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रहे ऐसे लोगों से बचके जिनकी हथेली में हों ये रेखा दोष

Be careful from people with these rekha dosha in their palm

हस्तरेखा ज्ञान से जातक की हथेली में बनी हुई रेखाओं से जातक के भाग्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सभी जातकों की हथेली की रेखाओं की बनावट अलग-अलग होती है। जैसेमें किसी जातक की हथेली में रेखाएं सीधी होती है, तो किसी जातक के हथेली में टेढी-मेंढी रेखाएं होती है। हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि किसी जातक के हथेली में लकीरों का उभार ज्यादा होता है तो किसी जातक के हथेली में अपेक्षाकृत उभार बेहद कम होता है। हालांकि हस्तरेखा ज्ञान का अपना एक अलग महत्व होता हैं जिसकी सहायता से जातकों के आचरण के बारे में भी काफी कुछ पता लगाया जा सकता है। हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि ये सारे संकेत जातक के व्यक्तित्व एवं चरित्र के बारे भी अवगत करवाते है।

तो आइये जानते हैं कि जातक के हथेली में रेखाओं से बनने वाले दोष किन रेखा दोष वाले जातकों से रहना चाहिए हमें संभलकर:

जीवन रेखा का दोष

गुरू पर्वत या तर्जनी उंगली मतलब कि इंडेक्स फिंगर के नीचे जो गहरी रेखा निकलती है और ये गहरी रेखा शुक्र पर्वत मतलब कि अंगूठे के नीचे का उभरा हुआ भाग को घेरती हुई  मणिबंध रेखा के ऊपरी हिस्से पर समाप्त होती है इसी रेखा को हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार जीवन रेखा कहा गया है। हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि यदि किसी जातक के हथेली में बनने वाली जीवन रेखा सीधी होती है तो ये इस बात की ओर इशारा करती हैं कि ऐसे जातक विश्वास योग्य नहीं होते हैं। अतः हमें इन रेखा दोष वाले जातकों पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।

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ज्योतिषों के अनुरूप ऐसा माना गया है कि ऐसे जातकों के साथ अपना रहस्य नहीं बांटने चाहिए। अतः हमें इस बात का भी विशेष ध्यान देना चाहिए कि ऐसे रेखा दोष वाले जातकों को अपने राज भूलकर भी साझा नहीं करने चाहिए, अन्यथा ऐसा करने से हमें बहुत सारी परेशानियों, वाद-विवाद एवं लड़ाई-झगड़े का सामना करना पड़ सकता है।

भाग्य रेखा का दोष

जो रेखा कलाई से आरंभ होकर मध्यमा अंगुली से नीचे के स्थित शनि पर्वत तक पहुँचती हैं, वह रेखा भाग्य रेखा कहलाती हैं। इसके अतिरिक्त भी भाग्य रेखा हथेली के कई अन्य स्थानों से शुरू हो सकती हैं लेकिन सदैव भाग्य रेखा का अन्त शनि पर्वत पर ही होता है। भाग्य रेखा मणिबंध, शुक्र पर्वत, जीवन रेखा, चंद्रपर्वत, या हृदय रेखा से शुरू हो सकती हैं। हस्तरेखा शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि यदि किसी जातक के हथेली में बनने वाली भाग्य रेखा का सामान्य से ज्यादा मोटा होना भी एक प्रकार का दोष ही है। यदि किसी जातक के हथेली में भाग्य रेखा शुरू से अंत तक मोटी हो, तो यह भी हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक एक प्रकार का रेखा दोष ही माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भाग्य रेखा दोष जिस जातक के हथेली में होते हैं, वे बहुत अधिक लालची प्रवृति के होते हैं। समुद्र शास्त्र के अनुसार ऐसे जातक के अंदर लालच कुटकुट के भरा हुआ होता हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना गया है कि  हमें ऐसे रेखा दोष वाले जातक से सावधानीपूर्वक रहना चाहिए अन्यथा हम इनके लालच के शिकार हो सकते है।

शुक्र क्षेत्र का दोष

अंगूठे के मूल तथा जीवन रेखा के भीतर वाला भाग शुक्र क्षेत्र या शुक्र पर्वत कहलाता हैं, हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार जब यह शुक्र पर्वत अच्छी बनावट का हो परन्तु ज्यादे बड़ा न हो तो यह प्रेम तथा साथी की इच्छा एवं सुन्दरता को हर रूप में पूजने की इच्छा तथा भावनात्मक एवं कलात्मक प्रवृति की ओर इशारा करते हैं। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुरूप ऐसे कहा जाता है कि अगर किसी जातक के हथेली में शुक्र पर्वत जरुरत से अधिक उठा हुआ हो, तो हथेली की यह स्थिति शुक्र क्षेत्र या शुक्र पर्वत का दोष कहलाती हैं। शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि ऐसी रेखा दोष वाले जातक चरित्रहीन होते हैं। हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि ऐसे जातक कामुक भावना प्रवृति के होते हैं। ऐसे जातक अपनी कामुक भावना के कारण सारी सीमाएं एवं हिन्दू धर्म शास्त्र में वर्णित सारी मर्यादाओं को लांघ जाते हैं। अतः हमें शास्त्रों में बताएं गए दिशा निर्देशों का पालन करते हुए ऐसे रेखा दोष वाले जातक से जितना हो सके उतना दुरी बनाकर ही रखना चाहिए।

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मस्तिष्क रेखा का दोष

मस्तिष्क रेखा हृदय रेखा के नीचे मतलब कि अंगूठे के लगभग बीच से शुरू होती है, हस्तरेखा शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि मस्तिष्क रेखा से ही जातक के बुद्धिमान होने और ना होने का ज्ञान होता हैं। हस्तरेखा ज्ञान के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि यदि किसी जातक की मस्तिष्क रेखा साफ हो, तो यह स्थिति उस जातक के लिए उसका मस्तिष्क रेखा का दोष कहलाती है। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ऐसे रेखा दोष वाले जातक शातिर एवं धोखेबाज होते हैं। अतः हमें भारतीय ज्योतिष शास्त्रों के अनुरूप ऐसे रेखा दोष वाले जातक से सावधानीपूर्वक एवं सचेत रहना चाहिए।

हृदय रेखा का दोष

हथेली में हृदय रेखा सबसे छोटी अंगुली कनिष्ठ के नीचे और बुध पर्वत के नजदीक होती है, शास्त्रों के अनुरूप यदि किसी जातक के हथेली में हृदय रेखा दोष मुक्त और स्पष्ट हो, तो ऐसे जातक स्वभाव से चंचल एवं अच्छे होते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार ऐसा माना जाता है यदि किसी जातक के हथेली में हृदय रेखा स्थित नहीं होती है या सामान्य स्थिति से छोटी होती है, तो ऐसे जातक बहुत ही स्वार्थी, चतुर, तर्क-कुतर्क करने में माहिर और कामुक भावना प्रवृति के होते हैं। ऐसे रेखा दोष वाले जातक दिल से नहीं बल्कि दिमाग से कार्य करते हैं। अतः हमें हस्तरेखा शास्त्रों के बताये गये निर्देशों के अनुसार ऐसे जातक से जरा बच के रहने की आवश्यकता होती है।