सामान्य तौर पर कपूर को पूजा पाठ में प्रयुक्त करने वाले एक पदार्थ अथवा औषधीय गुणों से परिपूर्ण तत्व के रूप में स्वीकार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कपूर घर के कई नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में अत्यंत ही लाभकारी है। कपूर के माध्यम से बड़े से बड़े वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। विज्ञान के अनुसार कपूर अहितकारी जीवाणु, कीटाणुओं आदि का नाश कर एक सकारात्मक एवं शुद्ध वायु से परिपूर्ण औरा उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त इसके कई अन्य फायदे भी हैं जिससे हम अनभिज्ञ हैं।
तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से कपूर के संबंध में एवं उससे जुड़े उपयोग को लेकर कई आवश्यक जानकारी आपको देते हैं ताकि आप भी इस सामान्य से तत्व का संपूर्ण समुचित लाभ प्राप्त कर सकें एवं अपने जीवन में सकारात्मकता का आवरण बनाकर सुरक्षित, स्वस्थ एवं खुशहाल रहे।
फिर देर किस बात की, आइए जानते हैं सर्वप्रथम कपूर की वैज्ञानिक के महत्व को।
विज्ञान के अनुसार कपूर एक वनस्पतिक द्रव्य है जो उड़नशील होता है। यह सफेद रंग का मोम के स्वरूप का होता है। इसे संस्कृत में कर्पूर अंग्रेजी में कैंफ़र कहते हैं। इसमें एक प्रकार की तीखी गंध पाई जाती है जो दुष्प्रभावी कीटाणु, विषाणु तथा जीवाणुओं का नाश करती है। इसके गंध से वातावरण में मौजूद सभी दूषित पदार्थ अप्रभावी हो जाते हैं। कपूर एक प्रकार के पेड़ की छाल के द्रव्य को सुखाकर निर्मित किया जाने वाला पदार्थ है। इसे वातावरण में खुला छोड़कर संचित नहीं किया जा सकता है। इसे वायु की मौजूदगी से दूर रखकर संचय किया जाता है। कपूर एक औषधीय तत्व है जो अनेकानेक प्रकार के रोग में रामबाण कार्य करता है। इसके माध्यम से जीभ के छाले, पेट से संबंधित समस्याएं, बवासीर, उल्टी आना, चर्म रोग, अधिक छींक आना, श्वसन संबंधित समस्या का उत्पन्न होना आदि जैसे अनेकानेक छोटे से छोटे एवं बड़े से बड़े रोगों में कपूर का रामबाण प्रयोग किया जाता है। यह तत्काल लाभदायक तत्व है।
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आध्यात्म
कपूर सनातन धर्म में सदा सर्वदा से ही प्रयोग में लाया जाता है। इसका उपयोग आदिकाल से किया जा रहा है, साथ ही कपूर के प्रयोग के बारे में धर्म ग्रंथ, वेदों आदि में भी निहित है। शिव पुराण में कपूर के रंग का भगवान शंकर के गौर रंग के वर्णन हेतु उपमा के स्वरूप में वर्णन किया गया है। पुराण के अनुसार-
कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम |
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि ||
अर्थात कपूर के सदृश्य चमकदार गौर वर्ण धारी, करुणा के साक्षात अवतार, संपूर्ण सृष्टि भर के एकमात्र सार तत्व, गले में भुजंग अर्थात सर्प की माला धारण किए हुए, देवों के देव महादेव जो आदि शक्ति माँ जगदंबा के साथ भक्तों के हृदय कमल में सदा-सर्वदा निरंतर विराजमान रहते हैं, हम ऐसे देवों के देव महादेव की वंदना उपासना करते हैं।
शास्त्रों के अनुरूप सभी धार्मिक पृष्ठ क्रियाकलापों में जैसे कि यज्ञ, होम, आरती आदि में कपूर का प्रयोग अत्यंत ही शुभकारी माना गया है। यह दोष दुर्गुण का नाश करती है।
ज्योतिष
ज्योतिष शास्त्रों में ज्योतिष विज्ञेताओं ने कपूर के संबंध में वर्णन करते हुए यह कहा है कि कपूर राहु एवं केतु के प्रभाव पर अपने सकारात्मक प्रभाव को छोड़कर उनके दुष्प्रभाव को हटाने का कार्य करता है। साथ ही घर में निरंतर कपूर के प्रयोग अथवा कपूर को जलाने से एक सकारात्मक औरा उत्पन्न होता है, जो जातक के ग्रह गोचरों की स्थिति को संतुलित बनाए रखता है एवं व्यक्ति को मानसिक शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से सतोगुण एवं सतकर्मी बनाए रखता है।
वास्तु
वास्तु के दोषों के प्रभाव से हम सभी परिचित हैं। वास्तु का दोष व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचा कर रख देता है। सभी सकारात्मकता खुशियों पर ग्रहण वास्तु के दोष के कारण अक्सर लग जाया करता है। घर में अशांति और कलह-क्लेश का वातावरण प्रायः वास्तु दोष के कारण ही होता है। ऐसे में वास्तु दोष के निवारण हेतु हम अनेकानेक उपाय अपनाते हैं जिसमें अति प्रभावी उपायों में से एक कपूर को भी माना जाता है। घर में कपूर जलाने से सभी प्रकार के वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है। अतः नित्य प्रतिदिन घर में कपूर जलाएं। कपूर जलाकर अपने इष्ट की नित् आरती करें, साथ ही घर के बंद रहने वाले कोनों में भी कपूर जलाकर वहां तक उसकी गंध पहुंचाएं। इससे आपके घर के सभी नकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे नष्ट हो जाएंगे एवं सकारात्मकता एवं खुशहाली बन जाएगी। अतः नित्य प्रतिदिन कपूर का प्रयोग आपके जीवन में करें।
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