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दिसंबर 2020 में आने वाले मुख्य हिंदू त्योहार व व्रत

Festivals in December 2020

हिंदू धर्म में प्रत्येक माह में विभिन्न प्रकार के पर्व त्योहार व्रत आदि निहित होते हैं जिनका स्वयं में विशेष अर्थ एवं महत्व होता है। यह सभी व्रत-त्योहार आदि हमारे जीवन को सकारात्मक सुंदर व बेहतर बनाने हेतु आते हैं।

आइए जानते हैं इस वर्ष 2020 के आखिरी माह दिसंबर में कौन-कौन से पर्व त्योहार पड़ने जा रहे हैं और इन सभी पर्व-त्योहारों के लिए क्या कुछ तिथि शुभ मुहूर्त आदि निर्धारित हैं। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इन सभी पर्व त्यौहार के स्वयं में क्या विशेष महत्व है इसके अतिरिक्त हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के दृष्टिकोण से भी हम व्रत के महत्व को समझने का प्रयत्न करेंगे। इस महीने में दो एकादशी का व्रत उत्पन्ना एकादशी तथा मोक्षदा एकादशी व्रत पड़ने जा रहे हैं जिनका स्वयं में विशेष अर्थ होता है। एकादशी व्रत मोक्षदायिनी व्रत माना जाता है। एकादशी के अतिरिक्त काल भैरव जयंती सूर्यग्रहण आदि जैसे महत्वपूर्ण दिवस भी इसी महीने मैं पढ़ने जा रहे हैं।

तो आइए जानते हैं इस वर्ष 2020 के आखिरी माह दिसंबर में पड़ने जा रहे पर्व-त्योहार, व्रत एवं ज्योतिष व हिंदू पंचांग के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण दिवस व तिथि के संबंध में।

काल भैरव जयंती

माह दिसंबर के सातवें दिन अर्थात 7 दिसंबर की तिथि को काल भैरव जयंती है। काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। काल भैरव को भय, दुख, रोग, शोक, संताप, संकट आदि का स्वामी माना जाता है। जिन जातकों के ऊपर काल भैरव की कृपा दृष्टि बनी रहती है उन जातकों के जीवन में इस प्रकार की समस्याएं कभी भी इन्हें परेशान नहीं करती। जो जातक काल भैरव की पूजा आराधना करते हैं, वह स्वयं को मानसिक व शारीरिक तौर पर समस्याओं से दूर महसूस करते हैं। इनके जीवन में किसी भी प्रकार के कष्ट व बाधाएं नहीं आती।

उत्पन्ना एकादशी

उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस माह के 11 दिसंबर की तिथि को पड़ने जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी का व्रत प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। एकादशी का व्रत मुख्य रूप से भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है जिसमें भगवान श्री हरि विष्णु के अनन्य रूपों की पूजा आराधना की जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत मोक्ष प्रदायक होता है जिसमें उत्पन्ना एकादशी को अत्यंत ही महत्वकारी एवं शुभ फलदायक माना जाता है।

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

इस माह की 12 दिसंबर की तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाना है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पात्रता प्राप्त करने हेतु अर्थात भगवान शिव के अनन्य भक्त बनने हेतु एवं शिव शंभू भोलेनाथ के आशीर्वाद की प्राप्ति हेतु रखा जाता है। प्रदोष व्रत हर माह 2 बार रखा जाता है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को अर्थात एकादशी तिथि के ठीक एक दिन बाद के अगले दिन को धारण किया जाता है।
 
मासिक शिवरात्रि

दिसंबर माह के विशेष पर्व-त्यौहार आदि में से महाशिवरात्रि का व्रत भी एक है। यह महाशिवरात्रि मासिक महाशिवरात्रि है जो 13 दिसंबर की तिथि को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक मासिक शिवरात्रि प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है जिसका बहुत ही अधिक महत्व होता है। अतः इस दिन जातकों को शिवरात्रि का व्रत धारण कर भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति हेतु विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए।

मार्गशीर्ष अमावस्या

प्रत्येक माह अमावस्या एवं पूर्णिमा तिथि का आना-जाना पक्ष अर्थात शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के मुताबिक लगा रहता है। इस माह  मार्गशीर्ष अमावस्या 14 दिसंबर की तिथि को निर्धारित है। धार्मिक दृष्टिकोण से मार्गशीर्ष अमावस्या को अत्यंत ही महत्वकारी माना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि को अगहन और पितृ अमावस्या कहकर भी संबोधित किया जाता है। इस दिन जातक अपने पितरों को याद कर उनके लिए विशेष क्रियाकलाप आदि करते हैं। इस माह के मार्गशीर्ष अमावस्या को इस कारण से भी खास माना जा रहा है चूंकि इसी दिन सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है जो कि भारत में दिखाई नहीं देगा। अर्थात सूतक काल नहीं होगा। इस दिन आप अपने मार्गशीर्ष अमावस्या को विधिवत मना सकते हैं।

धनु संक्रांति

ज्योतिष शास्त्र में राशियों में ग्रहों का गोचर अत्यंत ही महत्वकारी और प्रभावकारी घटनाओं में से एक माना जाता है जिसमें सूर्य को काफी महत्व दिया जाता है। सूर्य को सभी ग्रहों के मध्य अधिपति कहकर संबोधित किया जाता है। हिन्दू धर्म में सूर्य को दिनकर दिवाकर अर्थात देवता की उपाधि दी गई है। ऐसे में 15 दिसंबर की तिथि दिन मंगलवार को सूर्य अपनी राशि परिवर्तित कर धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसे धनु संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाना है। 15 दिसंबर की तिथि को जब सूर्य अपनी राशि से गोचर कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। तत्पश्चात यह धनु राशि में 14 जनवरी 2021 तक विद्यमान रहेंगे। सूर्य के इसी गोचर काल को संक्रांति कहा जाता है। दरअसल सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस राशि के नाम पर संक्रांति का नाम निर्धारित किया जाता है।

मोक्षदा एकादशी

मोक्षदा एकादशी व्रत इस वर्ष 25 दिसंबर की तिथि को किया जाना है। मोक्षदा एकादशी द्वेष, बैर आदि का नाश करने वाली मानी गई है। इसे विशेष तौर पर मोक्ष की प्राप्ति हेतु धारण किया जाता है, इस कारण से भी इसे मोक्षदा एकादशी कह कर संबोधित किया जाता है। द्वापर काल में भगवान श्री कृष्ण ने मोक्षदा एकादशी की तिथि को ही गीता का ज्ञान दिया था। इस कारण से इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन बहुत ही अधिक विशेष महत्व रखता है। चूँकि इसी दिन हिंदू धर्म के मूल उद्देश्य अवधारणा व प्रारूप के स्वरूप में  श्री कृष्ण के मुखारविंद से गीता नामक ग्रंथ का प्रादुर्भाव हुआ था।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा

वर्ष 2020 के आखिरी माह दिसंबर का आखिरी पर्व हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा होने वाला है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा 30 दिसंबर बुधवार की तिथि को पढ़ने जा रहा है। पूर्णिमा को अत्यंत ही महत्वकारी माना जाता है। विशेष तौर पर मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्वयं में अद्भुत महत्व है। इस दिन जातकों को स्नान, दान, तप आदि करना चाहिए। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किया गया गंगा स्नान अत्यंत ही लाभकारी एवं सभी प्रकार के पापों को नष्ट करने वाला बताया गया है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जातकों को दान, तप आदि करना चाहिए क्योंकि इस दिन दान तप करने का विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस दिन हरिद्वार, बनारस, मथुरा, प्रयागराज आदि जगहों पर श्रद्धालु ऋषि महर्षि गण के साथ स्नान तप आदि किया करते हैं।