भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजनीय कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों एवं वेदों में ऐसी मान्यता है कि सभी देवताओं से ऊपर श्री गणेश का स्थान है, इसी कारण से उन्हें प्रथम पूजनीय का यह दर्जा मिला और उनकी पूजा सबसे पहले की जाती है।
भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है जो अपने भक्तों के सारे कष्ट बिना सुने ही हर लेते हैं। पूरे भारतवर्ष नहीं बल्कि पूरे संसार में भगवान श्री गणेश का पूजन और उनकी आराधना अलग-अलग विधि-विधान के साथ की जाती है।
हिंदू धर्म की कथाओं में श्री गणेश को अलग-अलग नामों जैसे लंबोदर, गजानन, धूम्रकेतु, विनायक, एकदंत और ना जाने कितने कितने नामों से जाना जाता है। भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा गणेश चतुर्थी के रूप में की जाती है जिसमें पूरे देशवासी आगे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और समाज में हर्षोल्लास का वातावरण बन जाता है।
इसी तौर पर मनाए जाने वाले त्योहारों में हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत खासकर भगवान श्री गणेश के लिए ही रखा जाता है। हिंदू पंचांग के हिसाब से जेष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान श्री गणेश का विशेष पूजन किया जाता है और उन से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने की अभिलाषा होती है।
इस साल 2021 में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का यह पावन व्रत 29 जून को होने वाला है। इस दिन भगवान श्री गणेश जो कि समृद्धि, सुख शांति, वैभव, यश, बुद्धि, सिद्धि आदि के प्रतीक है, वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए विराजमान होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से वे हमारे सारे पाप, रोग, कष्ट आदि हर लेते हैं और हमारे सारे बिगड़े कार्य पूर्ण होते हैं।
यदि आपको भी भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद चाहिए, तो इस दिन उनकी पूजा-अर्चना अवश्य करें। आइये अब जानते है इस दिन पूजा की विधि, इसका महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व
इस दिन भगवान लंबोदर का विधि पूर्वक पूजन करने से हमारे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और हमें पापों से मुक्ति मिल जाती है। भगवान श्री गणेश की कृपा उनके सभी भक्तों पर बरसती है और उनका जीवन धन्य हो जाता है। जीवन में आनंद एवं उसमें तन्मयता और सुरसता बनी रहती है और मन प्रसन्नचित्त रहता है।
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि लोग संतान सुख के लिए भी इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान श्री विघ्नहर्ता गणेश को पूजते हैं। ऐसा करने से उन्हें सुंदर, सुशील एवं गुणवान संतान की प्राप्ति होती है।
पूजा की विधि
यह व्रत पूरा होने पर दान का विशेष महत्त्व महत्ता बताया गया है, अतः व्रत के पश्चात कुछ दान पुण्य अवश्य करें। इससे भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और हम पर उनकी कृपा बनी रहती है।
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
29 मई 2021 को प्रातः 06 बजकर 33 मिनट से जेष्ठ मास की चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो रही है, और संग ही प्रारंभ हो रहा है यह गणेश संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी। इसी समय से लेकर अगले दिन तक को आप चतुर्थी व्रत के तौर पर मना सकते हैं। व्रत के समय इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें कि जितना संभव हो सके, भगवान की भक्ति में अपना मन लगाएं।
30 मई 2021 को प्रातः 04 बजकर 03 मिनट पर ज्येष्ठ माह की समाप्ति हो रही है, अर्थात इसी समय पर चतुर्थी का यह व्रत पूरा हो जाएगा। व्रत पूरा होने के पश्चात अर्थात आपका व्रत का संकल्प पूरा होने के पश्चात दान पुण्य करना ना भूले। इससे ईश्वर तो खुश होते ही हैं, हमें भी आंतरिक रूप से प्रसन्नता मिलती है। दान से मिलने वाले पुणे का भागीदार ईश्वर सिर्फ हमें ही नहीं, बल्कि हमारे अपनों को भी बनाते हैं।
यदि आपने यह व्रत करने का संकल्प किया है, तो व्रत खोलने का समय 29 मई 2021 रात 10 बजकर 34 मिनट पर चंद्र उदय का समय ज्ञापित है, अर्थात व्रत खोलने का सही समय रात्रि 10 बजकर 34 मिनट का है। इस समय तक व्रत खोल लेने से आपका व्रत संकल्प पूरा हो जाएगा। किंतु व्रत खोलने के पश्चात भोजन ना करके कुछ फलाहार ही लें।
हिंदू धर्म में व्रत पूर्ण होने पर भोजन करना शुभ नहीं माना जाता, जबकि दुग्ध उत्पाद या फलों का अल्पाहार लेने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।