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गायत्री मंत्र - अर्थ एवं लाभ

Gayatri Mantra Arth Aur Laabh

गायत्री मंत्र का वेद पुराण आदि में विशेष महत्त्व है। वेदों में इसको अत्यंत चमत्कारी एवं फायदेमंद बताया गया है। देवताओं द्वारा बोले गए श्लोकों या मंत्रों को ऋचा कहते हैं तथा वेदों का निर्माण ऋचाओं द्वारा हुआ है। हमारे धार्मिक इतिहास में चार प्रकार के वेद है, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद। इन सभी में गायत्री मंत्र का उल्लेख किया गया है। भृगु ऋषि ने इस मंत्र की रचना की थी। यह मंत्र सर्वप्रथम ऋग्वेद में उद्धृत हुआ है। इस मंत्र का नियमित तीन बार जप करने वाले व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियां, प्रेत बाधाएं आदि का भय नहीं रहता है। आइये जानते हैं इसका अर्थ और इसके लाभ।

गायत्री मन्त्र एवं इसका अर्थ

मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

भावार्थ

ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द
भूः : भूलोक
भुवः : अंतरिक्ष लोक
स्वः : स्वर्गलोक
त : परमात्मा अथवा ब्रह्मा जी
सवितुः : परमेश्वर यानि सृष्टि कर्ता
वरेण्यम : पूजनीय
भर्गः : अज्ञान तथा पाप निवारक
देवस्य : ज्ञान स्वरुप परमेश्वर का
धीमहि : हम ध्यान करते है
धियो : बुद्धि प्रज्ञा
योः : जो
नः : हमें
प्रचोदयात् : प्रकाशित करें।

अर्थात: हम उस परमेश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का सागर है, जो पापों तथा अज्ञानता को दूर करने वाले हैं - वह हमें प्रकाश दिखायें और हमें सच्चाई के मार्ग  पर ले जाए।

गायत्री मंत्र का जाप अत्यंत लाभप्रद होता है। इस मंत्र का भाव यह है कि, 'उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, सर्वश्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमेश्वर को हम अन्तःकरण में अपनाएं। वह परमेश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।' अतः इसके जप से बौद्धिक क्षमता एवं स्मरण क्षमता का विकास होता है। इससे जातक तेजवान होता है एवं उसे दुःखों से पार पाने का मार्ग प्राप्त होता है।

गायत्री मंत्र कुल 24 अक्षरों से बना है जो कि 24 पृथक शक्तियों एवं सिद्धियों की निशानी हैं। इसी वजह से साधु-संतों ने गायत्री मंत्र को कलयुग में भौतिक जगत की सभी मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति करने वाला बताया है।

श्रीं का संपुट लगाकर जप करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान मिलता है।

जैसे:

'श्रीं ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् श्री'।

विद्यार्थियों हेतु यह मंत्र अत्यंत फलदायक है। इस मन्त्र का नियमित 108 बार जप करने से बुद्धि प्रखर एवं उच्च स्मरणशक्ति प्राप्त होती है तथा यह मनुष्य के विवेक को निखारने में भी सक्षम है।

गायत्री मन्त्र के अचूक लाभ

  1. नियमित जाप करने वाले व्यक्ति के जीवन की समस्त परेशानियाँ खत्म हो जाती है।
  2. गायत्री मन्त्र का पाठ करने वालों को रोगों से मुक्ति मिलती है।
  3. जातक के चहुँ ओर सकारात्मकता का वास होता है।
  4. छात्रों के लिए गायत्री मन्त्र का जाप अत्यंत लाभदायक होता है। इसके जाप द्वारा बुद्धि प्रखर एवं उच्च स्मरणशक्ति तेज़ होती है। इसके 108 बार जाप करने से विद्या प्राप्ति में आसानी होती है।
  5. गायत्री मन्त्र का जप संतान सुख में सहायक होता है।
  6. नियमित जाप करने वाले व्यक्ति की त्वचा में तेज आ जाता है।