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धनतेरस पूजन विधि एवं मुहूर्त, कैसे और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार

Dhanteras 2020 Date and Muhurat, Know why and how this festival is celebrated

भारतवर्ष ऋतुओं और त्योहारों का देश है। यहाँ त्योहारों के लिए सभी के मन में एक अलग ही उत्साह और उमंग रहती है। हर त्योहार की अपनी एक विशेष महत्ता और परंपरा है। ऐसे ही एक अनोखा पर्व है धनतेरस का। हिंदी पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस का यह शुभ पर्व शुक्रवार, 13 नवंबर को मनाया जाएगा।

पूजन विधि एवं मुहूर्त

इस बार धनतेरस के पूजन का मुहूर्त 13 नवंबर 2020 की शाम 05 बजकर 25 मिनट से शाम 05 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इसमें प्रदोष काल शाम 05 बजकर 25 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक एवं वृषभ काल शाम 05 बजकर 33 से शाम 7 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा की जानी चाहिए। इस दिन सबसे पहले भगवान कुबेर और फिर अन्य देवगण जैसे भगवान धनवंतरी, माता लक्ष्मी और यम देवता की पूजा की जाती है। पूजन में फल, पुष्प धूप, दीप, चंदन एवं नैवेद्य का उपयोग करना बहुत लाभकारी माना जाता है।

कैसे और क्यों मनाया जाता है धनतेरस का यह त्योहार?

मुख्य रूप से दीपावली का त्योहार 5 दिनों का होता है। धनतेरस के दिन से ही दीपावली की उमंग और उल्लास चारों ओर फैलने लगती है। इसी दिन से बाजारों में काफी चहल-पहल शुरु हो जाती है। धनतेरस के दिन लोग खूब खरीदारी करते हैं। इस दिन मुख्यतः चांदी और अन्य धातुओं की वस्तुएं खरीदने की परंपरा होती है। यह माना जाता है कि धनतेरस के दिन जो भी वस्तु हमारे द्वारा खरीदी जाती है, भविष्य में उसमें तेरह गुना की वृद्घि होती है। धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान धनवंतरी और लक्ष्मी माता की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान धनवंतरी को चिकित्सा का देवता भी कहा जाता है, क्योंकि देवलोक में भगवान धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक के रूप में विद्यमान हैं।

इस पर्व पर लोग अपने परिवार के सभी सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हैं। अपनी प्राचीन और विशिष्ट चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने धनतेरस के दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाने की घोषणा की है। कुछ जगहों पर लोग इस दिन धनिया के बीज खरीद कर अपने घरों में रखते हैं और फिर उन्हें दीपावली पर अपने खेतों में या घर की क्यारीयों में बो देते हैं। धनिया खाने में स्वाद को बढ़ाता है और हमारी सेहत के लिए भी बहुत अधिक लाभकारी होता है। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, इसलिए धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।

धनतेरस का दिन किसी भी कार्य को करने के लिए बड़ा ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी, माँ लक्ष्मी, कुबेर और यम देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। तो आइये अब हम जानते है की इस दिन भगवान धनवंतरी के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी की पूजा भी क्यों की जाती है।

क्यों की जाती है माँ लक्ष्मी की पूजा?

धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा-अर्चना भी विशेष रूप से की जाती है। समुद्र मंथन के दौरान जिन चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी, उनमें से एक रत्न के रूप में माता लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी। माँ लक्ष्मी धन की देवी हैं। इस दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा करके हम हमारे जीवन में धन और वैभव की कामना करते हैं। इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा का भी अपना एक विशेष महत्व है। भगवान कुबेर को स्थायी धन का देवता कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर भगवान धनवंतरी को ब्रम्हांड का सबसे बड़ा वैद्य माना जाता है, इसलिए धनतेरस पर इन सभी देवताओं की पूजा करने से हमें सुख-समृद्धि, धन, वैभव और आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है।