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खरमास 2020 की इन तिथियों को बन रहें हैं संपत्ति, गहने आदि खरीदारी हेतु शुभ मुहूर्त

Auspicious Dates During Kharmas 2020, Know When to Invest in Jewellary or Property

वर्ष के आखिरी माह के आखिरी दिनों में है कुछ विशेष दिन, अगहन माह के 16 से 30 दिसंबर के बीच के दौरान है कुछ खास पर्व त्यौहार, साथ ही अचल संपत्ति से लेकर गहने-जेवर की खरीदारी हेतु भी है कई अत्यंत ही शुभ मुहूर्त।

वर्ष 2020 ना सिर्फ सामाजिक, राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर विचित्र परिणाम प्रदर्शित करने वाला, महामारी से युक्त व समस्याओं कष्टों से भरा पूरा रहा, अपितु ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भी कई ग्रह-गोचरों की परिस्थितियां व हालात कुछ इस प्रकार के बने रहे कि कष्ट व समस्याएं आये दिन लोगों के जीवन में लगा ही रहा, जो लोगों को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक तौर पर चिंता व परेशानी प्रदान करने वाला साबित हुआ।

इस साल अनेक-अनेक प्रकार की नकारात्मक घटनाओं के मध्य आज हम आपको कुछ सकारात्मक तथ्यों के संबंध में बताएंगे। इस वर्ष 2020 में मलमास पड़ने के कारण वैसे तो सभी पर्व त्यौहार आदि स्वयं ही 1 माह की देरी से आए। तत्पश्चात इस मध्य धनु संक्रांति अर्थात धनु के सूर्य राशि में प्रवेश के कारण खरमास आरंभ हो गया है जिस कारण से खरमास की काल अवधि के दौरान अर्थात 15 दिसंबर की तिथि से लेकर अगले 13 जनवरी 2021 तक की तिथि तक किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करवाए जाएंगे, और ना ही घर में मुंडन, यज्ञोपवीत आदि संस्कार होना संभव हो पाएगा।

दरअसल इस माह का आरंभ 1 दिसंबर की तिथि को हुआ है जिसे हिंदू धर्म व हिंदू पंचांग की तिथि के मुताबिक अगहन माह का आरंभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक आगहन माह अर्थात मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष का समापन 14 तारीख (14 दिसम्बर 2020) को पड़ने वाले सोमवती अमावस्या की तिथि को हो जाएगा जिसके बाद ज्योतिषीय गतिविधियों व घटनाओं के मुताबिक अगले दिन से धनु संक्रांति के कारण खरमास लग जाएगा। खरमास के पहले 15 दिन को अगहन माह का शुक्ल पक्ष माना जाएगा।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक वैसे तो खरमास मांगलिक कार्य हेतु शुभ नहीं माने जाते हैं, किंतु इस वर्ष के खरमास में 16 से 30 दिसंबर के बीच की 6 ऐसी मुख्य खास तिथियां हैं जिसे विशिष्ट व्रत, पर्व, त्योहार आदि के साथ-साथ खरीदारी हेतु भी अत्यंत ही शुभकारी माना गया है। तो आइए जानते हैं ऐसे ही विशिष्ट तिथियों के संबंध में।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगहन माह का आरंभ शुक्ल पक्ष की शुरुआत में धनु संक्रांति के साथ ही हो जाएगा जिसके पश्चात कई व्रत आएंगे, जिसमें अगहन माह के शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी, विवाह पंचमी, मोक्ष एकादशी, दत्तात्रेय जयंती तथा अघहन पूर्णिमा जैसे पर्व मनाए जाने निर्धारित है। साथ ही खरमास पड़ जाने के कारण इस पूरे माह भगवान सूर्य और श्री हरि विष्णु की विशिष्ट पूजा आराधना की जाएगी।

इस काल अवधी के दौरान एक अमृत सिद्धि, एक त्रिपुष्कर और चार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेंगे। वहीं यदि आप किसी विशिष्ट खरीदारी वाहन, मकान, जमीन अथवा किसी विशेष अवसर हेतु गहने आदि हेतु की खरीदारी हेतु विचार कर रहे हैं, या फिर शुभ मुहूर्त देख रहे हैं, तो खरमास के दौरान की तिथियों में से 16 दिसंबर, 17 दिसंबर, 18 दिसंबर, 26 दिसंबर तथा 25 दिसंबर की तिथि को किसी भी प्रकार की कीमती वस्तुओं व धातुओं आदि की खरीदारी हेतु अत्यंत ही शुभकारी एवं लाभकारी समय माना गया है।

वहीं यदि आप अचल संपत्ति जैसे मकान, वाहन, जमीन जगह आदि की खरीदारी हेतु शुभ मुहूर्त देख रहे हो तो इसके लिए 21 दिसंबर, 23 दिसंबर, 24 दिसंबर, 28 दिसंबर और 30 दिसंबर की तिथि को अत्यंत ही लाभकारी एवं शुभकारी माना गया है। अगहन महीने में शुक्ल पक्ष की आखरी कुछ खास तिथियों में से यह तिथियां विशिष्ट महत्व रखती हैं।

इस माह की 16 दिसंबर की तिथि दिन बुधवार को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा जिसे धनु संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन जातक तीर्थ स्थल की यात्रा, स्नान दान आदि कर विशिष्ट पुण्य के भागी बनते हैं।

वहीं 18 दिसंबर दिन शुक्रवार की तिथि को विनायक चतुर्थी पर्व के रूप में मनाया जाएगा। विनायक चतुर्थी को सुख समृद्धि व रिद्धि-सिद्धि व सौभाग्य का पर्व माना जाता है। विनायक चतुर्थी के दौरान भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा आराधना के साथ-साथ व्रत धारण करने का भी विधान है। इस दौरान जातक जो भी इच्छाएं रखता है, उन सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है, साथ ही मनो अनुकूल परिणाम की प्राप्ति होती है। इस दौरान उत्पन्न हुए सभी सकारात्मक विचार सार्थक होते चले जाते हैं ।

वहीं विनायक चतुर्थी के पश्चात 19 दिसंबर शनिवार की तिथि को विवाह पंचमी मनाया जाना निर्धारित है। विवाह पंचमी का विशिष्ट महत्व माना जाता है। विवाह पंचमी के संबंध में यह मान्यता है कि इसी दिन त्रेता काल में भगवान श्री राम और जनक नंदिनी माता सीता का विवाह संपन्न कराया गया था। विवाह पंचमी को आज भी जनकपुर, अयोध्या आदि जैसे स्थान पर विशिष्ट हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भी कई जातक व्रत धारण करते हैं।

25 दिसंबर दिन शुक्रवार की तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत मनाया जाना है। 25 दिसंबर की तिथि को मोक्षदा एकादशी के साथ-साथ गीता जयंती भी है। इसी दिन आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के स्वरूप में उपदेश प्रदान किया था जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के द्वारा संपूर्ण विश्व भर के लोगों तक ज्ञान के सार तत्व के रूप में पहुंचाने का कार्य किया। इसके अतिरिक्त 25 दिसंबर की तिथि को क्रिसमस डे भी मनाया जाना है।

25 दिसंबर के पश्चात 29 दिसंबर दिन मंगलवार की तिथि का भी विशेष महत्व है। इस दिन दत्त पूर्णिमा के रूप में मनाया जाएगा। दत्त पूर्णिमा के संबंध में भी विशिष्ट मान्यताएं हैं। माना जाता है कि दत्त पूर्णिमा के दिन ही भगवान दत्तात्रेय का इस भू लोक पर अवतरण हुआ था। कई जातक इस दिन भी अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत का धारण करते हैं।

तत्पश्चात आखरी तिथि 30 दिसंबर बुधवार अगहन माह की पूर्णिमा की तिथि है। अगहन माह की पूर्णिमा की तिथि को सभी जातकों को विशिष्ट स्नान हेतु किसी पवित्र नदी गंगा नदी आदि का चयन करना चाहिए, साथ ही इस दिन जातकों को विशेष तौर पर दान करना चाहिए। गरीबों तथा भूखों को भोजन कराना चाहिए। इससे मोक्ष व लाभ की प्राप्ति होती है।