मनुष्य के हाथों में बनी उल्टी-सीधी तथा टेड़ी-मेड़ी रेखाएं उसके बारे में कई राज बताती हैं। ज्योतिष शास्त्र की तरह हस्तरेखा शास्त्र में यह बताया गया है, कि एक ऐसा चिन्ह, जो यदि किसी व्यक्ति के हाथ में हो, तब उस व्यक्ति को काफी मुसीबतों और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक व्यक्ति की हथेली पर जितनी कम रेखाएं होती हैं, उतना ही वह भाग्यशाली होता है।
कुछ मुख्य रेखाओं व चिन्हों का हथेली पर होना बहुत ही शुभ साबित होता है, परंतु हथेली में यदि कई रेखाएं या कहें कि जालनुमा रेखाएं कुछ इस प्रकार से उभर जाएं कि देखने में वह सामान्य से बहुत ही अलग लगें, तब वे रेखाएं अच्छी और शुभ फल देने वाली रेखाओं का असर भी समाप्त कर देती हैं। ऐसे व्यक्ति को चिंता अधिक करने की आदत होती है, वे हर छोटी से छोटी बात को चिंता करके इतना बड़ा बना देते हैं, जिसके लायक वह बात होती भी नहीं है। तो आइए जानते हैं कि ऐसा कौन सा चिन्ह है, जो व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल ला सकता है-
ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखाओं के बारे में यह कहा जाता है कि हाथों या हथेली में किसी भी स्थान पर बना जाल (रेखाओं का समूह) व्यक्ति के लिए अशुभ कहा जाता है। इसके अतिरिक्त हथेली के पर्वतों पर जाल के चिन्ह का बना होना भी व्यक्ति के लिए चारों तरफ से अशुभ माना जता है। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में मणिबंध रेखा के जाल का चिन्ह बना हुआ है, तो ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है और इसी के साथ ही उन्हें अपने जीवन में कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। परंतु कभी-कभी ये लोग अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते हैं। किसी कार्य के दौरान ये अक्सर दुखी व परेशान हो जाते हैं।
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यदि किसी व्यक्ति की हथेली के मंगल पर्वत पर जाल का निशान है, तब उसके लिए यह अत्यंत ही खराब संकेत साबित हो सकता है। मंगल पर्वत पर जाल का बना होना अशुभ माना जाता है और ऐसे में व्यक्ति मानसिक रूप से ग्रसित हो जाता है और बीमार भी पड़ सकता है। मानसिक रूप से ग्रसित होना व्यक्ति के लिए बहुत ही घातक साबित होता है और वह अपने जीवन में बहुत ही कम समय तक खुश व सुखी रहता है। इसलिए सावधान और सतर्क रहें और अपने ज्योतिष से इस विषय पर सलाह लें।
व्यक्ति की हथेली में राहु पर्वत पर बना हुआ जाल का चिन्ह सही साबित नहीं होता, बल्कि बहुत ही गलत प्रभाव डालता है। ऐसे में व्यक्ति बहुत मेहनत करने पर भी बहुत ही कम बार सफल हो पाता है। इनकी किस्मत और इनका भाग्य हर बार साथ नहीं देते, इनके लिए हर कार्य के मार्ग में दुविधाएं रोड़ा या पत्थर बनकर खड़ी रहती हैं। परंतु ऐसे व्यक्ति जीवन में कई दुख आने के बावजूद भी हार नहीं मानते और लगातार मेहनत करके जितना हो सके उतना कमाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनके हर कार्य या व्यापार में बाधाएं आती रहतीं हैं जिसके लिए उन्हें ज्योतिष से सलाह लेनी चाहिए।
हथेली के गुरु क्षेत्र पर जाल के चिन्ह का बना होना व्यक्तियों को स्वार्थी व कंजूस बनाता है, अर्थात यह अपना सामान या पैसा किसी और को देने में बहुत हिचकिचाते हैं। और इनकी यही आदत लोगों के सामने इन्हें अपमानित करती है। गुरु क्षेत्र गुरु पर्वत के आस-पास के क्षेत्र को ही बोला जाता है। ये लोग हर कार्य को बड़े ही अहंकार से करते हैं जिसकी वजह से इनके जीवन में कई कठिनाइयां आ सकती हैं। ये लोग अपने जीवन को लेकर बहुत ही प्रैक्टिकल टाइप के इंसान होते हैं और इसी वजह से ये सिर्फ अपने ऊपर ध्यान देते हैं, दूसरों की इन्हें जरा सी भी परवाह नहीं होती है। इसलिए इन्हें अपनी आदत सुधारनी चाहिए और मुसीबतों से सावधान रहना चाहिए।
व्यक्ति के हथेली में स्थित केतु पर्वत पर बने जाल के चिन्ह का अशुभ संकेत दिखाई देता है। ऐसे में व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह लोग बहुत ही चिंता भी करते हैं, इसलिए इन्हें चिंता के कारण कई रोग हो जाते हैं और इन लोगों को हमेशा कोई न कोई रोग लगा ही रहता है। इसलिए अच्छे ज्योतिष व डॉक्टर से सलाह लें।
यदि जाल का चिन्ह हथेली में शनि पर्वत के ऊपर बना हुआ है, तो वह व्यक्ति बहुत ही अधिक आलसी होता है। इनको हर समय आलस बुरी तरह जकड़े रहता है। यह अपना कोई भी कार्य ढंग से नहीं करते और इसी कारण इन्हें कोई भी पसंद नहीं करता। ये लोग बचपन से ही हर काम से अपना पीछा छुड़ाते हैं। आलस के कारण ये लोग अपनी सेहत पर भी ध्यान नहीं देते। 'सिवाय आलस के इन्हें कुछ नहीं आता' वाली बात इन पर अच्छे से जचती है। इनका आलस इनके लिए भीड़ में मजाक का कारण भी बनता है। अतः इसी कारणवश ये लोग अपने व्यवसाय या व्यापार में सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं और इसीलिए इनके पूरे जीवन में धन की कमी बनी ही रहती है।
विशेष
हथेली में सबसे छोटी उंगली जिसे कनिष्का कहते हैं, उसके ही नीचे बुध पर्वत से मणिबंध तक क्षेत्र होता है। इस पर चंद्र रेखाएं स्थित होती हैं। इन्हीं रेखाओं को विदेश रेखाएं या यात्रा संबंधी रेखाएं कहलाती हैं। इन रेखाओं द्वारा व्यक्ति की विदेश यात्रा का योग बनता और बिगड़ता है। चन्द्र पर्वत कर बीच में अगर मछली जैसा आकार हो, तो व्यक्ति के लिए समुद्र पार यात्राओं का योग बन सकता है।