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जिनकी हथेली पर होते हैं ये शुभ चिह्न, वे करते हैं विदेश यात्रा

Auspicious Signs on Palm for Foreign Trips

कहते हैं कि हाथों की चंद लकीरों में हमारे सपनों के राज छुपे होते हैं। हाथों की इन लकीरों से यह पता चलता है कि हम शिक्षा, करियर, प्यार, शादी या फिर अपने जीवन में कुछ अलग हासिल कर पाएंगे या नहीं। हमारे उन्हीं सपनों में से एक सपना होता है विदेश जाने का, हालांकि यह सपना तो बस दिलों में पलता रहता है। कई बार बहुत कोशिशों के पश्चात भी यह स्वप्न पूरा नहीं हो पाता है।

क्या आप जानते हैं कि हमारी हथेली में विदेश यात्रा की भी रेखाएं होती हैं। जी हां हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक जातकों के हथेली में विदेश यात्राएं के योग भी बन रहे होते हैं। हम सभी जानते हैं कि हिंदु धर्म में आस्था रखने वाले जातकों के लिए हस्तरेखा विज्ञान का अपना एक अलग महत्व होता हैं।

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली पर कई तरह की रेखाएं और चिह्न बने हुए होते हैं। हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार इन सभी रेखाओं के चिह्नों का अलग-अलग महत्व होता हैं। हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि जातक के हथेली में उपस्थित रेखाओं में से एक रेखा विदेश यात्रा की भी होती है। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जातक की हथेली में यात्रा रेखा कई स्थानों पर बन रही होती हैं। भारतीय ज्योतिषों का यह मानना है कि जातकों के हथेली में बन रहे यात्रा रेखाओं के द्वारा इस बात का पता लगाया जा सकता है कि जातक अपने जीवन काल में कभी विदेश यात्रा कर पाएगा या नहीं।

तो आइये जानते हैं कि हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक जातक के हथेली में मौजूद रेखाओं से बनने वाली विदेश यात्रा योग के बारे में।

  • हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली में जीवन रेखा और आयु रेखा से निकलने वाली रेखा को यात्रा रेखा माना गया हैं। इसके अतिरिक्त मणिबंध से ऊपर उठकर चंद्र पर्वत तक जाने वाली रेखा को भी यात्रा रेखा कहा जाता है।
  • हस्तरेखा शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि यदि किसी जातक के हथेली में उपस्थित जीवन रेखा से निकलकर भाग्य रेखा को पार करते हुए दूसरी ओर चंद्र पर्वत की ओर जाए, तो यह विदेश यात्रा के योग बनती हैं। हस्तरेखा शास्त्रों के अनुसार यह रेखा जितनी अधिक गहरी और साफ-सुथरी होंगी, जातकों के लिए उतना ही अधिक लाभदायक होगी एवं उतना ही अधिक विदेश में रहने का अनुभव प्राप्त होगा।
  • हस्तरेखा शास्त्र में ऐसा वर्णित है कि यदि जिन जातकों के हाथ और हथेली में बुध पर्वत के नजदीक कोई अन्य रेखा निकलकर सूर्य पर्वत पर मिलती है, तो ऐसे जातक अपने जीवन काल में कई बार विदेश यात्रा करते हैं।
  • हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक हथेली में चंद्र पर्वत से निकलने वाली आड़ी, तिरछी और खड़ी रेखाओं को भी विदेश यात्रा रेखा कहा जाता है। शास्त्रों के अनुरूप यदि यह रेखा जातक की हथेली में हो तो ऐसा माना जाता है कि जातक के जीवन में विदेश यात्रा का योग है। इसके अतिरिक्त अंगूठे के मूल से निकल कर जीवन रेखा में मिल जाने वाली रेखाओं को भी विदेश यात्रा की रेखाएं कहा जाता है।
  • हस्तरेखा शास्त्र में ऐसा वर्णित है कि चंद्र पर्वत से निकलकर यदि कोई रेखा हथेली पर मौजूद शनि पर्वत पर मिलती है, तो ऐसे जातक का भाग्य विदेश में जाकर चमकता है। वहीं अगर चंद्र पर्वत से निकलने वाली रेखा शनि पर्वत पर पहुंचकर कई शाखाओं में विभक्त हो जाती है, तो हथेली में मौजूद ऐसी रेखाएं जातक के जीवन में कभी भी रुपए-पैसे, धन-दौलत का अभाव महसूस नहीं होने देती है।
  • हस्तरेखा शास्त्र के अनुरूप कुछ चिन्ह बहुत ही शुभ होते हैं जिनमें त्रिभुज चिह्न जैसे निशान बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में यदि जातक की हथेली में अगर चंद्र पर्वत पर त्रिभुज का चिह्न बने तो ऐसे जातक को कई बार विदेश यात्रा का सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
  • हस्तरेखा शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि जातक की हथेली में उपस्थित रेखाओं के अतिरिक्त तिलों से भी विदेश यात्रा के बारे में संकेत मिलते हैं। शास्त्रों के अनुरूप ऐसे माना जाता है कि यदि किसी जातक के दाहिनी भौंह के पास कोई तिल का चिह्न है तो ऐसे जातक का व्यापार एक देश के अतिरिक्त दूसरे देशों में भी होता है। ऐसे में उस जातक को कई बार अलग-अलग देशों में यात्रा करने का मौका मिलता है। इसके अतिरिक्त समुद्र शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक के अंगूठे पर तिल बना हुआ हो तो, ऐसे जातक अपने जीवन काल में विदेश यात्रा जरूर करते हैं।
  • हस्तरेखा शास्त्रों में ऐसा वर्णित हैं कि यदि किसी जातक के मणिबंध से निकलकर कोई रेखा मंगल पर्वत की ओर जाती है, तो ऐसे जातक के जीवन में विशेष रुप के विदेश यात्रा का योग बन रहा होता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ऐसे जातक को समुद्री विदेश यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त होता हैं।

हथेली में ऐसे चिह्न होने पर जातक उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं विदेश

हस्तरेखा शास्त्रों के मुताबिक यदि किसी जातक की हथेली में निर्दोष रेखा चंद्र पर्वत से निकलकर जीवन रेखा तक आती है, इसके पश्चात भाग्य रेखा से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंचती है, तो जातक की हथेली में बेहद शुभ योग बनता है, अर्थात जातक को उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का अवसर प्राप्त होता है।

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लंबी विदेश यात्रा के योग

हस्तरेखा शास्त्रों के अनुरूप ऐसा माना जाता है कि यदि किसी जातक के हथेली में चंद्र पर्वत से निकलने वाली कोई स्पष्ट रेखा जीवन रेखा को बीच से काटती है तो उसके समांतर मंगल पर्वत पर पहुंचे, तो उस जातक के जीवन में लंबी विदेश यात्रा के योग बन रहे होते हैं अर्थात ऐसे जातक कई वर्षों तक विदेश में निवास करते हैं।

हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि किसी जातक के हथेली में उपस्थित जीवन रेखा से निकलने वाली छोटी-छोटी रेखाएं यदि जातक के हथेली में उल्टा वाई (Y)  बनाती है तो ये जातक के जीवन मे विदेश यात्रा के योग को दर्शाती है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि विदेश यात्रा योग की रेखाएं आर्थिक उन्नति को भी निरूपित करती हैं।