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दशहरा पर्व का हो रहा आगमन, जांनिये विशेष क्रियाकलाप, पूजन सामग्री व पूजा विधि

Dussehra Pujan Vidhi and Samagri

दशहरा को असत्य पर सत्य की विजय का पर्व माना जाता है। इसे बुराइयों के नाश और अच्छाइयों के प्रसार का पर्व माना जाता है। दशहरा का पर्व 9 दिनों के लगातार नवरात्र के पश्चात होता है, नवरात्र में माँ आदिशक्ति जगदंबा के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है, तत्पश्चात दसवीं के दिन दशहरा का पर्व पूरे देश भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

दशहरा के पर्व पर रावण का दहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दशहरा के दिन ही त्रेता काल में भगवान श्री रामचंद्र ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त किया था। इस कारण से इसे विजय पर्व के रूप में विजयादशमी त्योहार के रूप में पूरे देश भर में तब से मनाया जाने लगा। इसे सत्य के विजय दिवस के रूप में भी जाना जाता है, तो वहीं कुछ मान्यताओं के मुताबिक माँ आदिशक्ति जगदंबा ने 9 दिनों तक लगातार अपनी नौ स्वरूपों के साथ महिषासुर से युद्ध करने के पश्चात महिषासुर का दसवीं के दिन अर्थात दशहरे पर्व के दिन वध किया था जिस वजह से इसे माँ आदिशक्ति जगदंबा की विजय, दुष्टों के नाश के पर्व के रूप में भी देखा जाता है और हंसी, खुशी, हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया जाता है।

दशहरे के पर्व को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। दशहरा पर्व के दिन से जातकों के जीवन में आरंभ होने वाले क्रियाकलाप उसे भविष्य में काफी बेहतरीन परिणाम प्रदान करते हैं। दशहरे के पावन अवसर पर कई ऐसे क्रियाकलाप विधान आदि का नियम प्रचलित है जो आपके लिए शुभकारी व लाभकारी साबित होते हैं। तो आइए जानते हैं दशहरा पर्व पर होने वाले कुछ खास रीति-रिवाज, परंपराओं आदि के संबंध में और दशहरा पर्व की पूजन में उपयुक्त वस्तुओं पूजन की प्रक्रिया आदि के संबंध में।

दशहरा पर्व के विशेष क्रियाकलाप

  • यदि आप किसी नए कारोबार के आरंभ हेतु मन बना रहे हैं, तो दशहरा का दिन आप के लिए अत्यंत ही शुभकारी हो सकता है। इस दिन आरंभ किए गए कार्य आपके लिए भविष्य में काफी फलित होंगे और आप सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। दशहरा को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। दशहरा के दिन वाहन खरीदना अथवा किसी भी प्रकार के उपकरण, गहने, कपड़े आदि को खरीदना अत्यंत ही शुभकारी माना जाता है।
  • दशहरा के दिन शास्त्रों के पूजा का विधान है। इस दिन राष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्र के अस्त्र शस्त्र की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त सभी लोग अपने घर में भी अस्त्र-शस्त्र आदि की पूजा करते हैं। इस दिन शस्त्र और शास्त्र दोनों को पूजने का विधान है। शस्त्र का अर्थ केवल हथियार से नहीं, अपितु जीवन यापन करने हेतु आवश्यक महत्वपूर्ण सामग्रियों से भी है।
  • इसके अलावा दशहरे के पर्व के दिन शमी के पेड़ की पूजा को अधिक महत्वकारी माना जाता है। शमी के पत्ते का भी पूजन में प्रयोग किया जाता है।
  • दशहरे के पर्व को माँ अपराजिता देवी के पूजन के बिना अधूरा माना जाता है। माना जाता है कि जातकों को दशहरे के पर्व पर दशहरे के पूजन की प्रक्रिया को पूर्ण करने से पूर्व ही माँ अपराजिता देवी  पूजा आराधना करनी चाहिए।

आइए अब हम जानते हैं दशहरा पर्व के पूजन की प्रक्रिया हेतु कुछ आवश्यक सामग्रियों के संबंध में:-

दशहरा पर्व के पूजन हेतु सामग्री

दशहरा के पूजन की प्रक्रिया में अक्षत, पुष्प, पान, सुपारी, धूप, दीप का होना अनिवार्य माना जाता है। इसके अतिरिक्त दशहरे के पूजन में लोगों को गाय के गोबर का प्रयोग करना चाहिए। दशहरे के पूजन में ज्वार, दही, कपास, धूप, दीप, सुपारी, कुमकुम, जनेऊ आदि का भी प्रयोग किया जाता है। आइए अब जानते हैं दशहरे के पूजन की प्रक्रिया व विधि-विधान के संबंध में।

दशहरा पर्व हेतु पूजा विधि

दशहरा पर्व के दिन कुछ विशेष रीति रिवाज जैसे कि भारत के उत्तर पूर्वी इलाके में सुबह-सुबह दही को देखने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि सुबह आंख खुलते ही इस दिन दही का दर्शन करने से और उसका टीका लगाने से पूरा दिन बेहतरीन जाता है और दही के समान ही शीतलता, शालीनता व सफेद, बेदाग चरित्र का निर्माण होता है।

दशहरा पर्व के दिन रावण की पूजा का भी है कई स्थानों पर विधान, इस दिन रावण को पूजा जाता है

रावण एक ब्राह्मण और विद्वान था इस वजह से रावण की पूजा सर्वत्र की जाती है। जातकों को अपने घर के मिट्टी वाले क्षेत्र में गोबर का लेप करते हुए जमीन की लिपाई पुताई करनी चाहिए। तत्पश्चात रावण का पुतला निर्मित कर रावण की पूजा करनी चाहिए।

रावण की पूजा में अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि को भी अर्पित करना चाहिए। रावण को पूजा में जनेऊ भी अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात रावण की अपने पारिवारिक जनों के साथ परिक्रमा करें।

  • इस दिन लोगों को अपने घर को आम के पत्तों की तोरण व गेंदे के फूल से सजाना चाहिए। घर को चहुँ ओर से स्वच्छ बनाकर रखना चाहिए।
  • इस दिन पुरुषों को सफेद रंग के वस्त्रों का धारण करना चाहिए। दशहरा पर्व के अवसर पर लोगों को अगर संभव हो तो नए वस्त्र का भी धारण करना चाहिए।
  • इस दिन सभी पारिवारिक जनों को एक साथ मिलकर पूजा आराधना करनी चाहिए।
  • दशहरा पर्व भगवान विष्णु और माँ जगदंबा का भी पूजन करना चाहिए। इस दिन माँ आदिशक्ति जगदंबा और भगवान श्री हरि विष्णु को अक्षत, पुष्प, पान, सुपारी, धूप, दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें और उनकी पूजा करें।
  • दशहरा पर्व के दिन नवरात्र में बोए गए ज्वार के हरी पत्तियों को अपने मस्तक पर वह अपने दाहिने कान के बीच लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपके ऊपर माँ आदिशक्ति जगदंबा की कृपा दृष्टि बनी रहेगी।