों को ही धारण करें।
4) इस दिन अपने पूजा स्थल पर विशेष रूप से पार्वती जी की प्रतिमा स्थापित करें या फिर उनके चित्रण को पूजा स्थल पर स्थान दें।
5) इस दिन साधक को हल्का भोजन एक समय ही ग्रहण करना चाहिए।
6) पूजा स्थल पर लाल व सफेद रंग के कपड़ों से सुशोभित करें।
7) इस दिन माँ गौरी की विशेष रूप से अर्चना कर उनके समक्ष देशी घी के दीए प्रज्वलित कर पूजा स्थल को प्रकाशित करें।
8) इस दिन माता गौरी की पूजा कर उनका षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
9) इस दिन माँ गौरी को 16 की संख्या अनुसार सुहाग की वस्तुओं का दान देना चाहिए, जैसे -16 चूड़ियां, 16 बिंदी, 16 मालाएं, आदि।
10) इस दिन ब्राह्मणों के भोजन का प्रबन्ध करने से व भोजन सामग्री दान करने से अनेकों सुखों की प्राप्ति होती है व जीवन में कभी भी अन्न संबंधित परेशानी नहीं आती। अतः गेहूं, चावल, चना, जौ आदि को अर्पित करें।
11) इस दिन माँ गौरी की पूजा-अर्चना कर पूरे दिन माँ गौरी कथा का पाठ करें।

सावन 2020 में मंगलागौरी व्रत तिथि

पहला मंगलवार - 7 जुलाई 2020
दूसरा मंगलवार - 14 जुलाई 2020
तीसरा मंगलवार - 21 जुलाई 2020
चौथा मंगलवार -  28 जुलाई 2020

इस वर्ष सावन में चार मंगलागौरी व्रत का संयोग है। जो भी साधक इन चार व्रतों का अनुसरण करता है, वो अपने जीवन में संतान सुख प्राप्त करता है। कुंवारी लड़कियां अपने अच्छे सुहाग की प्राप्ति हेतु व विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु हेतु इस व्रत का अनुसरण कर सकती है।