श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार कहा जाता है। भगवान कृष्ण हिन्दू धर्म में बहुत पूजे जाते हैं। श्री कृष्ण के अतिरिक्त इनके अनेकों नाम हैं, जैसे - गोपाल, कन्हैया, श्याम, मुरलीधर, लड्डूगोपाल, द्वारकाधीश, केशव, देवकीनंदन, वासुदेव तथा द्वारकेश आदि। कहा जाता है कि कृष्ण एक दार्शनिक, निष्काम कर्मयोगी, दैवीय संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष तथा स्थितप्रज्ञ थे। कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था तथा उन्हें द्वापरयुग का महान व सर्वश्रेष्ठ पुरुष कहा जाता है।
भगवान कृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र थे। कृष्ण के मामा कंस के नगर मथुरा के कारावास में इनका जन्म तथा गोकुल नगरी में इनका पालन-पोषण यशोदा और नंद के द्वारा हुआ था। अपनी बाल्य अवस्था में ही वे ऐसे-ऐसे कार्य कर देते थे जो बड़े भी नहीं कर सकते थे। उनका पूरा बचपन गोकुल में ही बीता। उन्होंने बचपन में ही बहुत बड़े-बड़े दानवों व असुरों का नाश कर दिया और फिर अपने सबसे बड़े शत्रु मामा कंस का वध भी इन्होंने किया। द्वारका नगरी की स्थापना कर इन्होंने अपना राज्य वहाँ पर बसाया। इन्होंने विपत्तियों के समय पांडवों की भी सहायता व सुरक्षा की।
महाभारत के समय ये अर्जुन के सारथी बने थे। और इन्होंने अर्जुन को भगवद्गीता का ज्ञान भी दिया जो इनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है। 124 वर्षों के पश्चात उन्होंने अपनी जीवनलीला को समाप्त किया।
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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद का महीना भगवान श्री विष्णु के लिए बहुत अच्छा होता है तथा यह उनको बहुत ही अधिक प्रिय भी है। इस महीने में भगवान श्री विष्णु के भक्त गण जिस प्रकार से भगवान भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा आराधना करते हैं, उसी प्रकार भादो के महीने में भक्तगण भगवान् विष्णु के कृष्ण रूप अवतार की पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु भादो के महीने में ही कृष्ण के रूप में जन्मे थे, इसी कारणवश इस महीने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय भगवान श्री कृष्ण से जुड़े हर उपाय करना तथा उनके हर मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को बहुत ही लाभ प्राप्त होता है और वह अपने जीवन में सुखी व समृद्ध रहता है। तो आइये जानते हैं उन मंत्रों को जो हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ अच्युताय नमः
ॐ अनन्ताय नमः
ॐ गोविन्दाय नमः
इसके साथ ही यदि संभव हो तो भाद्रपद के महीने में श्रीमद्भगवदगीता का पाठ करें, इसका पाठ करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है।
धार्मिक शास्त्रों व किवदंतियों के अनुसार इस महीने में मुख्यतः भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। अतः जिन भी भक्तगणों को इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा व आराधना करनी है, तो उन्हें पूजा के नियम व विधि भी पता होनी चाहिए। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने की विधि।
विधि
2020 की जन्माष्टमी
11 अगस्त 2020 को जन्माष्टमी का पर्व है। इसके अतिरिक्त इस बार जन्माष्टमी 12 अगस्त को भी है, इसलिए यह पर्व इस बार बहुत ही विशेष है। हिंदू पंचाग के हिसाब से इस बार जन्माष्टमी पर वृद्धि योग है। इस दिन भगवान कृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करें। इस दिन भगवान कृष्ण के अभिषेक का शुभ समय शाम 5:40 से लेकर 6:04 बजे तक रहेगा। इसे गोधूली वेला का समय कहते हैं। गाय के दूध व दही से तथा माखन द्वारा भगवान का अभिषेक कीजिये और भगवान कृष्ण को पीले वस्त्र पहनाएं, तथा मोरपंख अवश्य लगाएं।
जैसा कि हम जानते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत चंद्रमा को देखने के पश्चात ही खोला जा सकता है। 11 अगस्त 2020 को चंद्रमा निकलने का शुभ समय रात्रि 11:41 से 12:00 बजे होगा।
इच्छाओं की पूर्ति के लिए करें अर्पित
इन सबके अतिरिक्त गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ तथा 'श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासु देवा, नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें।