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सोमवार को इन 5 बातों का रखें ख्याल, वर्ना होंगे भोले बाबा नाराज

धार्मिक ग्रंथों एवं ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव का निर्धारित है। भगवान शिव देवों के देव महादेव कहे जाते हैं। इन्हें इनके त्याग एवं समर्पण के कारण इन्हें सभी देवताओं के भी देवता यानी महादेव की उपाधि दे दी गई है।

समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष की उत्पत्ति हुई थी तो संसार के कल्याण हेतु इन्होंने विष का पान कर उन्हें अपने ग्रीवा में स्थान दिया था। इनका त्याग एवं समर्पण आदिकाल से आज तक पूजनीय है।

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इनके अनेकानेक नाम है और साथ ही कई अवतार भी। जब-जब पृथ्वी पर घोर अत्याचार एवं संकट बढ़ता है, तब-तब यह अपने भिन्न-भिन्न रूपों में भूलोक पर अवतरित होकर अपने भक्तों के संकट को हरने का भी कार्य करते हैं। संकट मोचन भगवान श्री हनुमान भी भोलेनाथ शिव शंभू के ही अवतार हैं। शिव शंभू के भोलेपन एवं सरल स्वभाव के कारण उन्हें भोलेनाथ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह भक्तों की पीड़ा एवं दुख को हरने हेतु तत्काल तत्पर रहते हैं तो वहीं दुष्टों के नाश हेतु भी इनका क्रोध काफी है।

शिव शंकर भक्तों के प्रेम एवं अनुराग से जितनी शीघ्र गति से प्रसन्न होते हैं, उतनी ही शीघ्रता से वे पापियों का नाश भी करते हैं। माना जाता है कि जब भी घोर पाप एवं अत्याचार बढ़ जाता है, तब इनकी तीसरी आँख दुष्टों का समुचित विनाश किया करती है। इनके क्रोध से पापियों का बच पाना असंभव होता है। अगर आप भी इनके कृपा पात्र बनना चाहते हैं, तो भोलेनाथ के दिन अर्थात सोमवार को इन पांच बातों का रखें विशेष ख्याल रखें। भूलकर भी आप इन पांच गलतियों  को करने से यथासंभव बचें अन्यथा आप शिव के प्रकोप से ग्रसित हो सकते हैं। अतः उनके प्रकोप से बचाव एवं उनकी कृपा पात्र बने रहने हेतु सोमवार के दिन इन पांच कार्यो को करने से बचें।

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सोमवार को इन 5 बातों का रखे विशेष ध्यान

  1. सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना के दौरान भूलकर भी काले वस्त्र पहनकर ना जाएं, अन्यथा भगवान शिव आप से कुपित हो सकते हैं। भगवान शिव की पूजा आराधना के दौरान आप कोशिश करें कि हरे रंग का वस्त्र पहने, अन्यथा आप लाल, सफेद, केसरिया, पीला, आसमानी रंग के वस्त्रों का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  2. मान्यता है कि भगवान शिव को सफेद रंग के पुष्प अति प्रिय होते हैं। इस कारण उन्हें धतूरे आदि जैसे सफेद रंग के पुष्पों का अर्पण किया जाता है। किंतु केतकी के सफेद रंग के होने के बावजूद भी भगवान शिव की पूजा अर्चना में इसका प्रयोग वर्जित है, अतः इसका ख्याल रखें।
  3. भगवान शिव के जलाभिषेक के समय शंख से जल अर्पित करने का विधान कहीं भी किसी शास्त्र में निहित नहीं है। अतः आप भी इसका प्रयोग ना करें।
  4. शिवजी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है, साथ ही भगवान शिव को तिल भी नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि तिल भगवान विष्णु के मेल से उत्पन्न हुआ है। चूँकि भगवान शिव देवों के देव हैं, इस कारण महादेव को तिल नहीं चढ़ाना चाहिए।
  5. आज के दिन आप भोले भंडारी के नाम पर मद्यपान अथवा नशीली पदार्थों का सेवन ना करें। भगवान शिव ने आदि काल में अवांछित वनस्पतियों को सृष्टि में स्थान देने हेतु उन्हें शिरोधार्य किया था। अतः भगवान शिव के नाम पर आप अनर्गल कार्यों को अंजाम न दें और न ही तामसिक पदार्थों का सेवन करें। ऐसा करने से आप पाप के भागी होंगे।