Surya Grah Dosh Nivaran Puja (Pauranik Vidhi Jaap)

सूर्य ग्रह शांति पूजा (पौराणिक विधि द्वारा 7000 मंत्र जाप व हवन सहित)

सूर्य देव लोगों में ज्ञान, शक्ति एवं इच्छा-शक्ति को प्रबल करते हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्तिथि गलत होती है तो ये जातक पर कष्टकारी प्रभाव देते हैं। इन सभी बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए सूर्य ग्रह शांति जाप करवाना चाहिए।

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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुजारियों द्वारा सूर्य ग्रह दोष की शांति हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में पौराणिक विधि द्वारा सूर्यदेव के मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः' का 7000 जाप होता है।

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विशेषताएं:-

  • सत्ता और हैसियत हासिल करने के लिए।
  • सूर्य दशा द्वारा उत्पन्न बुरे प्रभावों अथवा दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए।
  • रविवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार शुभ तिथि को की जाने वाली पूजा
  • मुख्य देवता: सूर्य

सूर्य देव ज्ञान और शक्ति के देवता हैं जिन्हे सभी 9 ग्रहों में राजा की उपाधि दी गयी है। इन्हे सूर्यनारायण के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है जो सभी ग्रहों में सबसे दयालु हैं। ये कुंडली में जातक के मान-सम्मान, कामयाबी, सरकारी रोजगार आदि को दर्शाते हैं।

अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य अशुभकारी अथवा कमजोर स्तिथि में हों, तो ऐसे जातक के मान-सम्मान में कमी आती है, उनके पिता को कोई न कोई कष्ट घेरे रहता है, साथ ही जातक को दिल अथवा आँखों से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

वहीं दूसरी ओर अगर यह कुंडली में शुभकारी प्रभाव दर्शा रहे हों तो ऐसा जातक कामयाबी की सीढ़ी चढ़ता रहता है, साथ ही चारो ओर उसका बखान गूंजता रहता है।

एस्ट्रोकाका द्वारा दी जाने सेवा में भगवान् सूर्य को प्रसन्न करने हेतु उनका सम्पूर्ण विधि-विधान द्वारा मंत्रों का जाप करते हुए पूजन किया जाता है।

कैसे संपन्न होता है ये अनुष्ठान?

  • सर्वप्रथम श्री गणेश-गौरी जी की पूजा की जाती है जिसके बाद ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी आदि का एक के बाद एक की पूजा संपन्न होती है। तत्पश्चात कलश पूजन किया जाता है जिसके बाद नवग्रह पूजा संपन्न होती है।
  • नवग्रह पूजन के पश्चात् सूर्य ग्रह और सूर्यदेव का पूजन होगा।
  • उपरोक्त सभी पूजाओं के बाद सूर्य ग्रह दोष शांति हेतु "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः' मंत्र का 7000 जाप विद्वानों द्वारा पूरी श्रद्धा और निष्ठापूर्वक पूर्ण होता है।
  • मन्त्रों के जाप पश्चात दशांश हवन संपन्न किया जाता है, फिर पूर्ण विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जाता है।

यह जप रविवार को किए जाने पर सबसे अच्छा परिणाम देता है। इसके अतिरिक्त यह जातक की जन्म तिथि अथवा जन्म नक्षत्र के अनुसार दिन का चुनाव करके भी किया जा सकता है।

सूर्य ग्रह दोष शांति पूजा के लाभ:

  • ज्ञान, वित्तीय समृद्धि, समग्र आध्यात्मिक और भौतिक विकास की वृद्धि करता है
  • जातक को रोग मुक्त स्वास्थ्य, धन, साहस और कामयाबी प्रदान करता है।
  • सूर्य ग्रह के सभी बुरे प्रभावों से छुटकारा दिलाता है, और सकारात्मक परिणामों को बढ़ाता है।

पूजन कालावधि:-

  • 1 दिन (2 पुजारियों द्वारा)

ध्यान दें:- इस पूजन व्यय में  हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं अनुष्ठान?

  • अनुभवी एवं वैदिक पाठशाला प्रमाणित पुरोहित।
  • सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  • सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  • समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  • पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।