Vaidik Rahu Grah Dosh Shanti (Nivaran) Puja

राहु ग्रह दोष शांति पूजा (वैदिक विधि 18000 मंत्र जाप सहित)

कुंडली में राहु दोष की उपस्तिथि से व्यक्ति मानसिक तनाव और रोगों से घिरा रहता है, जीवन में प्रगति रुक जाती है। इन सभी बुरे प्रभावों को वैदिक राहु ग्रह शांति जाप द्वारा दूर किया जा सकता है।

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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुजारियों द्वारा राहु ग्रह दोष की शांति हेतु वैदिक विधि द्वारा पूजा करवाएं। इस पूजन में वैदिक विधि द्वारा राहु के वैदिक मंत्र "ॐ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा कयाशश्चिष्ठया वृता" का 18000 जाप होता है।

विशेषताएं:-

  • राहु दोष से मुक्ति प्राप्ति के लिए किया जाने वाला जाप
  • राहु दशा के बुरे प्रभावों से बचाव करने हेतु किया जाने वाला
  • जातक को गलत संगति / लत से बचाता है
  • मुख्य देवता: राहु

राहु एक छाया ग्रह है, जो व्यक्ति की भावनाओं, मानसिकता, उत्तेजना, बौद्धिकता, मनोविज्ञान आदि को परिदर्शित करता है।

अगर राहु किसी जातक पर बुरे प्रभाव दिखता है तो वह जातक मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है, कई प्रकार की बिमारियों से घिरा रहता है साथ ही उसका स्वास्थ्य कमजोर रहता है। इसके अतिरिकत उस जातक के हर कार्य में कोई न कोई बाधा उत्पन्न होती रहती है जिससे उससे सभी कार्यों में विलम्ब होता है और फलस्वरूप उस जातक की उन्नति रुक जाती है। राहु ग्रह शांति पूजा करवाने से इस ग्रह के सभी गलत प्रभावों से मुक्ति पाने में सहायता प्राप्त होती है।

क्या हैं राहु ग्रह जाप के फायदे?

  • राहु ग्रह के सभी दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है
  • कार्यों में आ रही बाधाओं स्वतः दूर होती जाती हैं जिससे कार्य सुगमता पूर्वक पूर्ण होने लगते हैं
  • मानसिक अवसादों एवं स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करता है
  • कार्यों में अनुकूलित नतीजे मिलते है
  • भाग्य प्रबल होता है
  • शत्रुओं से बचाता है

कैसे पूर्ण होती है वैदिक राहु शांति पूजा?

  • पूजन में सर्वप्रथम श्री गणेश एवं महागौरी जी की आराधना होगी। इसके बाद पश्चात् ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी इत्यादि का एक के पश्चात् एक की आराधना होगी। फिर कलश पूजन के बाद नवग्रह पूजा संपन्न होगी।
  • नवग्रह की पूजा के बाद राहु ग्रह की पूजा होगा।
  • उपरोक्त सभी पूजन के पश्चात् राहु दोष शांति हेतु वैदिक मंत्र "ॐ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा कयाशश्चिष्ठया वृता' मंत्र का 18000 जाप पूरी श्रद्धा और निष्ठापूर्वक संपन्न होगा।
  • मन्त्रोजाप के बाद दशांश हवन संपन्न होगा, तत्पश्चात पूर्ण विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जायेगा।

पूजन कालावधि:-

  • 1 दिन (6 पुरोहितों द्वारा)

ध्यान दें:- इस पूजन व्यय में  हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके द्वारा चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं अनुष्ठान?

  • वैदिक पाठशाला प्रमाणित और अनुभवी पुजारी / विद्वान।
  • सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  • सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  • समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  • पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।