Shukra Grah Dosh Shanti Puja (Pauranik Vidhi)

शुक्र ग्रह शांति पूजा (पौराणिक विधि, 16000 मंत्र जाप व हवन सहित)

शुक्र ग्रह सौंदर्य, प्रेम, विवाह, यौन सम्बन्ध आदि को नियंत्रित करता है। इस जाप को करने से जातक को अपने इंद्रिय अंगों को नियंत्रित करने की शक्ति मिलती है जिससे जातक प्यार और आनंद से भरा जीवन जीने में सक्षम बनता है।

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एस्ट्रोकाका द्वारा निर्धारित पुजारियों द्वारा शुक्र ग्रह दोष शांति हेतु पूजा करवाएं। इस पूजन में पौराणिक विधि द्वारा शुक्र के मंत्र "ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:' का 16000 जाप होता है।

विशेषताएं:-

  • एक सकारात्मक आकर्षक हासिल करने के लिए।
  • जीवनसाथी या पार्टनर के साथ अच्छे संबंध प्राप्त करने के लिए
  • शुक्र दशा द्वारा दुष्प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए।
  • शुक्रवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुकूल शुभ तिथि को किया जाने वाला पूजन
  • मुख्य देवता: शुक्र

शुक्र ग्रह की कुंडली में उपस्थिति जातक के प्रेम एवं दाम्पत्य जीवन, भोग-विलासिता, धन-दौलत, आकर्षण आदि को दर्शाती है। यदि शुक्र कमजोर अथवा अशुभकारी स्तिथि में हो तो जातक का दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रह पाता है, जातक दूसरों की ओर जल्दी आकर्षित होता है, साथ ही उसके जीवन में धन-दौलत सम्बंधित तंगी की स्तिथि बनी रहती है।

क्या होते हैं शुक्र ग्रह शांति पूजा के शुभकारी परिणाम?

  • शुक्र के दुष्प्रभावों को समाप्त करता है
  • दाम्पत्य जीवन में खुशहाली बढ़ाता है
  • अविवाहितों की शादी के योग बनाता है
  • गृहस्थ जीवन प्रबल होता हैं
  • धन की स्तिथि को सुधारता है

कब करवाएं शुक्र ग्रह का जप?

यह जप शुक्रवार के दिन अथवा जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार निर्धारित तिथि को किया जा सकता है।

कैसे संपन्न होती है पौराणिक शुक्र ग्रह दोष निवारण पूजा?

  • सबसे पहले श्री गणेश-गौरी जी की आराधना की जाती है जिसके पश्चात् ओमकार देवता, स्वस्तिक, श्री लक्ष्मी माता, श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश, षोडशमातृका, सप्त घृत मातृका, सर्प देवता, क्षेत्रपाल, दस दिक्पाल, वास्तु पुरुष, चतुःषष्टि योगिनी आदि का एक के बाद एक की पूजा संपन्न होती है। फिर कलश पूजन होता है जिसके बाद नवग्रह पूजा संपन्न होती है।
  • नवग्रह की पूजा के बाद शुक्र ग्रह का पूजन होता है।
  • इन सभी पूजाओं के पश्चात् शुक्र दोष शांति हेतु "ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:' मंत्र का 16000 जाप एस्ट्रोकाका के पुरोहितों द्वारा पूरी श्रद्धा और निष्ठापूर्वक संपन्न होता है।

मन्त्रोजाप के बाद शुक्र ग्रह हेतु दशांश हवन संपन्न होगा, जिसके बाद विधि-विधान द्वारा जातक द्वारा संकल्प धारण करवाया जायेगा।

पूजन कालावधि:-

  • 1 दिन (3 पुजारियों द्वारा)

ध्यान दें:- इस पूजन व्यय में हवन सामग्री एवं ब्राह्मण दक्षिणा का खर्च सम्मिलित हैं। फल, फूल एवं मिष्ठान का प्रबंध पूजा करवाने वाले जातक को करना होगा। दिए गए व्यय में एस्ट्रोकाका निर्धारित मंदिर में पूजन संपन्न होगा। आपके घर या चुने हुए स्थान पर पूजन करवाने हेतु व्यय में आने-जाने का व्यय जुड़ जायेगा जो कि अलग से देय होगा। आपके द्वारा चुने हुए स्थान पर पूजन की सुविधा अभी केवल दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।

एस्ट्रोकाका द्वारा ही क्यों करवाएं पौराणिक विधि द्वारा शुक्र शांति हेतु अनुष्ठान?

  • वैदिक पाठशाला प्रमाणित और अनुभवी पुजारी / विद्वान
  • सभी अनुष्ठान वैदिक मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किये जाते हैं।
  • सुखद पूजा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग।
  • समय की पाबंदी और प्रामाणिकता की गारंटी।
  • पेशेवर मार्गदर्शन और समर्थन।