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चैत्र पूर्णिमा

Chaitra Purnima

हिंदू धर्म में अनेकानेक प्रकार के व्रत पर्व त्योहार आदि निहित है। प्रत्येक व्रत पर्व त्योहार आदि का निर्धारण सनातन हिंदू धर्म के कैलेंडर एवं हिंदू पंचांग के आधार पर किया गया है जिसमें से प्रत्येक व्रत-त्योहार का स्वयं में आध्यात्मिक वैज्ञानिक व धार्मिक तौर पर विशेष महत्व माना जाता है।

हिंदू धर्म में प्रत्येक दिवस का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में प्रत्येक माह में दो पक्ष निर्धारित किए गए हैं। प्रत्येक पक्ष 15 दिवस का होता है। इन पक्षों के आधार पर ही अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि का भी निर्धारण किया जाता है जिसमें पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व माना जाता है।

पूर्णिमा की तिथि को चांद अपने पूर्ण आकार में प्रकाशमान रहता है और काफी मनमोहक दिखता है। पूर्णिमा की तिथि को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी अधिक शुभकारी एवं लाभकारी माना जाता है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा का अपना ही अलग-अलग विशेष महत्व होता है जिनमें से चैत्र माह की पूर्णिमा की तिथि को काफी अधिक महत्वकारी माना जाता है।

इस वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 27 अप्रैल 2021 को पड़ रही है। शास्त्रों में चैत्र मास की पूर्णिमा की तिथि को चैत पूनम तथा मधु पूर्णम के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र पूर्णिमा की तिथि को काफी अधिक खास माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, धार्मिक क्रियाकलाप, पूजा-पाठ आदि का काफी अधिक महत्व होता है।

तो आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की तिथि से जुड़े विषय वस्तु के संबंध में और चैत्र पूर्णिमा के व्रत हेतु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त आरंभ के समय तिथि के साथ व्रत विधि तथा चैत्र पूर्णिमा की तिथि के महत्व के बारे में।

चैत्र पूर्णिमा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र पूर्णिमा की तिथि का आरंभ 26 अप्रैल 2021 की मध्य रात्रि को हो जाएगा। 26 अप्रैल की रात्रि को 12 बजकर 44 मिनट के पश्चात से पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो जाना निर्धारित है। पूर्णिमा की तिथि मध्य रात्रि से आरंभ होने के पश्चात अगले दिन यानी 27 अप्रैल 2021 को पूरे दिन बरकरार रहने के पश्चात रात्रि कालीन 9 बजकर 01 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, तत्पश्चात अगली तिथि का आरंभ हो जाएगा।

चैत्र पूर्णिमा पर करें स्नान, दान और संकल्प

चैत्र पूर्णिमा की तिथि को स्नान, दान तथा संकल्प आदि लेने हेतु अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि आप किसी पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान कर डुबकी लगाते हैं, तो इससे आपके जीवन की सभी नकारात्मकता व पीड़ाओं का नाश होता है, साथ ही आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यदि पवित्र नदी में स्नान संभव ना हो तो इस दिन आप स्वयं अपने घर के ही नहाने के जल में गंगाजल डालकर प्रातः कालीन बेला में उठकर स्नान की प्रक्रिया को संपन्न करें।

तत्पश्चात उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और लाल पुष्प अर्पित करें।

इस दिन आप स्वयं को अधिक से अधिक सकारात्मक बनाए रखने का प्रयास करें और सूर्य अर्घ्य की प्रक्रिया के पश्चात आप अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा आराधना कर पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें।

चैत्र पूर्णिमा की तिथि को दान का काफी अधिक महत्व माना जाता है। इस दिन आप गरीबों व लाचारों में वस्त्र व धन का दान करें।

यदि आप अपने जीवन में कुछ अमूल भूत परिवर्तन करना चाहते हैं, या आप अपने जीवन में किसी खास संकल्प को धारण करना चाहते हैं, तो ऐसे तथ्यों को लेकर आज का दिन काफी अधिक शुभकारी एवं कल्याणकारी जाता है। आज के दिन आप अपने जीवन में शुभ संकल्पों का धारण करें और उसे जीवन भर पालन करने का प्रयास करें। अपने अंदर इस दिन एक सकारात्मक विचारों का उदाहरण अवश्य ही करें।

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हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा की तिथि को मनाई जाती है हनुमान जयंती

वैसे तो प्रत्येक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को काफी अधिक महत्वकारी माना जाता है, किंतु चैत्र पूर्णिमा के महत्व को लेकर प्रचलन और भी अधिक काफी बढ़ जाता है। चैत्र पूर्णिमा की तिथि धार्मिक दृष्टिकोण से काफी विशेष मानी जाती है।

इस दिन भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी का जन्म दिवस माना जाता है। प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा की तिथि को ही हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। हनुमान जयंती के अवसर पर कई जगह महत्वपूर्ण आयोजन आदि आयोजित किए जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम तक पहुंचने का मार्ग श्री हनुमान से होकर जाता है। जो जातक भगवान श्रीराम के अनन्य भक्तों में शामिल होना चाहता है या फिर भगवान श्रीराम को प्रसन्न करना चाहता है, उन्हें सर्वप्रथम हनुमान जी को प्रसन्न करने का प्रयत्न करना चाहिए। अतः आप इस दिन भगवान श्री हनुमान की विशेष पूजा आराधना करें और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करें।

जो भी जातक हनुमान जी के अनन्य भक्तों में शामिल होता है, उनके जीवन के सभी पाप-वृत्तियों का नाश हो जाता है। उनके जीवन में कभी भी किसी प्रकार का संकट नहीं मंडराता है।

भगवान श्री हनुमान पवन पुत्र कहे जाते हैं। इनका चैत्र पूर्णिमा की तिथि को ही माता अंजनी के कोख से जन्म हुआ था। भगवान श्री हनुमान को संकट मोचन भी कहा जाता है चूँकि वे अपने भक्तों के संकटों को क्षण भर में हर लेते हैं।

चैत्र पूर्णिमा को करायें सत्यनारायण भगवान की पूजा

चैत्र पूर्णिमा को नव संवत्सर की प्रथम पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री रामचंद्र भगवान श्री हनुमान का विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान के पूजा का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक चैत्र पूर्णिमा की तिथि को सत्यनारायण भगवान का विधि विधान से पूजन व कथा करवाते हैं, उन जातकों के जीवन के सभी पाप व कष्टों का नाश होता है।