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पौष अमावस्या

Paush Amavasya

सनातन धर्म का कैलेंडर पंचांग के मुताबिक चलित होता है। हिंदू धर्म के कैलेंडर मुताबिक प्रत्येक माह में 2 पक्ष होते हैं जिसके अंत की तिथि व आरंभ की तिथि अमावस्या और पूर्णिमा से होती है। इन्हीं प्रत्येक माह की अमावस्या व पूर्णिमा आदि की तिथि के मध्य कल यानी 13 जनवरी 2020 की तिथि को पौष अमावस्या पड़ने जा रही है।

पौष अमावस्या, पौष मास के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को पड़ने वाले अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष 2021 में पौष माह में पड़ने वाली अमावस्या की तिथि सूर्य के उत्तरायण के ठीक एक दिन पहले यानी मकर संक्रांति के बिल्कुल एक दिन पहले पड़ने जा रही है। ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या और पूर्णिमा दोनों तिथि को काफी महत्वकारी माना जाता है, साथ ही वर्ष के महत्वपूर्ण व पवित्र माह में से एक पौष माह को भी माना जाता है। इस हिसाब से पौष अमावस्या काफी महत्वकारी है।

इस माह जातक अपने आप को आंतरिक तौर पर परिष्कृत करने हेतु अनेकानेक प्रकार के उपाय आदि अपनाते हैं। स्नान, दान, धर्म, मंत्र, जाप, पूजा- पाठ ध्यान आदि जैसे क्रियाकलाप इस माह सर्वाधिक किए जाते हैं।

तो आइए जानते हैं इस माह की अमावस्या तिथि अर्थात पौष अमावस्या हेतु शुभ मुहूर्त पूजा पाठ विधि लाभ आदि के संबंध में-

पौष अमावस्या हेतु तिथि व शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के धार्मिक कैलेंडर अर्थात हिंदू पंचांग के मुताबिक अमावस्या की तिथि का आरंभ 12 जनवरी 2021 की तिथि को हो जाएगा। इस दिन यानी मंगलवार को पौष अमावस्या दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन अर्थात 13 जनवरी 2021 के दिन बुधवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट तक बना रहेगा।

हालांकि अमावस्या के क्रियाकलाप व पूजा-पाठ आदि हेतु अगर दिन की बात की जाए तो पौष अमावस्या हेतु ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 13 जनवरी की तिथि का निर्धारण किया गया है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिसका उदय उसी का अस्त, अर्थात जिस दिन सूर्योदय कालीन बेला में किसी भी व्रत पूजा आदि हेतु शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो रही हो, उसी दिन को व्रत की तिथि माना जाता है। इस हिसाब से पौष अमावस्या हेतु तिथि 13 जनवरी की ही होगी।

पौष अमावस्या की तिथि को इन क्रियाकलापों को कर पाएं भगवान की असीम कृपा दृष्टि

  • पौष अमावस्या की तिथि को जातकों को प्रातः काल सूर्योदय कालीन बेला से पूर्व में ही उठ कर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर किसी पवित्र नदी तालाब अगर संभव हो तो गंगा यमुना नदी में जाकर स्नान कर आये, अन्यथा आप अपने घर के नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर भी गंगा में स्नान करने के भाव से स्नान प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते हैं।
  • इस दिन जातकों को स्नान आदि की क्रिया के पश्चात भगवान सूर्य को तांबे के पात्र में जल को अर्घ्य स्वरूप प्रदान करना चाहिए।
  • तत्पश्चात भगवान सूर्य को लाल पुष्प, लाल चंदन आदि भी अर्पित करने चाहिए।
  • इस दिन जातकों को अपने पितरों का तर्पण भी करना चाहिए।
  • ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक पितृ दोष से ग्रसित होते हैं, उन्हें अपने पितृ दोष से मुक्ति हेतु अमावस्या तिथि को उपाय अपनाने चाहिए, अथवा आप अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति हेतु पौष मास की अमावस्या तिथि को व्रत धारण करें। इससे आपके पितृ दोष के प्रभाव भी शांत होंगे।
  • इस दिन आप जरूरतमंद व गरीबों को अन्न, वस्त्र, धन आदि प्रदान करें। इस दिन गरीबों को स्वयं से भोजन खिलाना काफी फलित माना जाता है।

पौष अमावस्या व्रत-पूजा से फलित होने वाले लाभ

  • जो भी जातक पौष अमावस्या की तिथि को प्रातः कालीन बेला में सूर्योदय काल से पूर्व में ही स्नान कर भगवान सूर्य को प्रदान कर लाल पुष्प आदि अर्पित करते हैं, उनके ऊपर भगवान सूर्य की असीम कृपा दृष्टि निरंतर बरकरार रहती है।
  • मान्यताएं तो यह है कि पौष की माह में जातकों को प्रतिदिन प्रातः सुबह स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दान करना चाहिए।
  • पौष का माह पुण्य प्रताप अर्जित कर अपनी पात्रता को बढ़ाने का माह माना जाता है।
  • पौष माह अथवा पौष अमावस्या की तिथि को जो जातक पितृ दोष की शांति हेतु उपाय आदि कराते हैं, उनके जीवन से पितृ दोष से संबंधित बाधाएं नष्ट होती है। इसके अतिरिक्त जो जातक अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति हेतु व्रत का धारण करते हैं, उन्हें अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन की समस्याओं का समाधान भी निकलता है।
  • पितृ दोष के निवारण से संतान की जीवन में आ रही समस्याएं भी समाप्त होती है, साथ ही आपके जीवन में यदि संतान से जुड़ी कोई बाधाएं हैं तो उनका भी समापन होता है।
  • पितृ दोष जिन जातकों के ऊपर मंडरा रहा होता है, उनके कारोबार आदि में आए दिन समस्या लगी रहती है।
  • पौष महीने में किए गए जप, तप त्याग, दान प्रताप आदि काफी फलित होते हैं।
  • इस माह सभी देवी-देवता अपनी कृपा दृष्टि योग्य जातकों पर बरसाने हेतु लालायित  रहते हैं। अतः इस माह जातकों को अधिक से अधिक शुद्ध पवित्र परोपकार के कार्य करने चाहिए।